उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के महोली क्षेत्र में पत्रकार राघवेन्द्र वाजपेई की बदमाशों ने दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी। इस दुस्साहसिक वारदात से पूरे पत्रकारिता जगत में आक्रोश व्याप्त हो गया है। अपराधियों द्वारा खुलेआम पत्रकार की हत्या किए जाने की इस घटना ने प्रशासन और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हत्या के बाद क्षेत्रीय पत्रकारों और स्थानीय लोगों में भारी रोष देखा गया। पत्रकारों ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया और इस जघन्य अपराध के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। प्रदर्शनकारियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा, जिसमें उन्होंने अपराधियों को फांसी दिए जाने की मांग की। इसके साथ ही मृतक के परिवार को पांच करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की गई।
पत्रकारों में आक्रोश, प्रशासन पर उठे सवाल
राघवेन्द्र वाजपेई की हत्या के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। पत्रकार समाज के लिए यह घटना एक बड़ा झटका थी। पत्रकारों ने इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला बताते हुए प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पत्रकार समाज की आवाज होते हैं और अगर उनकी सुरक्षा पर सवाल उठे तो यह पूरे समाज के लिए खतरा बन सकता है।
घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों की तलाश के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं और जल्द ही हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हालांकि, पत्रकार संगठनों ने पुलिस की सुस्ती और लचर कानून व्यवस्था पर नाराजगी जताई है।
एप्जा के नेतृत्व में जोरदार प्रदर्शन
पत्रकारों के इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व एप्जा (ऑल इंडिया प्रेस जर्नलिस्ट एसोसिएशन) के अध्यक्ष अखिलेश उपाध्याय ने किया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं, लेकिन सरकार इन मामलों को गंभीरता से नहीं ले रही है। अगर सरकार और प्रशासन इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं करेगा, तो पत्रकारों की स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाएगी।
इस विरोध प्रदर्शन में कई वरिष्ठ पत्रकारों और संगठनों के प्रमुख लोगों ने भाग लिया। प्रदर्शन में शामिल प्रमुख लोगों में संगठन के प्रभारी सुमित कश्यप, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विश्वदेव राठौर, दिनेश गंगवार, किशोर गंगवार, जफरूद्दीन मंसूरी, हीरालाल गंगवार, शैलेन्द्र गंगवार, साजिद अंसारी, अफजाल अहमद, बाबू अंसारी, अखलाख अंसारी, राजकुमार गंगवार राजू, रियाज अंसारी गुड्डू, कुलदीप सक्सेना, यशपाल गंगवार, शाहिद अली, अब्दुल मलिक, मोहम्मद असगर, शरफुद्दीन मंसूरी, विवेक शर्मा अन्नू और छत्रपाल गंगवार शामिल रहे।
पत्रकारों ने की सुरक्षा की मांग
इस घटना के बाद पत्रकार संगठनों ने मांग की कि सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पत्रकारों पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि पत्रकार लोकतंत्र की रीढ़ होते हैं, लेकिन अगर उन्हें ही सुरक्षित माहौल नहीं मिलेगा, तो वे जनता की आवाज कैसे उठाएंगे?
पत्रकारों ने सरकार से मांग की कि पत्रकारों के लिए सुरक्षा गारंटी कानून लागू किया जाए, जिसमें उन्हें विशेष सुरक्षा मिले और हमलावरों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान हो। इसके अलावा, पत्रकारों को पुलिस सुरक्षा देने की मांग भी उठाई गई।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि राघवेन्द्र वाजपेई की हत्या के बाद उनका परिवार सदमे में है। उनकी मौत से उनका परिवार आर्थिक संकट में आ गया है। इसलिए सरकार को उनकी पत्नी या परिवार के किसी अन्य सदस्य को सरकारी नौकरी देनी चाहिए, ताकि उनका जीवन सुरक्षित रह सके।
इसके अलावा, पत्रकारों ने मांग की कि मृतक के परिवार को पांच करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए। पत्रकारों ने कहा कि अगर सरकार इस मांग को पूरा नहीं करती, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।
सीतापुर की यह घटना राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करती है। उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हमले और उनकी हत्याओं के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इससे पहले भी कई पत्रकारों पर हमले हो चुके हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में दोषियों को सजा नहीं मिल सकी है।
विरोध प्रदर्शन में शामिल पत्रकारों ने कहा कि सरकार और प्रशासन को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द से जल्द अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया गया और उन्हें कड़ी सजा नहीं दी गई, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।
पत्रकारों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले।
पत्रकारों ने यह भी कहा कि अगर सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम नहीं उठाती है, तो वे देशव्यापी आंदोलन करेंगे। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे किसी भी कीमत पर अपने साथी पत्रकार के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए संघर्ष करते रहेंगे।
राघवेन्द्र वाजपेई की हत्या ने पूरे पत्रकार जगत को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना केवल एक पत्रकार की हत्या नहीं है, बल्कि यह स्वतंत्र पत्रकारिता पर सीधा हमला है। इस घटना ने यह भी दिखा दिया कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था कितनी लचर हो चुकी है।
सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में त्वरित कार्रवाई करे और दोषियों को कठोर सजा दे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। साथ ही, पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाने पर विचार किया जाए, ताकि लोकतंत्र का यह चौथा स्तंभ सुरक्षित रह सके।
पत्रकारों के इस विरोध प्रदर्शन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वे अन्याय के खिलाफ लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे। उनकी एकजुटता और संघर्ष यह दिखाता है कि वे अपने साथी की हत्या का न्याय दिलाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। अब यह सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं।