Delhi के हर जिले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की नामित कोर्ट के गठन को मंजूरी

Aanchalik khabre
By Aanchalik khabre
3 Min Read
aanchalikkhabre.com Delhi हाईकोर्ट

Delhi हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की सहमति पर नामित न्यायालय गठित किये जा रहे

Delhi के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली Delhi सरकार ने Delhi के हर जिले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की दो नामित कोर्ट के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, ताकि अनियमित जमा योजना के मामलों का निपटान जल्द से जल्द किया जा सके। प्रस्ताव को मंजूरी संसद द्वारा पारित अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम (अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम), 2019 की धारा 8 के तहत Delhi उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सहमति पर दी गई है।

aanchalikkhabre.com Delhi Highcourt e1706684200569

अनियमित जमा योजना निषेध अधिनियम, 2019 अनियमित जमा योजनाओं (व्यवसाय के सामान्य पाठ्यक्रम में लिए गए जमाओं के अलावा) पर प्रतिबंध लगाने और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए एक व्यापक तंत्र प्रदान करने के लिए एक अधिनियम है।

अधिनियम के अनुसार, ‘जमा’ का मतलब किसी जमाकर्ता द्वारा एडवांस, लोन या किसी अन्य रूप में प्राप्त धन राशि से है, चाहे उसका प्रतिफल लौटाने का वादा किसी निश्चित अवधि के बाद या नकद या वस्तु के रूप में या निर्दिष्ट सेवा के रूप में ब्याज, बोनस, लाभ या किसी अन्य रूप में किसी लाभ के साथ या उसके बिना हो।

इस तरह के जमा में बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 5 में परिभाषित किसी बैंक या सहकारी बैंक या किसी अन्य बैंकिंग कंपनी से लोन के रूप में प्राप्त राशि, सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों या भारतीय रिजर्व बैंक या किसी क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों या बीमा कंपनियों के साथ पंजीकृत किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी से ऋण या वित्तीय सहायता के रूप में प्राप्त राशि, किसी व्यक्ति द्वारा अपने रिश्तेदारों से लोन के रूप में प्राप्त राशि या किसी फर्म द्वारा अपने किसी साझेदार के रिश्तेदारों से लोन के रूप में प्राप्त राशि या किसी संपत्ति की बिक्री पर विक्रेता से खरीदार द्वारा क्रेडिट के रूप में प्राप्त राशि आदि शामिल नहीं है।

अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से कोई भी जमाकर्ता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी अनियमित जमा योजना के परिप्रेक्ष्य में भागीदारी या नामांकन के लिए विज्ञापन जारी करना, संचालन करना, प्रचार करना या जमा स्वीकार नहीं करेगा।

अधिनियम के अनुसार, निर्दिष्ट न्यायालय के अलावा किसी अन्य न्यायालय का क्षेत्राधिकार नहीं होगा, जिस मामले में इस अधिनियम के प्रावधान लागू होते हैं। इसके साथ ही इस अधिनियम के तहत किसी अपराध पर विचार करते समय या निर्दिष्ट न्यायालय इस अधिनियम के अलावा किसी अन्य अपराध पर भी विचार कर सकता है, जिसके साथ आरोपी भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत उसी ट्रायल में आरोपित किया जा सकता है।

 

See Our Social Media Pages

YouTube:@Aanchalikkhabre

Facebook:@Aanchalikkhabre

Twitter:@Aanchalikkhabre

 

इसे भी पढ़ें – Delhi में बन रहे 5वें Old Age Home से बेसहरा बुजुर्गों को मिलेगा सहारा

TAGGED:
Share This Article
Leave a Comment