देश में फर्जी कंपनियों के द्वारा लगभग 11 हजार करोड़ रुपए की GST चोरी और इनपुट टैक्स क्रेडिट फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद केंद्र सरकार ने व्यावसायिक संस्थानों के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन के नियम सख्त कर दिए हैं। वित्त मंत्रालय द्वारा 14 जून को जारी की गई जीएसटी रजिस्ट्रेशन की नई गाइडलाइन के अनुसार, जीएसटी नंबर के आवेदन के साथ लगाए जाने वाले दस्तावेजों की जांच की जाएगी। वेरिफिकेशन के समय यदि किसी दस्तावेज के बारे में कोई शन्देह होगा तो उसे संबंधित विभाग से क्रॉसचेक कराया जाएगा। शंका का समाधान नहीं होने पर व्यक्तिगत स्पष्टीकरण के लिए शोकॉज नोटिस जारी किया जाएगा। बताते पहले इस संबंध में आधार वेरिफिकेशन आधारित प्रोसेस होने के कारण फिजिकल वेरिफिकेशन का प्रावधान नहीं था।
DGARM करेगा रिस्क रेटिंग
जीएसटी का फर्जीवाड़ा रोकने और फर्जी बिलों के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने के मामलों पर लगाम लगाने के लिए देशभर में 16 मई से शुरू किए गए दस्तावेजों की जांच के क्रम में हजारों फर्जी फर्म सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन करने की प्रक्रिया को सख्त करने का फैसला किया है।बताते चलें कि फर्मों के दस्तावेजों की जांच के अभियान में सैंकड़ों ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें दूसरे व्यक्तियों के पैन कार्ड और आधार नंबर का गलत उपयोग किया गया है। इसमें कम पढ़े-लिखे और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को कुछ पैसों या सरकारी योजनाओं के लाभ का लालच देकर, उनके मोबाइल नंबर भी बदलवा दिए गए। दस्तावेजों में हेरफेर के ऐसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन की नई गाइडलाइन में यह तय किया गया है कि जीएसटी नंबर के आवेदन की प्रोसेसिंग से पहले डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ एनैलिटिक्स एंड रिस्क मैनेजमेंट (डीजीएआरएम) उसकी रिस्क रेटिंग करेगी। ये रेटिंग हाई, मीडियम और लो कैटेगरी के तहत की जाएगी। इसी रेटिंग के आधार पर जीएसटी अधिकारी आवेदन की बारीकी से जांच करने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू करेगा।
दस्तावेजों का वेरिफिकेशन
नई गाइडलाइन के अनुसार अब जीएसटी की वेबसाइट पर आवेदन के साथ अपलोड किए जाने वाले दस्तावेजों (फर्म के पते, जमीन की रजिस्ट्री, प्रॉपर्टी टैक्स रसीद, आधार, पैन, बिजली बिल, बैंक खाते) की बारीकी से जांच की जाएगी। संबंधित सभी दस्तावेज और उन पर लिखी गई जानकारी स्पष्ट होनी चाहिए। इन दस्तावेजों का उन्हें जारी करने वाले विभाग या एजेंसी से भी वेरिफिकेशन कराया जाएगा। इसके लिए जीएसटी आफिसर डीडीएम पोर्टल से संबंधित फर्म की रिस्क रेटिंग रिपोर्ट डाउनलोड कर सकेगा। हाई रिस्क रेटिंग वाले आवेदन की जीएसटी ऑफिसर बेहद बारीकी से जांच करेगा। साथ ही जीएसटी अधिकारी यह भी चेक करेगा कि आवेदनकर्ता के पैन पर पहले कोई जीएसटी नंबर लिया है या नहीं। यदि पहले संबंधित पैन पर जीएसटी नंबर जारी हुए हैं तो उनमें से कितने कैंसिल या सस्पेंड हो चुके हैं। ये भी देखा जाएगा कि आवेदनकर्ता की पहले कोई एप्लीकेशन रिजेक्ट तो नहीं हुई। यदि हुई तो क्यों? यदि जीएसटी आफिसर को फर्म या फैक्टरी के स्थान के बारे में कोई भी शक लगता है तो वह फिजिकल वेरिफिकेशन कराने का निर्णय ले सकेगा।
बताते चलें नई गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि जीएसटी के आवेदन से संबंधित दस्तावेजों का वेरिफिकेशन टाइम बाउंड प्रोसेस में होगा। यदि जीएसटी ऑफिसर किसी दस्तावेज के बारे में कोई क्लेरिफिकेशन या शोकॉज नोटिस जारी करेगा तो उसका समाधान 15 दिन में करना होगा। आवेदन पर 30 दिन के अंदर फैसला करना होगा। बता दें कि इससे पहले आधार वेरिफिकेशन के लिए में फिजिकल वेरिफिकेशन का प्रावधान नहीं था।
ज्ञात हो कि विभाग ने 2022-23 में 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की जीएसटी चोरी होने का अनुमान लगाया है। इस दौरान डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस ने 21 हजार करोड़ रुपए का टैक्स भी वसूली किया है। इसे देखते हुए सीजीएसटी और राज्यों के एसजीएसची अधिकारियों ने फर्जी रजिस्ट्रेशन पर लगाम कसने की कवायद शुरू की है। इसके लिए केंद्र एवं राज्यों के जीएसटी विभागों ने 16 मई से 15 जुलाई तक चलने वाला एक विशेष अभियान शुरू किया है। इस अभियान का मकसद फर्जी बिल, फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन और गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने वालों का पता लगाना है। इस दौरान संदिग्ध जीएसटी खातों की पहचान करने के साथ ही फर्जी बिलों को जीएसटी नेटवर्क से बाहर करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें से फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबरों की पहचान के लिए जीएसटीएन पर व्यापक डेटा विश्लेषण और रिस्क फैक्टर का सहारा लिया जा रहा है।