ग्राम पंचायत मेहगांव होकर निकली Harsi Main Canal टूटने से दो सैकड़ा बीघा से अधिक में किसानो की फसल खराब हो गई
भितरवार। विकासखंड की ग्राम पंचायत मेहगांव होकर निकली Harsi Main Canal की कैनाल गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात्रि टूट गई जिससे भदेश्वर गांव के लगभग 200 बीघा में खडी किसानों की गेहूं की फसल में पानी भर गया और खेत जलमग्न हो गए जिससे दिन रात मेहनत करके खरे पसीने से उगाई गई फसल पानी में बहकर नष्ट हो गई है।
देर रात्रि Harsi Main Canal टूटने की जानकारी जैसे ही भितरवार एसडीएम को लगी तो उन्होंने तत्काल हरसी जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित कर तत्काल नहर का संचालन बंद कराया, अगर समय रहते नहर का संचालन नहीं बंद कराया जाता तो नहर का पानी गांव में भी भर सकता था। जिससे ग्रामीणों का भारी नुकसान होने की संभावना थी।
![Harsi Main Canal टूटने की वजह से किसानो की फसल हुई खराब 2 ग्राम पंचायत मेहगांव होकर निकली Harsi Main Canal टूटी](https://aanchalikkhabre.com/wp-content/uploads/2024/01/aanchalikkhabre.com-Harsi-Main-Canal-%E0%A4%9F%E0%A5%82%E0%A4%9F%E0%A5%80.webp)
हाल ही में किसानों के द्वारा रवि सीजन के लिए बोई गई गेहूं की फसल की अच्छी और गुणवत्तापूर्ण पैदावार हो सके जिसको लेकर फसल में पानी के साथ ही कई प्रकार के उर्वरकों के साथ यूरिया खाद का भी छिड़काव फसल सुरक्षा को लेकर किया गया था। लेकिन जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और अनदेखी के कारण मेहगांव गांव से लगभग 500 मीटर दूर स्थित सिद्धेश्वर गांव की पुलिया के समीप अचानक Harsi Main Canal टूट गई जिससे हजारों गैलन पानी जो किसानों को सिंचाई के लिए नहरो के माध्यम से चीनोर, अमरोल सहित अन्य कई गांव के किसानों के लिए जा रहा था।
वह Harsi Main Canal के टूट जाने से किसानों के लिए बनाए गए सैफन में बह गया जिससे पानी सीधा भदेश्वर के तालाब में किसानों के द्वारा उपजाई गई लगभग 200 से अधिक बीघा गेहूं की फसल में पानी भर गया जिससे खेतों की मिट्टी और लगी गेहूं की फसल भी उखाड़ कर नष्ट हो गई है। वहीं देर रात जब Harsi Main Canal के टूटने की जानकारी भितरवार एसडीएम देवकीनंदन सिंह को लगी तो उन्होंने तत्काल हरसी जल संसाधन विभाग के अधिकारियों निर्देशित करते हुए तत्काल नहर का संचालन बंद कराया नहीं तो नहर का पानी सैफन के माध्यम से गांव में भी पहुंचने की संभावना बनी थी।
जिसको देखते हुए जहां गांव के ग्रामीण भी कड़ाके की हर कपाने वाली सर्दी के बीच परेशान दिखाई दिए। वही देखा जाए तो हरसी जल संसाधन विभाग की लापरवाही या अनदेखी काहे की हर साल नहरो के मेंटेनेंस के लिए लाखों करोड़ों रुपए का बजट शासन द्वारा दिया जाता है लेकिन दिए जा रहे बजट को जिम्मेदारों के द्वारा गोलमाल कर दिया जाता है और बगैर पेट्रोलिंग और बगैर नहर की जांच पड़ताल किए ही नहर में पानी छोड़ दिया जाता है।
जिसके कारण कई गांव के किसानों को फसल की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है तो कई जगह नहर और कुलाबे टूटने से किसने की लाखों करोड़ों रुपए की तैयार होने वाली फसल तैयार होने से पहले ही जलमग्न होकर नष्ट हो जाती है। अभी भी दर्जनों किसानों के खेत नहर के टूटने से जल मग्न बने हुए हैं।
किसानों का आरोप है कि विभाग के अधिकारी सालों साल बीत जाते हैं लेकिन कभी चेक करने नहीं आते और जब नहर टूटती है तो सब चेक करने आते हैं
किसानों का आरोप है कि विभाग के अधिकारी सालों साल बीत जाते हैं लेकिन कभी चेक करने नहीं आते ना ही शिकायत करने पर वह हम सब की सुनवाई करने नहीं आते हैं। जब नहर टूटती है तो सब चेक करने आते हैं और केवल बोरियों को रखकर चले जाते हैं। पानी जब फिर बढ़ता है तो वह फिर टूट जाती है जिससे खेतों में अक्सर पानी भर जाता है और फसल को क्षति पहुंचती है। पीड़ित किसानों का कहना है कि Harsi Main Canal टूटने से हम सभी के खेतों में पानी भर गया है। इससे लगभग 200 से ढाई सौ बीघा से अधिक फसलों का नुकसान हो गया है। हम सब गरीब और छोटे किसान है।
जब भी इसकी शिकायत की गई तो विभाग के अधिकारी कहते हैं कि हमारे पास नहर मेंटेनेंस के लिए ना तो बजट है और ना ही हमारे पास पेट्रोलिंग करने के लिए पर्याप्त समय और स्टाफ, इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिरकार किसानों को सिंचाई के लिए जरूरत पड़ने पर किस प्रकार पानी मिलता होगा और विभागीय अधिकारी शासन से मिलने वाले मेंटेनेंस बजट को कहां कैसे गोलमाल करते हैं जो की एक जांच का विषय है।
Harsi Main Canal टूटने से जिन किसानों की फसल खराब हुई है उन किसानों ने कहा कि खेतों में पानी भरने से हम सभी किसानों का काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। एक बीघा खेत बोने में लगभग 5 से 6 हजार की लागत आती है। हमारी पूरी फसल बर्बाद हो गई है। जब विभागीय अधिकारियों के द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गई तब रात्रि में एसडीएम साहब के माध्यम से सूचना देकर नहर बंद कराई गई नहीं तो कई और अन्य किसानों की सैकड़ो बीघा फसल भी बर्बाद हो सकती थी ऐसी स्थिति में पानी भरने से जो फसल में नुकसान हुआ है उसका उचित मुआवजा भी शासन स्तर से हमें दिया जाए।
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