Mehbooba Mufti ने ऐसा बयान दे दिया कि पाकिस्तान की सरकार से लेकर आवाम उनकी तारीफ कर रही है। वहीं मुफ्ती ने मोदी सरकार को लेकर बड़ा हमला बोला है।
Mehbooba Mufti About indus river water treaty : जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की चीफ महबूबा मुफ्ती का पाकिस्तान प्रेम फिर से झलकने लगा है। उनके इस प्रेम को लेकर पाकिस्तान में तो खुशी हो रही है लेकिन भारत में उनके बयान की आलोचना हो रही है। उनके बयान के बाद बीजेपी के नेता उन पर हमलावर है। दरअसल महबूबा मुफ्ती ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता रद्द करने को लेकर सरकार पर कटाक्ष किया है। महबूबा मुफ्ती ने मोदी सरकार के सिंधु जल समझौते को रद्द करना दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार को सिंधु जल समझौते को लेकर एक बार फिर सोचना चाहिए। हम पाकिस्तान के साथ युद्ध के मुहाने से लौटे है। हमारे जवान और नागरिक शहीद हुए है। महबूबा मुफ्ती ने ऑपरेशन सिंदूर को तबाही बताते हुए कहा है कि युद्ध से राहत मिली है। सरकार को इस फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए।
JK की पूर्व सीएम ने क्या कहा, खुश हुए पाकिस्तान PM शाहनवाज़
पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती का पाकिस्तान प्रेम कोई नया नहीं है। इससे पहले भी वो पाकिस्तान के प्रति प्रेम झलकाती रही हैं। शुक्रवार को महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमलें के बाद भारत सरकार ने जो 1965 में हुए सिंधु जल समझौते को एक झटके में रद्द कर दिया वो सरासर गलत है। दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारे जवान शहीद हुए , हमारे लोग मारे गए, गांव तबाह हो गए। देश में युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए थे। हमें अब जाकर राहत मिली है। हमें इस समय वो बातें करनी चाहिए जो हमारे हित में हों। मोदी सरकार शिमला समझौता निलंबित नही कर सकती। हमें अपने मुद्दो को दिवपक्षीय तरीके से हल करने चाहिए। हमें शांति से काम लेना चाहिए, उकसावे की राजनीति से दूर रहने में ही देश की भलाई है। मुफ्ती ने कहा कि सीएम उमर अब्दुल्ला कह रहे है कि हमे यहां बिजली परियोजना लानी चाहिए। लेकिन वो शायद भूल गए कि जब वे केंद्र में मंत्री थे और उनके पिता फारुख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के सीएम थे। तब उन्होंने 7 बिजली परियोजनाओ को दिल्ली को भेंट किया था।
Platform “X” पर JK के सीएम और पूर्व सीएम
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अभी भी जारी है। उधर जम्मू कश्मीर के वर्तमान सीएम उमर अब्दुल्ला और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती सोशल मीडिया पर लड़ रहे हैं। उमर अब्दुल्ला ने अपने एक्स पर लिखा कि उन्होंने हमेशा से ही सिंधु जल समझौते का विरोध किया है। और ये विरोध जारी रखूंगा। दूसरी तरफ महबूबा मुफ्ती शिमला समझौता को सही बता रही है। उन्होंने कहा की तनाव के बीच वकालत करना गलत है। इस युद्ध और तनाव से सिर्फ जम्मू कश्मीर का नुकसान हुआ है। मुफ्ती को जवाब देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वास्तव में ये दुर्भाग्यपूर्ण का कि कुछ लोग सस्ती लोकप्रियता और राजनीति के लिए हमारे दुश्मन की भाषा बोल रहे हैं। आप यह स्वीकार करने से मुंह मोड़ती है कि सिंधु जल समझौते का सबसे बड़ा घाटा जम्मू कश्मीर के लोगों का हुआ है। समझौते का विरोध करना युद्ध करने की लालसा नही है। बल्कि यह अन्याय को ठीक करने के बारे में है। और मैं अंत तक शिमला समझौते का विरोध करता रहूंगा। बता दें कि यह पूरी बहस तुलबुल नेविगेशन परियोजना को लेकर शुरू हुई थीं।
क्या है तुलबूल नेविगेशन परियोजना
दरअसल तुलबुल नेवीगेशन प्रोजेक्ट झेलम नदी में दक्षिण कश्मीर से लेकर उत्तर कश्मीर तक बनाया जाना था। यह झेलम नदी की वुलर झील के पास बनना था। साथ ही इसमें 440 फीट लम्बा बैराज जैसा नेवल लॉक कम कंट्रोल इंफ्रास्ट्रक्चर भी बनना था। तुलबुल नेवीगेशन प्रोजेक्ट का काम साल 1984 में शुरू हो गया था। लेकिन पाकिस्तान ने इसमें अडंगा लगा दिया। उसने इसे शिमला समझौते का उलंघन बताकर 1987 में काम रुकवा दिया। उसका मानना था कि यह प्रोजेक्ट बनने से भारत हमारे यहां कभी भी बाढ़ और सूखे जैसे हालात पैदा कर सकता है। उस समय इस प्रोजेक्ट में 20 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला का कहना कि कि इस घटना क्रम को 38 साल बीत चुके हैं। आज झेलम का पूरा पानी पाकिस्तान चला जाता है। अगर ये प्रोजेक्ट पूरा होता तो जम्मू कश्मीर के कई जिलों को इसका फायदा होता। इसमें श्री नगर, बांदीपोरा, बारामुला, अनंतनाग, पुलवामा और कुलगाम के किसानों को फायदा मिलता। जिससे किसान अपना सामान आसानी से दूसरी जगह भेजकर मुनाफा कमाते
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