राज्य स्तरीय प्रदर्शनी में स्थापित Micro Irrigation विभाग स्टॉल पर प्रदर्शनी लगाकर लोगों को सूक्ष्म सिंचाई विधि के बारे में जानकारी दी
कुरुक्षेत्र। Micro Irrigation विधि को बढावा देने के लिए मिकाडा हरियाणा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के उपलक्ष्य में ब्रह्मसरोवर के तट पर स्थित स्टॉल पर प्रदर्शनी लगाकर लोगों को Micro Irrigation विधि के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ उन्हें सरकार द्वारा सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
विभाग के एसडीओ विजय कुमार की देखरेख में इस स्टाल पर Micro Irrigation से गन्ने की खेती, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना,जलमार्ग नीति, टपका विधि सिंचाई से धान की सफल खेती तथा मिकाडा यूनिफाइड पोर्टल पर आवेदन भरने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी)के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
Micro Irrigation विधि से धान की फसल में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलें है, इससे जहां लगभग 42 प्रतिशत पानी की बचत हुई, वहीं पैदावार में भी 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, भारत सरकार ने ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रौद्योगिकियों जैसे उपयुक्त तकनीकी उपकरणों को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में जल उपयोग दक्षता बढाने के उदे्श्य से Micro Irrigation पर केन्द्र प्रायोजित योजना शुरू की और किसानों को जल बचत और संरक्षण प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
सभी श्रेणी के किसानों को सरकार 85 प्रतिशत सहायता प्रदान करेगी और किसानों को सिस्टम लागत का 15 प्रतिशत योगदान तथा 12 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। उन्होंने कहा कि मिकाडा द्वारा जलमार्ग नीति व्यवस्थित करने के लिए नए जलमार्ग निर्माण/पुनर्वास/रीमॉडलिंग विस्तार के संबंध में एक नीति चलाई है।
जलमार्ग नीति के तहत निर्धारित प्राथमिकता मानदंड के अनुसार मिकाडा द्वारा कच्चा वाटरकोर्स को पक्का किया जाएगा तथा 20 वर्ष से अधिक पुराने जलमार्ग के पुर्नवास/पुनिर्माण के लिए विचार किया जाएगा। डब्ल्यूयूए/किसानों को परियोजना के प्रारंभ होने के समय नए जलमार्ग के निर्माण/पुर्नवास/पुनर्निर्माण विस्तार के लिए कुल लागत राशि का एक प्रतिशत जमा करवाना होगा।
शेष राशि सरकार द्वारा वहन की जाएगी। टपका विधि सिंचाई से धान की सफल खेती-सूक्ष्म सिंचाई विधि से 60 से 70 प्रतिशत पानी की बचत होती है साथ ही एक तिहाई खाद की भी बचत धान की फसल में की जा सकती है। खरपतवार व कीट बीमारियों का प्रकोप कम किया जा सकता है, जमीन की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। इस विधि का प्रयोग करके अधिक उपज की प्राप्ति होती है।
अश्विनी वालिया, कुरुक्षेत्र
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