टेमघर स्थित स्टेम वाटर संयंत्र में हाल ही में हुए क्लोरीन गैस रिसाव की घटना ने न केवल जनसुरक्षा को गंभीर खतरे में डाला है, बल्कि प्रशासनिक भ्रष्टाचार के नए आयाम भी उजागर किए हैं। इसी पृष्ठभूमि में, भिवंडी के भाजपा विधायक श्री महेश प्रभाकर चौघुले ने एक बड़ा खुलासा करते हुए मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर स्टेम वाटर डिस्ट्रीब्यूशन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लिमिटेड में हुई नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर भ्रष्टाचार एवं नियमों की अनदेखी का आरोप लगाया है।
मुख्य आरोपों का सार
विधायक के अनुसार, ठाणे नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त (द्वितीय) श्री प्रशांत रोडे द्वारा कंपनी में ‘मुख्य कार्यकारी अधिकारी’ के पद पर हुई नियुक्ति प्रक्रिया पूर्णतः दोषपूर्ण एवं भ्रष्टाचार से ग्रस्त है। उन्होंने जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग द्वारा 31 जुलाई, 2024 को जारी स्पष्ट आदेशों की जानबूझकर अनदेखी करने का गंभीर आरोप लगाया है।
योग्यता और सुरक्षा पर सवाल
आरोप है कि नियुक्त हुए अधिकारी, श्री संकेत घरत, ना तो शैक्षणिक और ना ही अनुभव की दृष्टि से इस महत्वपूर्ण पद के लिए योग्य हैं। एक अकुशल और अयोग्य अधिकारी की नियुक्ति का सीधा खतरा संयंत्र की सुरक्षा पर मंडरा रहा है। पिछले दिनों हुए क्लोरीन गैस रिसाव की घटना, जिसमें पांच लोगों को उपचार लेना पड़ा, को मशीनों के समुचित रखरखाव की कमी से जोड़कर देखा जा रहा है। यह घटना संयंत्र की सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर चूक की ओर इशारा करती है।
विधायक की मांग
विधायक श्री चौघुले ने तत्काल प्रभाव से निम्नलिखित मांगें रखी हैं
1. इस पूर्ण नियुक्ति प्रक्रिया की एक उच्चस्तरीय जांच हो।
2. नियमों को दरकिनार करके की गई श्री संकेत घरत की नियुक्ति को तुरंत रद्द किया जाए।
3. भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
यह मामला सार्वजनिक उपक्रमों में होने वाली भर्तियों में पारदर्शिता की कमी और निजी स्वार्थों की भूमिका को उजागर करता है। जल जैसी मूलभूत आवश्यकता से जुड़े एक संवेदनशील संयंत्र में अयोग्यता आपदा को निमंत्रण दे सकती है। यह घटना इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे भ्रष्टाचार सीधे तौर पर आम जनता की सुरक्षा और स्वास्थ्य से खिलवाड़ करता है।
सुझाव
1. पारदर्शिता की आवश्यकता: सार्वजनिक नियुक्तियों, खासकर तकनीकी रूप से संवेदनशील पदों के लिए, पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और ऑनलाइन होनी चाहिए, ताकि हर चरण की निगरानी की जा सके।
2. नागरिकों की भूमिका: जनता को सजग रहना चाहिए और ऐसे किसी भी अनियमितता की सूचना तुरंत शिकायत प्राधिकरणों या स्थानी जनप्रतिनिधियों को देनी चाहिए।
3. तीसरे पक्ष का ऑडिट: महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का नियमित रूप से स्वतंत्र तकनीकी ऑडिट होना चाहिए ताकि सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित हो सके।
भिवंडी विधायक की यह पहल एक सकारात्मक कदम है, जो शासन में जवाबदेही की मांग करती है। अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह त्वरित और निष्पक्ष जांच करके जनता का विश्वास बहाल करे।
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