“आस्था के प्रतीक संगम प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर उमड़ा जनसैलाब-आंचलिक ख़बरें-राम कैलाश कनौजिया

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प्रयागराज/ ब्यूरो चीफ मनीष भारती मेजा डेढ़ सौ वर्षों बाद आए इस पवित्र पुण्य लाभ लाभ प्राप्त करने के लिए अपार जनसमूह संगम में जन सैलाब के साथ उमड़ परा हर वर्ष की तरह माघ मेले में स्नान करने हेतु देश-विदेश से आए हुए लोगों का जनसैलाब संगम की रेत पर उमड़ पड़ा जिसके कारण सामाजिक दूरी अनुपालन के सारे मानक ध्वस्त हो गए पुष्प सलिला मां भागीरथी और रवि तनया कालिंदी एवं ज्ञान दायिनी सरस्वती के पावन संगम तट पर चारों ओर घना बादल छाया हुआ है मौनी अमावस्या का पवित्र स्नान करने के बाद यथासंभव शक्ति के अनुसार अपने पुण्य कमाने के लिए एवं दान करने के लिए मकर राशि में गुरुवार के दिन सूर्य गुरु और चंद्र तीनों ग्रह एक साथ आकर इस पर्व को और लाभकारी बना दिए हैं प्रयागराज के व्यवस्थापक और संचालक डॉ रामेश्वर प्रपन्नाचार्य शास्त्री जी महाराज के अनुसार 150 वर्षों के बाद ऐसा पूर्णकालिक योग्य बना है मौनी अमावस्या के दिन प्रातः 4:00 बजे से ब्रह्म मुहूर्त में आने वाला पुष्प काल दोपहर के बाद 2 बज कर 40 मिनट तक है और इस तरह मौनी अमावस्या पर संगम तट के जनसैलाब का जमाव देखा जा रहा है मेला प्रशासन भी भी आए हुए श्रद्धालुओं के लिए पूर्णतया तैयारी किए हुए हैं मेले में प्रवेश को लेकर पूर्व में की जाने वाली अनेक अटकलें भी लोगों को नहीं रोक पाए कल्प वासियों कि कई बार कठिन परीक्षा भी हुई किंतु उनके आत्मविश्वास की जीत हुई आस्था के प्रति संगम तट पर हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी माघ मे कल्प वासी एक माह तक कल्पवास संगम तट पर करते हैं प्रत्येक कल्प वासियों ने किसी ना किसी बहाने अपने स्वजनों एवं परिजनों को भी गंगा स्नान करने की प्रेरणा देने का पुरजोर प्रयास करते हैं जो जिस भाव में आया है वह उसे उसका फल जरूर प्राप्त होता है मां गंगा पतित पावनी अपने निर्मल जल से आए हुए सभी श्रद्धालुओं के प्रति हर वर्ष शुभाशीष प्रदान करती हैं

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