Ramji Lal Suman के बयान पर बवाल: Akhilesh Yadav ने दिया साथ, बोले – इतिहास को चुनिंदा तरीके से न खंगाले BJP

News Desk
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रामजीलाल सुमन के बयान पर विवाद: राणा सांगा ‘देशद्रोही’ या ऐतिहासिक संदर्भ?
सपा सांसद का विवादित बयान: ‘हिंदू राणा सांगा के वंशज, मुसलमान बाबर के नहीं’
अखिलेश यादव का समर्थन: ‘इतिहास के पन्ने पलटने पर भाजपा क्यों बिफर रही है?’
संसद में गरमा गई बहस: ‘बाबर को कौन लाया?’
रामजीलाल सुमन के बयान पर बवाल: अखिलेश ने दिया साथ, बोले – इतिहास को चुनिंदा तरीके से न खंगाले BJP
अखिलेश का BJP पर हमला: अगर औरंगजेब का पन्ना पलट सकते हैं, तो राणा सांगा पर चर्चा क्यों नहीं?

भारतीय राजनीति में इतिहास का पन्ना एक बार फिर से उलटा गया है। संसद में समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के बयान ने कोहराम मचा दिया है। सुमन ने राज्यसभा में विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि भारतीय मुसलमान बाबर को अपना आदर्श नहीं मानते, बल्कि वे पैगंबर मुहम्मद और सूफी परंपरा का पालन करते हैं। लेकिन, उन्होंने सवाल उठाया कि बाबर को भारत में लाया कौन?

सुमन ने अपने भाषण में कहा,
“अगर मुसलमानों को बाबर का वंशज कहा जाता है, तो हिंदुओं को गद्दार राणा सांगा का वंशज क्यों न कहा जाए? हम बाबर की आलोचना करते हैं। लेकिन हम राणा सांगा की आलोचना क्यों नहीं करते?”

उनके इस बयान के बाद संसद में हंगामा मच गया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने इस बयान को हिंदू समाज का अपमान बताया और सपा पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया।

अखिलेश यादव का समर्थन: ‘इतिहास के पन्नों की बात’

इस बयान पर उठे विवाद के बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुलकर सुमन के समर्थन में आ गए। उन्होंने कहा,
“यदि भाजपा नेता औरंगजेब पर चर्चा करने के लिए इतिहास को पलट सकते हैं, तो रामजीलाल ने भी इतिहास के एक पन्ने का जिक्र किया है।”

उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इतिहास को चुनिंदा तरीके से खोदने से सच्चाई नहीं बदलेगी। अखिलेश ने सवाल किया,
“भाजपा जब औरंगजेब के अत्याचारों का उल्लेख करती है, तो राणा सांगा का इतिहास क्यों नहीं देखती?”

राणा सांगा और बाबर: ऐतिहासिक संदर्भ पर उठे सवाल

इतिहासकारों के अनुसार, राणा सांगा ने बाबर को भारत में आमंत्रित किया था ताकि वह दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को परास्त कर सके। उस समय की राजनीति में राणा सांगा का उद्देश्य था कि इब्राहिम लोदी के पतन के बाद वे दिल्ली के सिंहासन पर अपना अधिकार जमा सकें।

लेकिन, इतिहास के इस पन्ने पर राजनीति ने विवाद का रूप ले लिया है। भाजपा का कहना है कि राणा सांगा ने विदेशी आक्रमणकारी को आमंत्रित कर भारत की स्वतंत्रता को खतरे में डाला। वहीं, सपा नेता इसे केवल ऐतिहासिक संदर्भ के रूप में देख रहे हैं।

भाजपा का पलटवार: ‘हिंदू समाज का अपमान’

सपा प्रमुख के बयान से तिलमिलाई भाजपा ने इसे हिंदू समाज का अपमान करार दिया। भाजपा प्रवक्ता ने कहा,
“अखिलेश यादव का बयान सपा की हिंदू विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। राणा सांगा भारतीय इतिहास के वीर योद्धा थे, जिन्होंने मुगल आक्रमण का डटकर मुकाबला किया।”

भाजपा ने सपा पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा कि अखिलेश यादव सिर्फ मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं।

सपा की सफाई: ‘इतिहास के तथ्यों का उल्लेख’

सपा नेताओं ने सफाई देते हुए कहा कि रामजीलाल सुमन ने केवल इतिहास के तथ्यों का उल्लेख किया है। सपा प्रवक्ता ने कहा,
“हमने कोई नई बात नहीं कही है। राणा सांगा ने बाबर को आमंत्रित किया था, यह ऐतिहासिक सच्चाई है। भाजपा को इतिहास के पूरे संदर्भ को समझने की जरूरत है।”

इतिहास को चुनिंदा तरीके से न खोदे: अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा को इतिहास की चुनिंदा घटनाओं को नहीं खोदना चाहिए। उन्होंने कहा,
“अगर भाजपा इतिहास को पलटना जारी रखती है, तो लोग यह भी याद रखेंगे कि छत्रपति शिवाजी के राज्याभिषेक के दौरान किसी ने हाथ से उनका अभिषेक नहीं किया था। ऐसा कहा जाता है कि उनका अभिषेक बाएं पैर के अंगूठे से किया गया था। क्या भाजपा आज इसकी निंदा करेगी?”

विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया: राजनीति या इतिहास?

कांग्रेस और बसपा जैसी विपक्षी पार्टियों ने इस पूरे विवाद को राजनीति का रंग देने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा,
“ऐतिहासिक घटनाओं को राजनीति का आधार बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा और सपा दोनों ही इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देकर अपना राजनीतिक लाभ उठा रही हैं।”

बसपा नेता ने कहा,
“ऐसे बयानों से समाज में विद्वेष फैलता है। इतिहास से सीखना चाहिए, न कि उसे हथियार बनाकर समाज को बांटना चाहिए।”

जनता की राय: सोशल मीडिया पर बवाल

इस पूरे विवाद के बीच सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कुछ लोग सुमन के बयान को सही ठहरा रहे हैं, तो कुछ इसे राष्ट्रविरोधी करार दे रहे हैं। ट्विटर पर #राणा_सांगा और #रामजीलाल_सुमन ट्रेंड कर रहे हैं।

एक यूजर ने लिखा,
“इतिहास को राजनीति का औजार बनाना बंद करो। राणा सांगा एक महान योद्धा थे।”

वहीं, दूसरे ने समर्थन करते हुए कहा,
“अगर औरंगजेब की चर्चा हो सकती है, तो राणा सांगा पर क्यों नहीं? सच्चाई को स्वीकारना चाहिए।”

विशेषज्ञों की राय: ‘इतिहास को समझें, न कि तोड़ें-मरोड़ें’

इतिहासकार डॉ. आर.पी. मिश्रा का कहना है,
“राणा सांगा और बाबर का गठजोड़ उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों का परिणाम था। इसे आज के परिप्रेक्ष्य में देखना उचित नहीं है।”

वरिष्ठ पत्रकार नवीन त्रिपाठी ने कहा,
“नेताओं को चाहिए कि वे इतिहास को समझें, न कि राजनीतिक लाभ के लिए तोड़ें-मरोड़ें। इससे समाज में भ्रम पैदा होता है।”

राजनीति में इतिहास का खेल जारी

रामजीलाल सुमन के बयान से शुरू हुआ विवाद अब अखिलेश यादव के समर्थन से और भी बढ़ गया है। भाजपा और सपा के बीच बयानबाजी ने पूरे मुद्दे को सांप्रदायिक रंग दे दिया है।

इस बहस के बीच एक बात स्पष्ट है कि राजनीति में इतिहास का खेल जारी है। नेता जब भी चाहें, इतिहास के पन्नों को पलटकर अपने पक्ष में व्याख्या कर लेते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या इतिहास को इस तरह राजनीति का औजार बनाना उचित है?

समाज को चाहिए कि वह इतिहास से सबक लेकर आगे बढ़े, न कि उसे राजनीतिक हथियार बनाकर समाज में विभाजन पैदा करे।

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