भैयालाल धाकड़
विदिशा // प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मंशा है कि देश के युवाओं की रूचि विज्ञान में बढे, गांव-गांव शहर-शहर स्टार्टअप और उद्योग शुरू हों तथा विश्व पटल पर हमारा देश विकसित और आत्मनिर्भर देश के रूप में उभरे। इसी उद्देश्य को पूरा करने के उद्देश्य से हम यहां एकजुट हुए हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि यहां शोधपत्र पढने वाले आगे बढेंगे और सुनने वालों के मन में भी विज्ञान के प्रति रूचि बढेगी। यह बात मध्य प्रदेश शासन के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मंत्री श्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कही। वे एसएटीआई में तीन दिवसीय 38वीं म.प्र. युवा वैज्ञानिक कांग्रेस एवं साइंस फेस्टिवल के शुभारंभ अवसर को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारा दुर्भाग्य है कि कुछ समय पूर्व कोर्स डिजाइन से क्रिएटिविटी लुप्त हो गई थी और सिर्फ निर्देश मानना ही सिखाया जा रहा था। लेकिन अब समय बदला है कोर्स डिजाइन वक्त और जरूरत के हिसाब से बनाए जा रहे हैं। छात्रों की जिज्ञासा बनी रहे और उनका समाधान हो ऐसे प्रयास विश्वविद्यालय और विज्ञान काउंसिल कर रहे हैं। भारत सदियों पहले भी विज्ञान में उन्नत था और विश्व गुरू की भूमिका में था। फिर कुछ समय ऐसा रहा कि लोग इसे भूलते गए। लेकिन अब फिर देश के युवा जाग गए हैं और ग्रामीण विकास, ऊर्जा, स्वास्थ्य, उद्योग के क्षेत्र में रिसर्च कर रहे हैं। दो माह पूर्व हमने विज्ञान महोत्सव मनाया जिसमें दो सौ से अधिक स्टार्टअप और 40 देशों के रिसर्चर्स आए और छात्रों को नए आयडियाज प्राप्त हुए। अब जरूरत है कि युवा विज्ञान में अनुसंधान करें और आत्मनिर्भर व विकसित भारत बनाने में भूमिका निभाएं।
विदिशा शहर छोटा है लेकिन बडा प्यारा हैः डॉ. सुनील कुमार
कार्यक्रम को विशेष अतिथि के रूप में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति डॉ. सुनील कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि विदिशा शहर छोटा है लेकिन बडा प्यारा है। मैं जब भी यहां आता हूं बहुत अपनामन महसूस होता है। एसएटीआई संचालक डॉ. पंडित ने विश्वास दिलाया है कि वे जल्दी ही एसएटीआई को पुनः सक्षम और कायम रहने वाला बना देंगे। उन्हें मेरी शुभकामनाएं। उन्होंने कहा कि हम यहां इस आयोजन में इसलिए हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि हमारा भविष्य सुरक्षित व बेहतर बने। जरूरत इस बात की है कि हम खुले आसमान को निहारें और जिज्ञासाएं बनाए रखें। ऊर्जा के स्रोत खोजें, सारी ऊर्जाएं न्यूक्लियर ही हैं। मुझे अपने छात्र डॉ. अनिल कोठारी पर गर्व है कि वह विज्ञान क्षेत्र में तन्मयता से काम कर रहे हैं।
कृषि फसलों को सुरक्षित करेंः डॉ. मरखेडकर
महाराजा जीवाजीराव एज्युकेशन सोसायटी के सचिव डॉ. लक्ष्मीकांत मरखेडकर ने कहा कि विज्ञान का कार्यक्रम में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का उल्लेख जरूरी है। मैं डॉक्टर होने के नाते यह स्वीकारता हूं कि विज्ञान व तकनीकी के कारण स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत तरक्की हुई है। अब कृषि फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित करने के क्षेत्र में भी युवा वैज्ञानिक काम करें।
अगले साल एमआईटीएस ग्वालियर आएंः रमेश अग्रवाल
पूर्व विधायक एवं बीओजी सदस्य इंजी. रमेश अग्रवाल ने चेयरमेन श्रीमंत सिंधिया की ओर से सभी का अभिनंदन किया और कार्यक्रम की सराहना करते हुए मप्र काउंसिल आफ साइंस एवं टेक्नालॉजी से आग्रह किया कि वे अगले वर्ष 39वीं युवा वैज्ञानिक कांग्रेस एवं साइंस फेस्टिवल एमआईटीएस ग्वालियर में आयोजित करें।
बेहतरीन प्लेटफार्म का उपयोग करेंः डॉ. रानाडे
आईएनएसए के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. अरविंद रानाडे ने कहा कि यह अच्छा अवसर है। यहां सीखें कि कैसे शोध करें और अपने शोध से केसे गौरव प्राप्त करें। मध्य प्रदेश में यह बेहतरीन प्लेटफार्म उपलब्ध है, जिसका उपयोग कर देश के विकास में योगदान दें।
अनुसंधान से ही आत्मनिर्भरताः डॉ. शर्मा
मप्र एटॉमिक पॉवर प्रोजेक्ट के एडीशनल चीफ इंजीनियर डॉ. कमलेश चंद्र शर्मा ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे तकनीकी मंत्री मिले जिन्हें न सिर्फ विज्ञान में रूचि है बल्कि उन्हें गहराई से जानकारी भी है। उन्होंने कहा कि वैष्विक परिदृश्य में जो देश हमें चारों ओर से घेर रहे हैं उन्हें धता बताकर हमें अनुसंधान के बल पर आत्मनिर्भर होना चाहिए।
एसएटीआई को नमनः डॉ. कोठारी
एमपीसीएसटी डायरेक्टर जनरल डॉ. अनिल कोठारी ने कहा कि मैं एसएटीआई को नमन करता हूं, वही मेरा गुरू है। इस आयोजन का शुभारंभ वर्ष 1986 में हुआ, तब से लगातार प्रतिवर्ष यह आयोजित होता है। प्रदेश में एसएटीआई पहला इंजीनियरिंग कॉलेज है जिसे दो बार मेजबानी का सौभाग्य मिला। यह कार्यक्रम आइडिया एक्सचेंज का अवसर उपलब्ध कराता है। अपनी परंपराओं को ध्यान में रखते हुए लोक कल्याण की भावना से रिसर्च होना जरूरी है। उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव का उल्लेख करते हुए कहा कि जब हमारा देश 100वां आजादी महोत्सव मनाए तब 75 से 100 वर्ष के अमृत काल की उपलब्धियां सबसे अधिक होना चाहिए। हमारी मध्यप्रदेश काउंसिल आफ साइंस एंड टेक्नालॉजी वर्तमान में पानी, कृषि, स्वास्थ्य, नए पेटेंट आदि पर काम कर रही है।
संस्था के द्वार खुले हैंः डॉ. पंडित
एसएटीआई संचालक डॉ. आरके पंडित ने सभी उपस्थितजनों का अभिनंदन करते हुए कहा कि विज्ञान की चर्चा के लिए एसएटीआई के द्वार हमेशा खुले हुए हैं। सभी शोधकर्ताओं से उन्होंने आह्वान किया कि वे अपने शोध को यहां प्रस्तुत करें और नए आइडियाज लेकर जाए, फिर पुनः काम करें।
इससे पूर्व गरिमामय कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। इसके बाद शोधार्थियों की एब्सट्रेक्ट पुस्तिका का विमोचन किया गया। कार्यक्रम को मध्यप्रदेश काउंसिल आफ साइंस एंड टेक्नालॉजी भोपाल के डॉ. आरएस भारद्वाज एवं डॉ. मनोज के. राठौर ने भी संबोधित किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट करने के बाद कार्यक्रम समन्वयक डॉ. आरएस भारद्वाज ने सभी शोधार्थियों का संक्षिप्त परिचय दिया। अंत में आभार कार्यक्रम समन्वयक डॉ. जीतेंद्र पाराशर ने प्रस्तुत किया तथा पूरे कार्यक्रम का संचालन छात्रा ईशानी मोहपात्रा ने किया।
इसके अलावा एसएटीआई में दिनभर विज्ञान प्रदर्शनी और ब्रह्मोस मिसाइल, तारा मंडल, आकाश गंगा, नक्षत्र भवन, दूरबीन से तारा दर्शन एवं वैज्ञानिक मॉडल प्रतियोगिताओं की धूम रही। छात्र-छात्राओं ने उत्साह से सभी आयोजनों में भाग लिया। आयोजकों ने बताया कि विज्ञान प्रदर्शनी, ब्रह्मोस मिसाइल, तारा मंडल, आकाश गंगा, नक्षत्र भवन, दूरबीन से तारा दर्शन एवं वैज्ञानिक मॉडल प्रतियोगिताएं शनिवार 18 मार्च को भी जारी रहेंगी। उन्होंने जिले के मिडिल, हाईस्कूल, हायर सेकेंड्री एवं विज्ञान के उच्च शिक्षा विद्यार्थियों से कार्यक्रम का लाभ लेने की अपील की है।