तारीख – 7 सितंबर 2025
हरियाणा इस समय भीषण बाढ़ की मार झेल रहा है। कई दिनों तक लगातार हुई बारिश और नदियों के उफान ने हालात को बेहद खतरनाक बना दिया है। पांच जिलों – कैथल, सिरसा, हिसार, फरीदाबाद और कुरुक्षेत्र में नदियों का पानी गांवों और खेतों में घुस चुका है। जगह-जगह तटबंध और नाले टूटने से 100 से ज्यादा गांवों में जलभराव की स्थिति बन गई है।
बाढ़ से बिगड़े हालात
घग्गर नदी का पानी कैथल, सिरसा और हिसार जिलों में गांवों को डुबो रहा है। वहीं यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से कुरुक्षेत्र और पानीपत में जमीन कटान और खेतों की बर्बादी हो रही है। नदियों के किनारे बसे ग्रामीण इलाकों में भारी नुकसान देखने को मिल रहा है।
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करीब 2748 गांव किसी न किसी रूप में जलभराव से प्रभावित हैं।
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100 से अधिक गांव पूरी तरह पानी में डूब गए हैं।
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हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है।
जानमाल का नुकसान
बाढ़ ने केवल फसलों और जमीन को ही नहीं बल्कि लोगों की जिंदगी को भी प्रभावित किया है।
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अंबाला में खेतों में पानी भरने से 12 वर्षीय मासूम मनीवर की डूबकर मौत हो गई।
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भिवानी जिले में एक ट्रैक्टर-ट्रॉली बाढ़ के पानी में बह गई, वहीं एक अन्य व्यक्ति का शव सगवान गांव में मिला।
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पानीपत में यमुना नदी के किनारे कटान से करीब 500 एकड़ जमीन बह गई, वहीं नागल इलाके में 150 एकड़ खेत नदी में समा गए।
कुरुक्षेत्र में सबसे गंभीर हालात
इस्माईलाबाद के पास मरकंडा नदी में पानी का बहाव 15 हजार क्यूसेक तक पहुंच गया, जो खतरनाक स्तर से कहीं ऊपर है। यहां के ग्रामीण लगातार पलायन कर रहे हैं और प्रशासन लगातार राहत व बचाव कार्य चला रहा है।
प्रशासन और सेना की मदद
हरियाणा सरकार ने प्रभावित जिलों में एसडीआरएफ और सेना की टीमों को लगाया है। कई स्थानों पर टूटे नालों और तटबंधों की मरम्मत का काम तेजी से किया जा रहा है। चो. छोटूराम नगर ड्रेन के पास टूटे हिस्से को सेना के जवानों ने अस्थायी रूप से रोका है, ताकि पानी का बहाव गांवों की तरफ न जाए।
लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए प्रशासन ने रेस्क्यू बोट्स और राहत शिविर भी लगाए हैं।
किसानों और ग्रामीणों की परेशानी
सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हो रहा है। जिन खेतों में धान, कपास और अन्य खरीफ फसलें खड़ी थीं, वे पूरी तरह जलमग्न हो गई हैं। ग्रामीण इलाकों में पानी भरने से घरों में दरारें आ रही हैं और पशुधन के लिए चारे की समस्या भी बढ़ गई है।
बाढ़ से सीख और भविष्य की तैयारी
हर साल मानसून के दौरान हरियाणा में घग्गर और यमुना जैसी नदियां उफान पर आ जाती हैं। इस बार 2025 की बाढ़ ने यह साबित कर दिया कि जल निकासी और तटबंधों की सुरक्षा को लेकर सरकार को और गंभीर कदम उठाने होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नदी प्रबंधन और ड्रेनेज सिस्टम मजबूत न किया गया तो भविष्य में और भी बड़ी आपदा आ सकती है।
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