महाशिवरात्रि पर्व में हजारों की संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु-आंचलिक ख़बरें-अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

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चित्रकूट जिला के ऐसे प्रसिद्ध स्थानों में चित्रकूट भगवान श्री राम की तपो भूमि के साथ मड़फा का नाम भी शामिल है लेकिन पर्यटन विभाग की उदासीनता की वजह से आज भी यह मूलभूत सुविधाओं से अछूता नजर आ रहा है । आज मंगलवार को महाशिवरात्रि पर्व के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु ऊंचे पर्वत की दुर्गम राजस्थान से दूरी तय कर भगवान पंचमुखी श्री भोलेनाथ की पूजा आराधना के लिए पहुंच रहे हैं । देवाधिदेव महादेव महाकाल शम्भू और ऐसे न जाने कितने नामों से अपने भक्तों के बीच पूजे जाने वाले भगवान शंकर आज भी सशरीर अपने पंचमुखी स्वरूप में प्रभु श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट में विराजमान हैं. जनपद मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर ऊंचे पहाड़ पर विराजमान भोलेनाथ के इस स्थान को मड़फा शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है. किवदंती के अनुसार ऋषि माण्डव्य ने यहां घोर तप कर शिव को प्रसन्न किया था. ऐसा भी माना जाता है धार्मिक मान्यताओं व पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक कि राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला ने इसी स्थान पर अपने पुत्र भरत को जन्म दिया था. मड़फा पहाड़ पर एक कुंड भी स्थित है जिसमें स्नान करने से सारी शारीरिक व्याधियां नष्ट हो जाती हैं ऐसी भी मान्यता है इस कुंड को लेकर. यहां शिव के विराट पंचमुखी स्वरूप के दर्शन जब होते हैं तो भक्त एक टक उन्हें निहारते रहते हैं.

 

धार्मिक ऐतहासिक स्थान है मड़फा

जनपद मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच स्थित मड़फा पहाड़ की धार्मिक व ऐतिहासिक मान्यता है. धार्मिक मान्यताओं की यदि बात करें तो महर्षि वाल्मीकि से लेकर महाकवि कालिदास ने भी अपने ग्रन्थों में इस स्थान का रोचक वर्णन किया है. इस स्थान पर जैन धर्म के प्रवर्तक आदिनाथ सहित कई जैन मतावलम्बियों की मूर्तियां इस स्थान के धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व को स्वयं बयां करती हैं. सबसे खास बात है भगवान शिव का इस स्थान पर अपने पंचमुखी स्वरूप में विराजमान होना. शिव का यह स्वरूप शायद ही कहीं और देखने को मिले. ऐतिहासिक महत्व की बात की जाए तो यहां चंदेलकालीन नगर के ध्वंशावशेष काफी कुछ कहते हैं. मड़फा पहाड़ सावन माह में बहुत बड़ा मेला लगता है. आवगमन का कोई सुगम रास्ता न होने के बावजूद भी आस्थावान इस पहाड़ पर पहुंचकर भगवान भोलेनाथ के विराट स्वरूप का दर्शन कर खुद को धन्य समझते हैं. यहां स्थित कुंड में स्नान करने को भक्त आतुर रहते हैं.

पर्यटन की संभावनाएं अपार

इस स्थान पर पर्यटन की अपार संभावनाएं मौजूद हैं. घनघोर जंगलों प्रकृति के सुरम्य वातावरण के बीच स्थित मड़फा पहाड़ पर आवागमन का आज तक कोई उचित साधन या माध्यम विकसित नहीं हो पाया. परिणामतः के वर्षों तक यह इलाका कुख्यात डकैतों के साए में सांसे लेता रहा. पहाड़ से विंध्य पर्वत माला की अद्भुत छटा देखी जा सकती है जो पर्यटकों को लुभाने के लिए काफी है.

ग्रामीणों का कहना क्षेत्र में ग्रामीणों का कहना है कि यहां जनप्रतिनिधि भी चुनाव लड़ने से पहले भगवान शंकर से मन्नत के रूप में जीत की मानता मांगने आते हैं । और विकास के बड़े-बड़े दावे करके चले जाते हैं । उन्हें जीत भी मिलती है लेकिन इसके बाद आज तक किसी ने मड़फा किला के विकास के बारे में नहीं सोचा और यह दुर्भाग्य है । कि आज भी एशिया की पहली ऐसी प्रतिमा होने के बाद भी विकास के नाम पर दम तोड़ती नजर आ रही है। और पुरातत्व विभाग के अनदेखी रवैए से यहां की धरोहर नष्ट हो रही है।

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