ओम्कारेश्वर-राजस्थान का बहुप्रसिद्ध लोकपर्व है गोगा नवमी-आंचलिक ख़बरें-ललित दुबे

News Desk
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गोगा नवमी का यह त्योहार कई राज्यों में मनाया जाता है। यह त्योहार मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विशेष रूप से मनाया जाता है, वेसे यह पर्व राजस्थान का बहुप्रसिद्ध लोकपर्व है। इसे गुग्गा नवमी भी कहा जाता है।

इस वर्ष भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को अर्थात
भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि गोगा नवमी के नाम से प्रसिद्ध है।
इस दिन गोगा देव श्री जाहरवीर का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

इस दिन नागों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि गोगा देव की पूजा करने से सर्प दंश से रक्षा होती है। गोगा देव की पूजा का पर्व श्रावणी पूर्णिमा से आरंभ हो जाती है जो 9 दिनों तक चलता रहता है अर्थार्त नवमी तिथि तक गोगा देव का पूजन किया जाता है इसलिए इसे गोगा नवमी कहा जाता हैं।

गोगा देव महाराज से संबंधित एक किंवदंती के अनुसार गोगा देव का जन्म नाथ संप्रदाय के महायोगी श्री गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से हुआ था। योगी गोरक्षनाथ ने ही इनकी माता बाछल को प्रसाद रूप में अभिमंत्रित गुग्गल दिया था जिसके प्रभाव से महारानी बाछल से गोगा देव (जाहरवीर) का जन्म हुआ था।

जितेन्द्र हटवाल ने कहा कि
इस अवसर पर बाबा जाहरवीर (गोगाजी) के अनुयायी अपने घरों में आपने ईष्टदेव गोगा जी की वेदी बनाकर अखंड ज्योति का जागरण कराते हैं तथा गोगा देव महाराज की शौर्य गाथा एवं जन्म कथा सुनते हैं। इस प्रथा को जाहरवीर का जोत कथा जागरण कहा जाता है। अनेक स्थानों पर आज के दिन मेले लगते हैं और शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। तीर्थ नगरी ओमकारेश्वर के प्रमुख मार्गो पर शोभायात्रा निकाली गई अनेक स्थानों पर भव्य स्वागत किया गया पत्रकार संघ की ओर से ठाकुर मंगल सिंह ललित दुबे मनोज त्रिवेदी आदि ने पूछा तारों से स्वागत करते हुए सल्फर हार की व्यवस्था की
इस दिन गोगा जी को मानने वाले अपने घरों में जाहरवीर पूजा और हवन करके उन्हें खीर तथा मालपुआ का भोग लगाते हैं।

भाद्रपद कृष्ण पक्ष नवमी के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर रोजमर्रा के कामों से निवृत्त होकर खाना आदि बना लेते हे। फिर भोग के लिए खीर, चूरमा, गुलगुले आदि बना ते हे।

महिलाएं वीर गोगाजी महाराज की मिट्टी की बनी प्रतिमा लेकर आती हैं फिर इनकी पूजा करती है। प्रतिमा लाने पर रोली, चावल से तिलक लगाकर बने हुए प्रसाद का भोग लगती हे। कई स्थानों पर तो गोगा देव की घोड़े पर चढ़ी हुई वीर प्रतिमा होती है जिसका पूजन किया जाता है।
तीर्थ नगरी ओमकारेश्वर में गोगा जी की शोभायात्रा ढोल धमाके बाजे गाजे से निकाली गई इस अवसर पर बड़ी संख्या में वाल्मीकि समाज के लोग शामिल हुए देर रात ओमकारेश्वर के बस स्टैंड स्थित छड़ी को ले जा कर पूजा अर्चना की गई

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