उत्तरकाशी (उत्तराखंड):
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में कुदरत ने एक बार फिर अपना क्रूर रूप दिखाया। सोमवार देर रात आए बादल फटने की घटना ने न केवल धराली क्षेत्र को दहला दिया, बल्कि स्थानीय प्रशासन और बचाव एजेंसियों को भी पूरी तरह से अलर्ट कर दिया। इस त्रासदी में अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं।
घटना के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई, लोग जान बचाने के लिए घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे। आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि रात करीब 2 बजे जोरदार आवाज के साथ तेज बारिश शुरू हुई, और कुछ ही मिनटों में पहाड़ों से भारी मात्रा में मलबा, पानी और चट्टानें गांव में घुस आईं।
बादल फटने के साथ आई तबाही की लहर
धराली, जो अपनी शांत वादियों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, अचानक एक त्रासदी के केंद्र में बदल गया। भारी बारिश के चलते ऊपर के पहाड़ों से आया मलबा, बोल्डर और पेड़ सीधा गांव के मकानों, खेतों और रास्तों पर गिरा।
कई घर पूरी तरह से नष्ट हो गए, तो कुछ आधी रात में बह गए। ग्रामीणों के अनुसार, कुछ मकान ऐसे भी थे, जिनमें सोते हुए लोग थे, जो मलबे में दब गए और अब तक उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
स्थानीय प्रशासन और SDRF की टीम मौके पर
घटना की सूचना मिलते ही एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिवादन बल), स्थानीय पुलिस, और राजस्व विभाग की टीमें मौके पर रवाना हो गईं। भारी बारिश और टूटी सड़कों के चलते राहत और बचाव कार्य में काफी दिक्कतें आ रही हैं। फिर भी, SDRF की टीम रातभर मलबा हटाने, लापता लोगों की तलाश, और घायलों को निकालने में जुटी रही।
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि, “यह एक बहुत गंभीर घटना है। हमारा पूरा प्रशासनिक अमला मौके पर है। हेलीकॉप्टर के जरिए मदद पहुंचाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन मौसम की खराबी से दिक्कतें हो रही हैं।”
स्थानीय लोगों ने दिखाया साहस और मानवता
बचाव कार्यों में केवल सरकारी एजेंसियां ही नहीं, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों और युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कई लोगों ने अपने खुद के संसाधनों से फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला, तो कुछ ने खुद की जान की परवाह किए बिना दूसरों को मलबे से बाहर निकालने की कोशिश की।
एक ग्रामीण ने बताया, “हमने अपनी आंखों के सामने अपने घर उजड़ते देखे। कुछ लोगों को तो बचा लिया, लेकिन कई अब भी लापता हैं। हमारी पूरी उम्मीद प्रशासन पर है।”
विपदा की घड़ी में राहत शिविरों का निर्माण
प्रशासन द्वारा प्राथमिक विद्यालयों और पंचायत भवनों में अस्थाई राहत शिविर बनाए जा रहे हैं, जहां पीड़ितों को भोजन, दवाइयां और प्राथमिक चिकित्सा दी जा रही है। राहत सामग्री पहुंचाने के लिए स्थानीय NGO और सेवा संस्थाएं भी आगे आई हैं।
राज्य सरकार ने घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने यह भी कहा है कि जो लोग लापता हैं, उनकी ढूंढने के लिए विशेष टीमें बनाई गई हैं।
प्राकृतिक आपदाओं से बार-बार जूझता उत्तराखंड
उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति इसे भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति बेहद संवेदनशील बनाती है। विशेषकर मानसून के दौरान गंगोत्री और यमुनोत्री क्षेत्र हर साल किसी न किसी रूप में इस प्रकार की आपदाओं का सामना करते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित विकास कार्य इस प्रकार की घटनाओं को और बढ़ावा दे रहे हैं। वन क्षेत्र में कटान, नदियों के आसपास बस्तियों का निर्माण, और पहाड़ों की खुदाई जैसी गतिविधियां आपदा की संभावना को और भी अधिक खतरनाक बना देती हैं।
सरकार की अपील: अफवाहों से बचें, सतर्क रहें
प्रशासन और राज्य सरकार ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और सतर्क रहने की अपील की है। साथ ही, नदी किनारे या ढलानों पर रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों की ओर शिफ्ट करने का निर्देश भी दिया गया है।
निष्कर्षतः धराली की यह घटना न केवल एक स्थानीय त्रासदी है, बल्कि यह पूरे उत्तराखंड और देश को प्राकृतिक आपदाओं के प्रति तैयार रहने का एक और गंभीर संदेश देती है। अब ज़रूरत है, न केवल राहत पहुंचाने की, बल्कि सतत और सुरक्षित विकास नीति अपनाने की, ताकि आने वाले समय में ऐसी भयावह घटनाओं को रोका जा सके।
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