जंगली सुअर पकड़ने के लिए लगाया था फन्दा,फंस गया तेंदुआ

Aanchalik Khabre
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एजाज हुसैन

जंगली सुअर पकड़ने के लिए लगाया था फन्दा ।फंस गया तेंदुआ ।इलाके में फैला दहशत का माहौल।

दो राज्यो की वन विभाग की टीम ने चार घण्टे रेस्क्यू के बाद फंदे से तेंदुए को निकाला।

बरेली जनपद में बहेड़ी क्षेत्र के डंडिया गांव के लोग रविवार को आठ घंटे तक दहशत में रहे। दहशत की वजह था तेंदुआ, जो तार के फंदे में फंस गया था। यह फंदा शिकारियों ने जंगली सुअर को पकड़ने के लिए लगाया था, लेकिन तेंदुआ फंस गया। सुबह करीब आठ बजे किसान रवि ढाका के ट्रैक्टर चालक ने तेंदुआ देखा तो वह उल्टे पांव खेत पर भाग आया। फंदे से निकलने के लिए तेंदुआ गुर्राता रहा। गुर्राने की आवास सुनकर आसपास के खेतों में लोगों का मजमा लग गया। सूचना पर एसडीएम और वन विभाग की टीम पहुंच गई। पीलीभीत टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू टीम को बुलाया गया। रेस्क्यू टीम ने चार घंटे की मशक्कत के बाद ट्रेंकुलाइज कर तेंदुए को बेहोश किया। इसके बाद उसे पिजड़े में बंदकर ले गई। बताया गया है कि तेंदुए को सीबीगंज स्थित वन विभाग के रेंजर कार्यालय में रखा गया है। लखनऊ से परमीशन मिलने के बाद उसे दोबारा जंगल में छोड़ा जाएगा।WhatsApp Image 2023 02 12 at 7.15.06 PM

यूपी-उत्तराखंड की सीमा से सटे डंडिया गांव में रालोद नेता रवि ढाका का फार्म है। फार्म के करीब नाले में अज्ञात शिकारियों ने जंगली सुअर को पकड़ने के लिए लोहे के तार का फंदा लगाया गया था। इसमें रविवार तड़के एक तेंदुआ फंस गया। गुर्राने की आवाज सुनकर जब रवि ढाका का ट्रैक्टर चालक नाले की तरफ गया तो इसकी जानकारी हुई। रवि ढाका ने तेंदुआ होने की जानकारी एसडीएम बहेड़ी को दी। एसडीएम अजय उपाध्याय ने तत्काल रेंजर रवींद्र सक्सेना को सूचित किया। सूचना पर वन विभाग एक्टिव मोड पर आ गया। टाइगर रिजर्व सूचना दी गई। वहां से वाइल्डलाइफ की टीम दोपहर 12 बजे मौके पर पहुंच गई।  इधर, उत्तराखंड से भी वाइल्डलाइफ की एक टीम आ चुकी थी।
दोनों टीमों ने तेंदुए का रेस्क्यू शुरू किया। करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद गन से ट्रेंकुलाइज कर दिया गया। इसके बाद उसके पूरी तरह से अचेत होने का इंतजार किया गया। इस बीच दो बार टीम करीब गई तो तेंदुआ खड़ा हो गया। जब वह पूरी तरह अचेत हो गया तो आसपास की झाड़ियों को हटाकर जाल डालकर तेंदुए को स्ट्रेचर पर रखा गया।वाइल्डलाइफ की टीम ने उसका परीक्षण किया। उसके पैर से लोहे का तार निकाला गया। फिर उसे जरूरी इंजेक्शन देने के बाद जख्मों पर दवाई लगाई गई। फिर उसे पिंजड़े में डालकर ले जाया गया।

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