राजस्थान ब्यावर मे समाजसेवी लेखिका और अध्यापिका शकुंतला सोढ़ा द्वारा स्थानीय विद्यालय की छात्राओं को साथ लेकर सघन वृक्षारोपण अभियान के तहत विद्यालय में सदाबहार ,गिलोय ,तुलसी और गुड़हल जैसे औषधीय पौधों को लगाया गया साथ ही छात्राओं को इन पौधों की उपयोगिता की जानकारी दी गई उन्हें बताया गया कि सदाबहार का पौधा पूरे साल हरा-भरा और गुलाबी-सफेद फूलों से आच्छादित रहकर न केवल घर,ऑफिस और बगीचों की शोभा बढ़ाता है अपितु इसकी पत्तियों में कई प्रकार के एल्कोलाइड पाए जाते हैं जिनसे कैंसर रोधी दवाइयां बनाई जाती है।डंक वाले विषैले कीड़े के काटने पर इसके पत्तों का रस लगाने से विष का प्रभाव दूर होता है ।चेहरे पर इसके फूलों को पीसकर लगाने से कील-मुंहासे दूर होकर चेहरा साफ और चमकदार बनता है।
गिलोय:- गिलोय का सेवन कर त्रिदोष को ठीक किया जाता है नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है इसकी 10 मिली रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से एसिडिटी की वजह से होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।गिलोय के 10मिली रस को पीने से डायबिटीज,वात विकार के कारण होने वाली बुखार और टाइफाइड में लाभ होता है
गुड़हल:-
गुड़हल भी एक औषधीय पौधा है इसकी फूलों को सुखाकर उसके चूर्ण को एक टीस्पून सुबह खाली पेट पानी के साथ लेने से डायबिटीज और गाल ब्लैडर की पथरी में आराम मिलता है इसके पत्तों को पीसकर शैंपू की तरह बाल धोने से बाल मजबूत और चमकदार बनते हैं साथ ही इसके फूलों को सुखाकर तेल में उबालकर एक बेहतरीन हेयर ऑयल बनाया जा सकता है
तुलसी:-
तुलसी की चाय और तुलसी का काढ़ा बुखार में बहुत लाभकारी है, इसके अलावा सुबह खाली पेट पांच से सात तुलसी के पत्तों को निगल लेने से चर्म रोग में आश्चर्यजनक लाभ होता है घर में तुलसी रहने से आकाशीय बिजली गिरने का डर नहीं रहता है।