उत्तर प्रदेश के जनपद अमरोहा स्थित सैदनगली कस्बे में जामा मस्जिद को लेकर शिया और सुन्नी समुदाय के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है। असर की नमाज के दौरान दोनों पक्षों के बीच हुई कहासुनी और धक्का-मुक्की का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है। दोनों समुदायों ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं और प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है।
तनाव की शुरुआत और वीडियो वायरल
इस पूरे विवाद की शुरुआत असर की नमाज के समय हुई, जब मस्जिद में शिया और सुन्नी समुदाय के लोगों के बीच कहासुनी हो गई। बात इतनी बढ़ गई कि दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई, जिसका एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस घटना ने क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है और प्रशासन भी स्थिति को नियंत्रित करने में जुट गया है।
सुन्नी पक्ष के लोगों ने जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र सौंपते हुए कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि शिया पक्ष के लोग उन्हें मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोक रहे हैं। दूसरी ओर, शिया पक्ष की ओर से पहले ही इस मामले में सात लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई जा चुकी है, जिनमें से तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
सुन्नी पक्ष के इमाम दानिश रजा ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जब वह शुक्रवार को असर की नमाज अदा कर रहे थे, तब थाना प्रभारी निरीक्षक ने मस्जिद आकर उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया और धमकी भी दी। उनका आरोप है कि पुलिस प्रशासन इस मामले में निष्पक्षता नहीं बरत रहा और एकतरफा कार्रवाई कर रहा है।
इसके अलावा, सुन्नी पक्ष के ही छिद्दा और अनवार नाम के दो व्यक्तियों ने जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र दिया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि 19 मार्च की शाम शिया पक्ष के लोगों ने उनके साथ लाठी-डंडों से मारपीट की। उनका कहना है कि शिया पक्ष के लोग उन्हें मस्जिद में नमाज अदा नहीं करने दे रहे हैं और जबरदस्ती उन्हें बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है।
शिया पक्ष की प्रतिक्रिया
शिया पक्ष की ओर से भी अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए प्रशासन से न्याय की मांग की गई है। शिया समुदाय का कहना है कि वे मस्जिद में अपने धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार इबादत करना चाहते हैं, लेकिन सुन्नी पक्ष इस पर आपत्ति जता रहा है। शिया पक्ष की ओर से पहले ही सात लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, जिसके आधार पर पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।
शिया समुदाय के कुछ लोगों का कहना है कि सुन्नी पक्ष बेवजह विवाद खड़ा कर रहा है और मस्जिद की परंपराओं को बदलने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने पुलिस से अनुरोध किया है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं और किसी भी पक्ष को धार्मिक स्थलों का गलत उपयोग करने से रोका जाए।
इस पूरे मामले को लेकर प्रशासन की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। थाना प्रभारी निरीक्षक दिनेश कुमार शर्मा ने कहा है कि शिया और सुन्नी पक्षों के बीच पहले से चली आ रही शर्तों के अनुसार ही इबादत करने को कहा गया है। उन्होंने इमाम दानिश रजा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने का आरोप निराधार है।
उन्होंने बताया कि इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगातार गश्त की जा रही है और किसी भी स्थिति में कानून अपने हाथ में लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, प्रशासन दोनों समुदायों से अपील कर रहा है कि वे आपसी सौहार्द बनाए रखें और किसी भी तरह की भड़काऊ गतिविधियों से बचें।
मस्जिद विवाद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
सैदनगली की जामा मस्जिद में शिया और सुन्नी दोनों ही समुदायों की उपस्थिति है। इस मस्जिद में लंबे समय से दोनों समुदायों के लोग नमाज अदा करते रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इस मस्जिद को लेकर विवाद गहराने लगा है। शिया और सुन्नी दोनों ही पक्षों के लोग इस मस्जिद पर अपना-अपना अधिकार जताते हैं, जिससे समय-समय पर टकराव की स्थिति बनती रहती है।
यह कोई पहली बार नहीं है जब मस्जिद को लेकर इस तरह का विवाद सामने आया हो। पहले भी कई बार दोनों पक्षों के बीच मतभेद उभर चुके हैं, लेकिन प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद स्थिति सामान्य हो जाती थी। हालांकि, इस बार दोनों पक्षों के बीच तनाव अधिक बढ़ गया है और माहौल बिगड़ता जा रहा है।
भारत में धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है। विभिन्न समुदायों के बीच धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं में भिन्नता होने के कारण कई बार टकराव की स्थिति बनती रहती है। खासतौर पर ऐसे धार्मिक स्थल, जहां एक से अधिक समुदायों की उपस्थिति होती है, वहां अक्सर विवाद उत्पन्न होते हैं।
इस तरह के विवादों को शांतिपूर्वक हल करने के लिए प्रशासन को कड़े नियम बनाने की जरूरत है ताकि धार्मिक स्थलों पर किसी भी प्रकार का टकराव न हो। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों को भी समझदारी और परस्पर सहिष्णुता का परिचय देना चाहिए ताकि सामाजिक सौहार्द बना रहे।
समाज पर प्रभाव और संभावित समाधान
सैदनगली मस्जिद विवाद का असर पूरे इलाके पर देखा जा सकता है। इससे न केवल धार्मिक विभाजन बढ़ता है, बल्कि समाज में तनाव भी उत्पन्न होता है। यदि इस तरह की घटनाओं को समय रहते नहीं रोका गया तो यह बड़े सांप्रदायिक संघर्ष का रूप भी ले सकती हैं।
इस समस्या के समाधान के लिए दोनों समुदायों के धार्मिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को आगे आकर मध्यस्थता करनी चाहिए। बातचीत के जरिए इस मसले को सुलझाने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के विवाद न हों।
इसके अलावा, प्रशासन को निष्पक्षता बरतते हुए दोनों पक्षों की शिकायतों को गंभीरता से लेना चाहिए और उचित समाधान निकालना चाहिए। मस्जिद के प्रबंधन को लेकर भी एक स्पष्ट नीति बनाई जानी चाहिए ताकि किसी भी पक्ष को शिकायत करने का मौका न मिले।
सैदनगली की जामा मस्जिद में शिया और सुन्नी समुदायों के बीच बढ़ते विवाद ने पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल बना दिया है। दोनों पक्षों के आरोप-प्रत्यारोप और प्रशासनिक हस्तक्षेप के बावजूद मसला अभी तक पूरी तरह सुलझ नहीं पाया है।
यह आवश्यक है कि दोनों समुदाय आपसी समझ और सौहार्द बनाए रखते हुए इस विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने का प्रयास करें। प्रशासन को भी निष्पक्ष रुख अपनाते हुए आवश्यक कदम उठाने चाहिए ताकि इलाके में शांति बनी रहे और भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।