दिल्ली के शास्त्री भवन के सामने पिछले डेढ़ महीने से शान्तिपूर्ण धरने बैठे आईआईटी और नीट से पास किया इंजीनियर सहायक प्राध्यापक – केंद्र सरकार अनभिज्ञ?-आंचलिक ख़बरें-एस. ज़ेड.मलिक

Aanchalik Khabre
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नई दिल्ली – तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम-III के तकनीकी सहायक प्राध्यापक पिछले 38 दिनों यानी लगभग डेढ़ महीने होने जा रहा और और अतिसुरक्षीत क्षेत्र कहे जाने वाला शास्त्री भवन जहां केंद्र सरकार के अनेकों मंत्रालय स्थित हैं, उसके सामने शांतिपूर्ण धरने पर बैठे हैं, और ताज्जुब है कि सरकार अब खामोश कानो रुई डाले अपने अपने कार्यों में व्यस्त है सरकार के पास न इनकी समस्या सुनने को समय है और न तो इनके समस्याओं जानना ही चाहती है, इन प्राधापकों से आँचलीक खबरे के पत्रकार ने जब उनके धरना पर बैठने का कारण पूछा तो उन्हों बताया कि हम लोगों को 30 सितम्बर को सिस्टम से बाहर कर दिया गया, उस टेक्निकल एजुकेशन सिस्टम से, जिसको हमने ही पुनर्जीवित कियाI

भारत सरकार कहती है कि आप लोग अच्छे है और आपको सिस्टम में होना चाहिए, वही बात राज्य सरकारें भी बोलती है परंतु आजतक राज्य और केन्द्र के बीच बातचीत का कोई परिणाम नहीं निकला और ना ही हमें कोई समाधान मिलाI

हम सभी लोगों ने अपने जीवन के 4 महत्वपूर्ण साल इस गुणवत्ता सुधार को दिये है तो बिना समाधान के घर भी नहीं जा सकतेIWhatsApp Image 2021 10 06 at 9.30.57 AM

वर्ष 2017 में केंद्र सरकार ने तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु Technical Education Quality Improvement Program (तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम) (TEQIP-3) विश्व बैंक की सहायता से लांच किया गया था।
इस प्रोग्राम के अंतर्गत केंद्र द्वारा 12 ऐसे राज्यो को चुना गया जहां तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में अति सुधार की आवश्यकता थी (ये राज्य जम्मु कश्मीर से लेकर अंडमान निकोबार तक है)।
इस हेतु अखिल भारतीय स्तर पर सभी के लिए खुली हुई चयन प्रक्रिया के माध्यम जिन युवाओं का चयन किया था वो सभी आईआईटी/नीट, से शिक्षित है तथा उन्हें उनकी मेरिट के आधार पर इन 12 राज्यों के विभिन्न सरकारी संस्थानों मे असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया था जिसके वेतन मानदंड असिस्टेंट प्रोफेसर एंट्री लेवल के माणकनुसार थे।
इस प्रोग्राम की रूपरेखा इस तरह निर्धारित की गई थी कि शुरुआत के तीन वर्ष केंद्र सरकार(शिक्षा मंत्रालय) राज्य सरकारो को इन शिक्षकों के वेतन समेत लैब आदि के उपकरणों हेतु फण्ड प्रदान करेगी, इस दौरान इन शिक्षकों का एक नियमित अंतराल पर परफॉरमेंस अप्रैज़ल किया जाएगा एवं 3 वर्ष के बाद जो बेहतर परिणाम देने वाली फैकल्टीज हैं उनको राज्य सरकारें अपने संस्थानों में निरीक्षण करेंगी , इस प्रकार का केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के मध्य एक मेमोरंडम पर हस्ताक्षर हुए थे।WhatsApp Image 2021 10 06 at 9.30.57 AM 1
जैसे जैसे 3 साल का समय निकट आ रहा था केंद्र के द्वारा राज्य सरकारों को MoU को लागू करने एवं इन शिक्षकों का समायोजन करने जिससे कि पठन पाठन की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती रहे एवं सिस्टम में लाए गए सुधारों को नियमित बनाये रखा जा सके इस लिये कई बार पत्र भी लिखे गए जिसकी (प्रतियाँ उपलब्ध हैं)। केंद्र सरकार ने इस कार्यक्रम द्वारा आये हुए सुधारों को चिन्हित करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर जिन समितियों का भी गठन किया है, उन समितियों के सदस्यों अपनी रिपोर्ट में ये बताया है कि जो सुधार हुए हैं वो अभूतपूर्व है तथा इन सुधारों को बनाये रखने हेतु टी ए कयु आई पी, शिक्षकों को सिस्टम में जरूर बनाये रखना होगा(प्रतियाँ उपलब्ध हैं)।
इस विषय पर 3 साल में जब राज्यो द्वारा कोई प्रोग्रेस नहीं कि जा सकी थी एवं कोविड का प्रकोप चल रहा था तब केंद्र सरकार द्वारा इस प्रोग्राम को 6 माह का एक्सटेंशन इस शर्त पर दिया गया था की इसके बाद राज्यो को निश्चय ही इस विषय पर आवश्यक कार्यवाही पूर्ण कर लेनी होगी।
वर्तमान में दुःखद विषय यह है कि वो 6 माह समाप्त हुए हैं (30 सितम्बर 2021) तथा कुछ राज्यो ने कुछ तात्कालिक समाधान निकाला है जबकि ज्यादातर राज्यो ने इस विषय पर कुछ भी कार्यवाही नही की है।

टी ए कयु आई पी, संकायों ने पठन-पाठन की प्रक्रिया को सुधारा, प्रयोगशालाओं के विकास और उन्नयन का कार्य किया, अनुसंधान संस्कृति के विकास आदि द्वारा पिछड़े क्षेत्रों में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता का उत्थान किया है।इनमें से कई फैकल्टी टीईक्यूआईपी के माध्यम से प्रायोजित अपना अंशकालिक पीएचडी कर रहे हैं। उनमें से अधिकांश ए एआईसीटीई-सहयोगी अनुसंधान योजना के प्रधान अन्वेषक के रूप में कार्यरत हैं।

30 सितंबर 2021 के बाद इन कॉलेजों में छात्र-छात्राओं के अनुपात (एसएफआर) में कमी और शिक्षण-अधिगम में अनियमितता के लिए कौन जिम्मेदार होगा?
क्या शिक्षा सुधार को सीमित समय मे बांध लेना सही हैं?
आनेवाली पीढ़ी को क्या शिक्षा का मोह छोडकर स्व नियोजित ही बनना चाहिये?

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