आंचलिक खबरें, प्रयागराज।
शिवसेना (शिंदे गुट) के प्रयागराज जिलाध्यक्ष जे. एस. सोनू सेठ ने मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी प्रयागराज को सौंपा। ज्ञापन में गोरखपुर में शिवसेना के प्रदेश महासचिव मनोज उर्फ लल्लन दूबे पर हुए कथित हमले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई।
ज्ञापन के अनुसार, यह घटना 10 सितंबर 2025 को गोरखपुर के रुस्तमपुर क्षेत्र में हुई थी। आरोप है कि मनोज दूबे पर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) खंड-3 के अभियंता डी. के. सिंह और रेंजन कुमार सहित 10-15 अज्ञात व्यक्तियों ने हमला किया। बताया गया है कि दूबे को अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाने और आरटीआई के माध्यम से भ्रष्टाचार उजागर करने के कारण निशाना बनाया गया। हमले में उनके साथ मारपीट की गई, गाली-गलौज की गई, जान से मारने की कोशिश की गई और उनका मोबाइल फोन भी छीन लिया गया।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि घटना स्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरों में पूरी तरह कैद है। पीड़ित मनोज दूबे ने तत्काल 112 नंबर पर घटना की सूचना दी और विश्वविद्यालय चौकी, गोरखपुर के इंचार्ज को एफआईआर दर्ज करने के लिए तहरीर भी दी थी। लेकिन अब तक कोई FIR दर्ज नहीं की गई और कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस गंभीर मामले में शिवसेना के प्रयागराज जिलाध्यक्ष सोनू सेठ और अन्य पदाधिकारियों ने उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच की मांग की। ज्ञापन में दोषियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई करने, पीड़ित को सुरक्षा उपलब्ध कराने, और लोक निर्माण विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच कराने की मांग शामिल है।
साथ ही, ज्ञापन में यह भी कहा गया कि मनोज दूबे पर लगाई गई धाराओं को खारिज कर उन्हें जेल से तुरंत रिहा किया जाए। ज्ञापन सौंपते समय प्रयागराज जिला के शिवसेना पदाधिकारी और सदस्य भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस मांग का समर्थन किया।
विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस प्रकार की घटनाओं में निष्पक्ष और समयबद्ध कार्रवाई न केवल पीड़ित की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और जनता के विश्वास को भी मजबूत करती है। इस घटना से यह भी स्पष्ट हुआ कि राजनीतिक और सामाजिक दबाव से स्वतंत्र जांच का महत्व कितना अधिक है।
इस ज्ञापन के माध्यम से शिवसेना ने यह संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार और राजनीतिक उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाना किसी भी नागरिक का मूल अधिकार है और इसका पालन प्रशासनिक तंत्र द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
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