जुबां केसरी या ज़हर केसरी?
हर गली, हर नुक्कड़, हर टीवी स्क्रीन पर एक चमकदार मुस्कान… “बोलो जुबां केसरी!”
पर क्या आपने कभी सोचा कि ये “जुबां केसरी” बनाने वाला कारोबार देश की सांसों को ज़हर से रंग रहा है?
नोएडा से कानपुर और बाराबंकी तक जब छापे पड़े, तो सिर्फ करोड़ों की टैक्स चोरी ही नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश सामने आई — वो साजिश जो बिना बिल, बिना ई-वे दस्तावेज़ के ज़हर को पूरे देश में घुमा रही थी।
रात में चलने वाला ट्रक और सिस्टम को चकमा
एक ट्रक, रात के अंधेरे में, दस्तावेज़ों के बिना…
उसमें था वो सामान जो इंसान को धीरे-धीरे मारता है — पान मसाला।
रेड पड़ी नोएडा की विमल पान मसाला फैक्टरी पर।
जब दस्तावेज़ों का स्टॉक से मिलान हुआ, तो कंपनी का असली चेहरा सामने आया।
₹2.5 करोड़ का टैक्स चोरी पकड़ा गया।
ये सिर्फ शुरुआत थी।
कानपुर और बाराबंकी – ट्रकों की कतार, चोरी की बहार
कानपुर में शिखर पान मसाला के तीन ट्रक पकड़े गए —
न कोई ई-वे बिल, न कोई रजिस्ट्रेशन।
फिर बाराबंकी में पकड़ा गया चौथा ट्रक —
फिर वही कहानी। वही ब्रांड, वही तरीका — बिना टैक्स दिए ज़हर बेचने की साजिश।
इन चार ट्रकों की जब जांच हुई, तो साफ हो गया —
सिस्टम को चकमा देकर ब्रांड्स अरबों का व्यापार कर रहे हैं।
टैक्स नहीं, सिर्फ मुनाफा — और वो भी ग़ैरकानूनी
जांच का दायरा बढ़ा, और नाम सामने आया V-One पान मसाला का।
यहां भी ₹50 लाख का टैक्स चोरी पकड़ा गया।
कुछ ही दिनों में जब करोड़ों की चोरी सामने आ गई,
तो ज़रा सोचिए कि देशभर में ये कारोबार कितनी बड़ी लूट मचा रहा है?
क्या यह सिर्फ टैक्स का मामला है?
नहीं, यह स्वास्थ्य, नैतिकता और कानून — तीनों के खिलाफ एक जंग है।
स्वाद नहीं, मौत है इसका दूसरा नाम
सरकारी रिपोर्टें कहती हैं:
हर दिन सैकड़ों मरीज़ सरकारी अस्पतालों में भर्ती होते हैं —
गले के कैंसर, मुँह के फोड़े, पेट की बीमारियाँ लेकर।
इनमें से बहुतों का कारण होता है – पान मसाला और गुटखा।
WHO के अनुसार, भारत में ओरल कैंसर के मामलों में 70% से ज्यादा केस
तंबाकू और पान मसाला से जुड़े हैं।
पान मसाला कोई साधारण चीज नहीं है —
ये एक लत, एक ज़हर, और धीमी मौत का सौदा है।
कानून से खेल – और सिस्टम की चुप्पी
इस पूरे काले खेल में कंपनियाँ सिर्फ टैक्स चोरी ही नहीं कर रहीं —
बल्कि सरकार की आंखों में धूल झोंककर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही हैं।
राज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव एम. देवराज ने कहा:
“अगर विभागीय संलिप्तता पाई गई, तो सख्त कार्रवाई होगी।”
पर सवाल है:
जब सुपरस्टार्स से लेकर अधिकारियों तक सिस्टम को पता है,
तो ये जहर अब तक खुलेआम क्यों बिक रहा है?
सितारे चमकते हैं, पर्दे के पीछे स्याह सच्चाई
शाहरुख़ खान, अजय देवगन, अक्षय कुमार —
टीवी पर मुस्कुराते हुए कहते हैं, “स्वैग से कहो जुबां केसरी।”
लेकिन क्या इन्हें मालूम है कि जिस ब्रांड का वो प्रचार कर रहे हैं,
वो टैक्स चोरी में लिप्त, और हजारों ज़िंदगियों को तबाह करने वाला है?
क्या विज्ञापन करने वालों की कोई नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं होती?
हमारे युवाओं के रोल मॉडल क्या ज़हर बेचने वालों के साथ खड़े रहेंगे?
ज़हर सिर्फ शरीर में नहीं, समाज में भी फैल रहा है
ये सिर्फ एक कारोबारी धोखा नहीं —
ये एक सामाजिक अपराध है।
बच्चों में पान मसाला की आदतें
युवाओं में कैंसर के बढ़ते मामले
और कानून की धज्जियाँ उड़ाता एक लालची तंत्र
इस कारोबार से सिर्फ पैसा नहीं,
हमारी आने वाली पीढ़ियाँ नष्ट हो रही हैं।
अब वक्त है बदलाव का
सरकार ने छापा मारा, टैक्स वसूला —
लेकिन अब बारी जनता की है।
क्या आप चाहेंगे कि आपकी गली में फिर से बिना बिल ट्रक पहुंचे?
क्या आप चाहेंगे कि आपके बच्चे इन विज्ञापनों से प्रभावित होकर ज़हर चबाएं?
क्या सुपरस्टार्स को इन ब्रांड्स से दूरी नहीं बनानी चाहिए?
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