Dry Ice:ड्राई आइस का इस्तेमाल कई जगह किया जाता है जिसमें खाने को फोटोजेनिक(खाने में चमक) और स्पेशल इफेक्ट बनाना भी शामिल है। आइए जानते हैं कि ड्राई आइस क्या है और इसके साइड इफेक्ट क्या हैं?
जानिए Dry Ice क्या है?
आम बोलचाल की भाषा में सूखी बर्फ का मतलब कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का ठोस रूप है। यह ठोस अवस्था से सीधे गैस अवस्था में परिवर्तित हो जाती है। इसका उपयोग मुख्य रूप से Cooling Agent (ठंडा करने वाला पदार्थ जैसे नार्मल बर्फ ) के रूप में किया जाता है
पहले किसी खास मौके पर लोग बाहर खाने जाते थे। मगर लाइफस्टाइल और लीविंग स्टैंडर्ड बदल जाने से आजकल रेस्टॉरेंट में जाकर खाना खाना आम हो गया है। लोगों को लुभाने और खाने को फोटोजेनिक(खाने में चमक ) बनाने के लिए रेस्टॉरेंट भी नई-नई तरीके तरीके अपनाते हैं, जिसमें Dry Ice का इस्तेमाल भी शामिल है। इसकी मदद से खाने और ड्रिंक्स से सफेद धुआं निकाला जाता है जो खाने को आई कैचर (आकर्षक) बना देता है।
यह ड्राई आइस सेहत के लिहाज से काफी खतरनाक हो सकती है। एक रिपोर्ट के माध्यम से पता चला है Delhi-NCR के एक रेस्टॉरेंट में 5 लोगों की माउथ फ्रेशनर खाने के बाद बुरी तरह हालत खराब हो गई। वायरल वीडियो में देखा गया कि लोग दर्द के मारे चीख रहे थे और उल्टी कर रहे थे। रिपोर्ट के मुताबिक माउथ फ्रेशनर के रूप में Dry Ice (ड्राई आइस) दी गई थी।
Dry Ice (ड्राई आइस) कैसे बनती है? इसकी शुरुआत कहाँ से हुयी
यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि फ्रांसीसी आविष्कारक एड्रियन-जीन-पियरे थिलोरियर, जिन्होंने इस पदार्थ का पहला विवरण भी प्रकाशित किया था, ने 1835 में सूखी बर्फ का पहला अवलोकन किया था। उन्होंने अपने परीक्षणों में देखा कि अधिकांश तरल कार्बन डाइऑक्साइड तेजी से गायब हो गए थे। गैस वाले बड़े सिलेंडर का ढक्कन खुला हुआ था। कंटेनर में जो कुछ बचा था वह ठोस, सूखी बर्फ थी।
थॉमस बी. स्लेट ने सूखी बर्फ के व्यावसायीकरण के लिए 1924 में अमेरिकी पेटेंट के लिए आवेदन किया। वह सूखी बर्फ उद्योग को सफलतापूर्वक स्थापित करने वाले पहले व्यक्ति बने। अमेरिका के ड्राईआइस कॉर्पोरेशन ने 1925 में इस ठोस कार्बन डाइऑक्साइड रूप को “सूखी बर्फ” के रूप में पंजीकृत किया, जिससे इसे इसका बोलचाल का नाम दिया गया। उसी वर्ष, ड्राई आइस कंपनी ने वाणिज्यिक पैमाने पर सामग्री की बिक्री शुरू की, इससे पदार्थो को लम्बे समय तक स्टोर करने में मदद मिली|
कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) लगभग -78.5°C (-109.3°F) पर जम जाता है, तब सूखी बर्फ उत्पन्न होती है। यह एक ठंडी, संपीड़ित गैस है जिसे तरल अवस्था से ठोस अवस्था में ले जाया जाता है। गर्मी या खुली हवा के संपर्क में आने पर यह ठोस से गैस में बदल जाता है और गाढ़ा, सफेद धुआं उत्सर्जित करता है।
Dry Ice का इस्तेमाल इन चीजों में किया जाता है
- इस कूलिंग एजेंट को शिपिंग के दौरान खराब होने वाली चीजों को बचाने, खाने या किसी चीज मे स्पेशल इफेक्ट दिखाने और लेबोरेटरी में एक्सपेरिमेंट करने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
- कुछ दवाओं (वैक्सीन) को स्टोर करने के लिए इस ड्राई इस्तेमाल किया जाता है|
- कुछ इंडस्ट्रीज में इसका उपयोग अलग अलग कार्यो में लिया जाता है जैसे सफाई, फॉगिंग आदि
ड्राई आइस इंसानों के लिए खतरनाक है
- अगर इसका सही इस्तेमाल नहीं किया जाए तो यह इंसानों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसे सीधा छूने से हाथ गंभीर रूप से जल सकते हैं। सामान्य तापमान के संपर्क में इससे भारी मात्रा में खतरनाक कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है जो फेफड़ों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। इसलिए उचित सावधानी और खुली जगह पर इस्तेमाल करना चाहिए।
- कार में रखे कूलरों में सूखी बर्फ से कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलने से मॉस्को में एक व्यक्ति की मौत हो गई है
- दिल्ली-एनसीआर के एक रेस्टॉरेंट में इसे खाने से 5 लोगों की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई
Visit Our Social Media Pages
YouTube:@Aanchalikkhabre
Facebook:@Aanchalikkhabre
Twitter:@Aanchalikkhabre
ये भी पढ़े:Underwater Metro Rail: भारत में पहली बार पानी के नीचे दौड़ी मेट्रो, PM ने बच्चों के साथ किया सफर