Jyotiba Phule Jayanti 2024: भितरवार। गुरूवार को महात्मा ज्योतिबा फुले की 196 वीं जन्म जयंती गुरुवार को गुरुवार को भितरवार अनुभाग ग्राम पलायछा में कुशवाह समाज द्वारा मनाई गई। महात्मा ज्योतिबा फूले के छायाचित्र पर सेवानिवृत्ति डीजे व लोकपाल प्रताप सिंह कुशवाह, कुशवाह समाज के वरिष्ठ समाजसेवी एवं अभिभाषक मदनलाल कुशवाह द्वारा दीप प्रज्वलित कर पुष्प अर्पित करते हुए उन्हें नमन किया। वहीं उपस्थित समाज के अन्य लोगों ने महात्मा ज्योतिबा फुले की छायाचित्र पर पुष्पमाला अर्पित कर महात्मा फुले को याद किया।
महात्मा ज्योतिबा फुले (Jyotiba Phule) का जीवन परिचय
महात्मा Jyotiba Phule की 196 वीं जन्म जयंती मनाते हुए कुशवाह समाज के मुख्य वक्ता सेवानिवृत्ति डीजे व लोकपाल प्रताप सिंह कुशवाह, भोपाल एवं इंदौर के वरिष्ठ व्यवसाय रमेश कुशवाह, वरिष्ठ समाजसेवी एवं आभिभाषक मदन लाल कुशवाह आदि ने कहा कि देश में छुआछूत खत्म करने और समाज को सशक्त बनाने में अहम किरदार निभाने वाले महात्मा Jyotiba Phule का जन्म 11 अप्रैल 1827 को माता चिमड़ाबाई पिता गोविंद राव के यहां पुणे में हुआ था। उनका परिवार कई पीढ़ी से माली का काम करता था। इस सतारा से पुणे फुल लाकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करते थे इसलिए उनकी पीढ़ी ‘फुले’के नाम से जानी जाती थी। ज्योतिबा फुले जी बहुत ही बुद्धिमान थे। उन्होंने मराठी में अध्ययन किया।
महान क्रांतिकारी एवं समाजसेवी ज्योतिबा फुले जयंती पर उन्हें याद कर किया नमन कुशवाह समाज
Jyotiba Phule महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे। जब 1840 में उनका विवाह हुआ उसे समय महाराष्ट्र में धार्मिक सुधार आंदोलन जोरों पर चल रहा था। तब यह जाति प्रथा का विरोध करने और केश्वरबाद को अमल में लाने के लिए आगे आए और ‘प्रार्थना समाज की स्थापना की। इसी प्रकार स्त्रियों की शिक्षा को लेकर लोग उदासीन थे, समाज को इन कृतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन उनके द्वारा चलाए गए।
Jyotiba Phule ने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोंद्धार का काम आरंभ किया था। उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत का पहला विद्यालय भी खोला था। लड़कियों और दलितों के लिए पहली पाठशाला खोलने का श्रेय भी महात्मा फुले को दिया जाता है। इन प्रमुख सुधार आंदोलनो के अतिरिक्त हर क्षेत्र में छोटे-छोटे आंदोलन जारी थे जिसने सामाजिक और बौद्ध के स्तर पर लोगों को परतंत्रता से मुक्त किया था। लोगों में नए विचार, नए चिंतन की शुरुआत हुई, जो देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में उनके संबल बने।
इस दौरान ग्राम सरपंच सुरेश सिंह कुशवाह ने कहां महात्मा Jyotiba Phule द्वारा किसानो और मजदूरों के हकों के लिए संगठित प्रयास किया। और उन्हीं के प्रयासों के कारण आज देश में सत्यशोधक समाज स्थापित हुआ है। उनके यही भाव को देखते हुए उन्हें ब्रिटिश हुकूमत के कार्यकाल के दौरान 1888 में ‘ महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
कुशवाह समाज ने ज्योतिबा फुले के बताए मार्ग पर चलने का लिया संकल्प
आज वह हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके विचार और उनके द्वारा चलाए गए आंदोलन आज भी हमें उचित मार्ग पर चलने का मार्ग बताते हैं हमें भी उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए उनके सिद्धांतों को अपनाना चाहिए। इस दौरान उपस्थित जनो ने उनके बताए मार्ग पर चलने का सामूहिक रूप से संकल्प लिया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से ग्राम सरपंच सुरेश कुशवाह द्वारा महात्मा ज्योतिबा फुले की जन्म जयंती मानने से पूर्व सभी अतिथियो का पुष्प माला पहनकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से डॉ पंचम सिंह कुशवाह, पूर्व सरपंच हमीर सिंह कुशवाह, अर्जुन सिंह, रिंकू सहित कई लोग मौजूद रहे।
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