खुले में शौच मुक्त शौचालय पर अव्यवस्थाओं का लटका ताला ग्रामीण बाहर शौच जानो को मजबूर
आंवला तहसील के एक गांव में सामुदायिक शौचालयों के निर्माण में बड़ा खेल हुआ बाहर से शौचालयों को बेहतर रंग रोगन कर चमकदार बनाया गया. लेकिन अंदर घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया पोल खुलने के डर से अधिकाश शौचालयों पर ताला लगा दिया गया. और ताले की चाबी ‘गायब’ हो गई अब ग्रामीण बनाए गए शौचालयों को शुरू करने के लिए चाबी तलाश रहे हैं. स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय का निर्माण ग्राम पंचायतों में किया गया है. आज भी कई ग्राम पंचायतों में लोग खुले में शौच करने से परहेज नहीं कर रहे हैं ऐसे में संक्रमण का खतरा भी बना रहता है.
ग्रामीणों की माने तो शौचालय मात्र दिखावा बन कर रह गया है स्थानीय लोगों को यह मालूम नही है कि शौचालय आखिर बंद क्यों है. स्वच्छता अभियान पर जोर देते हुये खुले में शौच मुक्त करने के लिए शौचालयों का निर्माण कराया गया था. लेकिन इसका उपयोग नहीं हो रहा है.
आंवला तहसील के गांव कल्लिया में दर्जनों ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन कर बताया कि उनके गांव में पिछले वर्ष सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया था. और गांव के लोगो को आस जगी थी कि अब खुले में शौच से मुक्ति मिल जाएगी पर ऐसा नहीं हुआ. शौचालय मुश्किल से आठ दस दिन के लिए खुला है. कभी किसी अधिकारी के आने पर शौचालय का ताला खोल दिया जाता है. साफ सफाई भी कर दी जाती है. बाद में फिर ताला बंद कर दिया जाता है. लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी योजना के मकसद से गरीब वंचित हैं. अगर सामुदायिक शौचालय नियमित खुले तो लोग उसी में शौच के लिए जाएंगे. शौचालय के आसपास सफाई व्यवस्था भी बदहाल है. दसिराम, इंद्रजीत, सेवाराम, धर्मवीर, रामेश्वरआदि लोगो ने शौचालय का ताला खुलवाने की मांग प्रशासन से की है.