सतना वन भूमि की सुरक्षा के लिए वन विभाग द्वारा वनरक्षक की तैनाती की जाती है। वनरक्षक की ड्यूटी होती है कि वह वन भूमि किसी को अतिक्रमण न करने दें और वन भूमि लगे वृक्षों को नुकसान से बचाए किंतु जब कोई वनरक्षक स्वयं वन भूमि में लगे वृक्षों को कटवा कर गैरकानूनी तरीके से उपयोग करने लगे तो फिर कहावत याद आती है की “बाड़ी खेत खाए तो उपाय कौन कीजिए” लेकिन यहां पर तो उपाय ही उपाय है । वनरक्षक के ऊपर भी अधिकारी होते हैं जो वनरक्षक के गैरकानूनी कार्यो पर रोक लगाकर उसे सजा दिलवा सकते हैं परंतु सतना जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर चित्रकूट मार्ग में स्थित मझगवा विकासखंड के केलहौरा बीट में तैनात वनरक्षक के गैर कानूनी कार्य को देखकर ऐसा लगता है कि वनरक्षक राजकुमार प्रजापति ही वन विभाग का सर्वे सर्वा है । इसलिए वह लगभग दस साल से बेखौफ होकर जंगल के वृक्षों को कटवा रहा है और वृक्ष से खाली हुई भूमि में खुद तो खेती
करता ही है उस क्षेत्र के अन्य लोगों को भी वृक्ष काटकर खेती करने के लिए प्रोत्साहित करता है। केलहौरा क्षेत्र के निवासी शिवदयाल त्रिपाठी ने बताया कि बीट गार्ड राजकुमार प्रजापति बीते कई वर्षो से बरौंधा क्षेत्र में पदस्थ है और बीट नंबर 185 की लगभग बीस एकड़ भूमि के पेड़ कटवा कर खुद खेती कर रहा है और रामदयाल यादव, भोला साहू व रामसखा यादव चौकीदार महतैन से भी लगभग दस- दस एकड़ में प्रत्येक से खेती करवा रहा है । इस प्रकार लगभग 50 एकड़ वन भूमि लगे वृक्षों के लिए रक्षक ही भक्षक बन गया जबकि उसे उन वृक्षों का जीवन बचाने के लिए तैनात किया गया है वृक्षों के हत्यारे, कानून को ठेंगा दिखाने वाले और अपने दायित्व से विपरीत कार्य करने वाले वनरक्षक के ऊपर वन विभाग के आला अफसर क्यों मेहरबान हैं यह तो अफसर ही जाने ।
कल दिनांक ८/१२/२१ को,बीटगाँड राजकुमार प्रजापति अपने कुछ आदमी लेकर शिवदयाल के घर में आया और धमकी देकर बोल रहा था कि तुम मेरी खबर छपवा ते हो तुम्हारे ऊपर किसी मामले में फंसा कर बर्बाद कर दूंगा इसलिए पीड़ित काफी सदमे में है
रेंजर बरौंधा को फोन लगाया गया उन्होंने फोन नहीं उठाया इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं इनकी भूमिका संदिग्ध है