Bhitarwar Community Health Center के हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे और सर्दी में प्रसूताओं को चद्दर व कंबल भी नहीं मिल रही
भितरवार । भले ही साल बदल गया हो , Bhitarwar Community Health Center के बीएमओ बदल गए हो, लेकिन भितरवार के एक मात्र Bhitarwar Community Health Center के हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे है और इसकी स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। बता दे कि कड़कड़ाती सर्दी में लोग बाहर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते, गर्म कपड़ों के पहनने के बाद भी ठिठुरन बनी रहती है। इन दिनों सर्दी के आलम के चलते पिछले 5 दिनों से सूर्य देव के भी दर्शन नही हुए।
ऐसे में प्रसूता महिलाओं के परिवार जनों ने स्थानीय मीडिया को बताया कि Bhitarwar Community Health Center के प्रसूता वार्ड में प्रसूता महिलाओं को बैड़ पर बिछाने के लिए चद्दर व ओढऩे के लिए कंबल नहीं मिल पा रहा है। और जिम्मेदार चिकित्सा कर्मियों को इसकी कतई परवाह नहीं है।
अधिकांश महिलाओं व उनके परिजनों ने बताया कि भर्ती होने से लेकर अब तक उन्हें बिछाने के लिए चद्दर व ओढऩे के लिए कम्बल नहीं दी गई है। हालात यह है कि साधन-सम्पन्न परिजनों सर्दी सेबचाव के लिए घरों से अपने साथ ही चद्दर व कम्बल लेकर आना पड़ रहे हैं। लेकिन कई मरीज ऐसे भी है, जो कि इतने समर्थ नहीं है कि अपने साथ चादर, कंबल लेकर आ सके।
ऐसे में बैड पर बिना चद्दर बिछाकर सोना उनकी मजबूरी बनी हुई है। यहां कई बार ऐसे हालात आए लेकिन, अस्पताल प्रबंधन की आंखों पर बेशर्मी की पट्टी इस कदर बंधी है कि इस कुव्यवस्था को देखकर भी नजरअंदाज किया जा रहा है। हालांकि, इस मामले में मीडिया के द्वारा पहले भी इस व्यवस्था को उजागर किया जा चुका है लेकिन, अस्पताल प्रबंधन आश्वासन देकर अपनी गैरजिम्मेदारी पर पर्दा डाल लेता है।
यहां सस्ते सरकारी इलाज की आस में दूर-दूर से गर्भवती महिलाएं और अन्य रोगी पहुंचते हैं लेकिन, कड़ाके की ठंड में इस तरह की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है। इसी कड़ाके की ठंड के Bhitarwar Community Health Center में फैली कुव्यवस्था के बीच दो नवजातों की कड़ाके की सर्दी के कारण हालत बिगड़ गई तो उन्हें आनन – फानन में अस्पताल की बर्न यूनिट में हीट देने के लिए रखा गया तब कहीं जाकर नवजातों की हालत में सुधार आया।
Bhitarwar Community Health Center में प्रसूता कच्छ में नहीं हैं रूम हीटर की व्यवस्था
जहां गलन भरी और हाड कपा देने वाली सर्दी के साथ चल रही शीत लहर से हर कोई परेशान है तो वहीं स्वास्थ्य प्रबंधन इतना लापरवाह बना हुआ है कि जहां प्रसूता महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं को बचाने के लिए पलंग पर चादर नहीं मिल रही है तो उड़ने के लिए कंबल नहीं मिल पा रहा है तो उसके साथ ही सर्दी से बचाव के लिए कच्छ में एक रूम हीटर तक नहीं लगाया गया जिसके कारण नवजात शिशु और उनकी प्रसूता माताएं पड़ रही कड़ाके की ठंड और शीत लहर से कप कपाती हुई नजर आई।
इस दौरान अपनी नवजात शिशु के साथ प्रसूता वार्ड में भर्ती गोहिंदा गांव निवासी महिला लक्ष्मीबाई पत्नी सत्येंद्र सिंह कुशवाह एवं कैरूआ के खोरी गांव की भर्ती महिला हेमा पत्नी कृष्णा और उसके परिजनों ने बताया कि हमें पलंग पर बछाने के लिए चादर भी नहीं दी साथ ही उड़ाने के लिए कंबल भी नहीं दिया हमें मजबूरी बस अपने गांव से बिछाने और ओढ़ने के कपड़े मांगना पड़े तो वही सर्दी से बचाव के लिए कमरे में एक रूम हीटर तक नहीं लगाया गया है जबकि चिकित्सकों और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के लिए कमरों में रूम हीटर लगे हुए हैं।
इसी कड़ाके की सर्दी के बीच रात्रि के समय दोनों ही महिलाओं के नवजात शिशुओं की हालत कड़ाके की सर्दी से बिगड़ गई थी जिन्हें अस्पताल की बर्न यूनिट में भर्ती कराकर इलाज दिया गया तब कहीं जाकर हालत में कुछ सुधार हुआ है।
प्रदेश की सरकार आम गरीब व्यक्ति को बेहतर से बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए निरंतर सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाओं को और सुविधाओं को बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास करने में जुटी हुई है लेकिन धरातल पर सरकार के सारे दावे खोखला साबित हो रहे हैं। क्योंकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भितरवार में इलाज कराने आने वाले मरीज को जहां निशुल्क रूप से सरकार की योजनाओं के अंतर्गत इलाज का लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है तो दूसरी ओर व्यवस्थाओं की बात की जाए तो अस्पताल के अंदर कई अव्यवस्थाएं फैली हुई है
जिसे स्थानीय स्वास्थ्य प्रबंधन से लेकर जिला प्रबंधन तक को स्थानीय लोगों से लेकर मीडिया ने भी समय – समय पर वाकिफ कराया है। लेकिन व्यवस्थाओं में सुधार की जगह सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं और व्यवस्थाएं आज कुव्यवस्थाएं बन गई है। नवजात शिशुओं और प्रसूता महिलाओं की कड़ाके की सर्दी के कारण बिगड़ रही हालत को लेकर एक बार फिर स्थानीय स्वास्थ्य प्रबंधन से लेकर जिला प्रबंधन तक ध्यान आकर्षित कराया गया
लेकिन एक बार फिर आश्वासन व्यवस्था करने का दिया गया आखिर कब तक नवजात शिशुओं और उनकी माता को अस्पताल में मिलने वाली सुविधाओं का लाभ या योजनाओं का लाभ मिल पाएगा यह प्रश्न अस्पताल में भर्ती प्रत्येक मरीज और नवजात शिशु की माताओ के जहन पर दिखाई दे रहा है।
के के शर्मा, भितरवार
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