भारत में Tourism को तेजी से बढ़ावा मिल रहा
भारत जितना सुंदर है उतना ही अनोखा और आकर्षक। शायद इसी लिये भारत में Tourism बहुत तेजी से बढ़ा और फला-फूला। देशी-विदेशी सभी सैलानी यहाँ पर्यटन की ओर उन्मुख हुये हैं। हाँ कुछ अपवाद भी है जो इन्हें फलने फूलने में बाधा पहुँचाता है, जैसे आतंकवाद व स्थानीय लोगों का व्यवहार आदि। पर फिर भी Tourism पर आज लोगों का रुझान बढ़ा ही है घटा नहीं है। भारत सरकार ने भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये अनेक महती योजनाएँ बनाई और कार्यान्वित की है।
एक जमाना था “गया को गया…सो गया” जैसी कहावतें खूब प्रचलित थीं। तब घूमना फिरना कुछ गिने चुने लोगों का ही सौभाग्य माना जाता था। उस समय दुनियाँ तय करने के साधन नहीं थे और “लोग हजारों किलो मीटर पैदल यात्रा करते थे। पर आज स्थितियाँ बिलकुल बदल गई हैं। परिवहन में तेजी से तकनीकी क्रांति आई है। जिससे Tourism हर वर्ग के लोगों के लिये आसान हो गया है।Tourism के अनेक पहलू है जैसे सांस्कृतिक पर्यटन, रोमांच और खेलकूद पर्यटन, सम्मेलन पर्यटन ट्रैकिंग पर्यटन, समुद्रतट और अन्य प्राणी पर्यटन, धार्मिक पर्यटन आदि।
पहले भारत में Tourism की कोई खास अहमियत नहीं थी। लेकिन आज यह तेजी से बढ़ने वाला उद्योग बन चुका है, और राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था में अपनी खास भूमिका रखता है। भारत एशिया का पहला देश है जिसने पाँचवे दशक की शुरुआत में ही Tourism को एक व्यवसाय के रूप में मान्यता दिया था, पर खेद की बात है। कि दूसरे देश जिन्होंने बहुत बाद में Tourism को महत्व देना शुरु किया वे इससे आगे निकल गये।
संसार के लगभग 49 करोड़ 9 लाख पर्यटकों में से भारत में केवल लगभग 0.9 प्रतिशत पर्यटक ही आते हैं। जो हमारे लिये खास प्रगति का कोई सूचक नहीं होना चाहिये। भारत में पर्यटन जहाँ एक ओर सामाजिक और आर्थिक लाभ का स्त्रोत है और राष्ट्रीय एकता और अंतर्राष्ट्रीय मेलमिलाप को बढ़ावा देता है, वहीं दूसरी ओर इससे संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में कई शानदार केरियर के मौके भी उपलब्ध है।
हमारे देश में पर्यटन विकास के लिये पर्यटन नीति तैयार की गई है। जिसमें देश के विकास पर बल देते हुये निजी उद्यमियों को भी अधिकाधिक भागीदारी हेतु प्रेरित किया जा रहा है। मसलन, होटल व्यवसाय पर्यटन उद्योग का महत्वपूर्ण अंग हैं। इसके विकास के लिये कई योजनायें तैयार की गई हैं। सरकार ने होटल व्यवसावियों को विचार विमर्श हेतु आमंत्रित किया है। इस बात का भी अध्ययन किया जा रहा है कि राज्यों में पर्यटकों को क्या – क्या सुविधायें मुहैय्या करवाई जा रही है। देश के होटलों को और अधिक सुख सुविधापूर्ण कैसे बनाया जा सकता है। होटल व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिये
नवे होटलों को पाँच वर्ष तक व्यापार कर से छूट रखने की योजना भी बनाई है। नए उद्योगों की भाँति होटलों की विद्युत कटौती पर भी रोक लगाने की कोशिश की जायेगी। पेइंगगेस्ट योजना की भी नई पर्यटन नीति में समीक्षा की जा रही है। सरकार ने पर्यटन विकास संबंधी अन्य कई महत्त्वपूर्ण कार्य एवं निर्णय भी लिये हैं। एक पर्यटन भवन का शिलान्यास किया गया है।
गोमतीनगर लखनऊ में 7630 वर्ग मोटर भूमि पर बना यह पर्यटन भवन अत्याधुनिक संचार साधनों से परिपूर्ण है। इसी में पर्यटक सूचना केन्द्र भारत में पर्यटन जहाँ एक ओर सामाजिक और आर्थिक लाभ का और राष्ट्रीय एकता और अंतर्राष्ट्रीय मेल मिलाप को बढ़ावा देता है, वहीं दूसरी ओर इससे संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में कई शानदार केरियर के मौके भी उपलब्ध है।
भारत में सातवी योजना में घरेलू पर्यटन को खास रूप से सामाजिक और सांस्कृतिक समन्वय एवं राष्ट्रीय एकता के लक्ष्य को पूरा करने वाला बतलाया गया है। केन्द्र राज्य सरकारों और निजी उद्यमियों द्वारा शुरू की गई अवकाश यात्रा रियायत योजनाओं जैसी कई योजनाओं से घरेलू पर्यटन को काफी बढ़ावा मिला। लेकिन महँगी आवास व्यवस्था रेलवे आरक्षण की कठिनाई और पर्यटक स्थलों के बारे में समुचित जानकारी न होने के कारण घरेलू पर्यटन में अपेक्षा के अनुसार वृद्धि नहीं हुई।
भारत में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के काम में अनेक संस्थाएँ व एजेंसियाँ लगी हुई हैं
भारत में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के काम में अनेक संस्थाएँ एजेंसियाँ लगी हुई हैं। इनमें से कुछ हैं – पर्यटन विभाग, भारतीय पर्यटन विकास निगम, भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान और होटल प्रबंध, कैटरिंग प्रौद्योगिकी परिषद। पर्यटन विभाग इन सबका केन्द्र बिंदु हैं। तथा देश में पर्यटन के लिये साधन सुविधायें विकसित करने के लिये मुख्यतः जिम्मेदार हैं।
देश में इसके अनेक पर्यटन कार्यालय हैं और देश के बाहर भी इसके कई कार्यालय हैं। 1966 में स्थापित भारतीय पर्यटन विकास निगम, पर्यटन के सृजन, विकास, और विस्तार के लिये जिम्मेदार है। आवास, भोजन, परिवहन, मनोरंजन खरीदारी और विचार गोष्ठियों का आयोजन आदि की व्यवस्था करके यह पर्यटकों की अनेक प्रकार से सेवा करता है।
भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान (आई आई टी एम ) की नई दिल्ली में जनवरी 1993 में स्थापना हुई थी। यह पर्यटन और यात्रा प्रबंध संबंधी विभिन्न स्तर के पाठ्यक्रम चलाता है। यह संस्थान पर्यटन उद्योग के पर्यवेक्षण और निम्न स्तर के कर्मचारियों की शिक्षण भी प्रदान करता है। पर्यटन के विकास में परिवहन का खास महत्व है। परिवहन के मुख्य साधन हैं वायुयान, रेल और सड़क वाहन। ज्यादातर विदेशी पर्यटक हवाई यात्रा पसंद करते हैं, क्योंकि इससे गंतव्य स्थान तक पहुँचने में कम समय लगता है।
भारत में इंडियन एयरवेज, एयर इंडिया तथा वायुदूत घरेलू पर्यटकों को हवाई यात्रा सुविधा उपलब्ध कराते हैं। इसके अतिरिक्त हवाई यात्रा सुविधा उपलब्ध कराने के लिये कुछ निजी एयरलाइंस भी कार्यरत है, इनके चालक टूर बुकिंग कर्मचारी, टूर प्रबंधक, गाइड, टिकिट सहायक, वायुयान चालक, एयर होस्टेस आदि पर्यटक की सुविधा के लिये उपलब्ध रहते हैं। घरेलू पर्यटन का एक खास अंग है रेल का। भारत की रेल व्यवस्था एशिया की सबसे बड़ी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी व्यवस्था मानी जाती है।
पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सरकार पर्यावरण के संरक्षण के साथ पर्यावरण Tourism शुरु करने जा रही है
भारतीय रेल लगभग 19000 ट्रेन चलाती है और 7000 से अधिक रेलवे स्टेशनों को जोड़ती है। भारत में रेल. लगभग 62000 रुट किलोमीटर चलती हैं। रेलवे लगभग 28 लाख लोगों को नौकरी देती है जिनमें लगभग 14000 अधिकारी होते हैं। रेलवे पर्यटकों को आकर्षित करने’ के लिये “अपनी पसंद से यात्रा करें”, “रियायती वापसी टिकिट” “समूह पर्यटन”, “पहियों पर महल” आदि अनेक योजनाएँ चला रही है। रेलवे ने हाल ही में राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस वंदे मातरम, राम गमन यात्रा जैसा लम्बी दूरी की तेज गति की गाड़ियाँ भी चलाई है जो अनेक नगरों को और महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्रों को जोड़ती है।
सड़क परिवहन भी पर्यटक उद्योग का एक खास अंग है विख्यात और बड़े होटल अकेले एवं समूह – पर्यटकों के लिये सड़क परिवहन को सुविधायें उपलब्ध कराते हैं। इस समय 477 अनुमोदित पर्यटक परिवहन संचालक है, जो पर्यटकों के प्रयोग के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कारें और कोच उपलब्ध कराते हैं। एशियन पर्यटन निःदेशालय ने अपने सर्वे में दावा किया है कि भारत में इस प्रकार के पर्यटन कार्यक्रम से पिछले एक साल में विदेशी पर्यटकों के आगमन में 8 प्रतिशत से लेकर 24 प्रतिशत तर्क वृद्धि हुई हैं।
पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार चूँकि जंगल, समुद्र, पहाड़, नदी, नाले, बाग, बगीचे, जीव – जानवर, आदि पर्यावरण Tourism के प्रधान तत्व हैं, इसलिये सरकार इनके संरक्षण के साथ पर्यावरण Tourism शुरु करने जा रही है। जे शीघ्र ही कार्यान्वित हो गई है। यहाँ कहा गया है कि पर्यावरण Tourism की व्यावसायिक क्षमताएँ बेहद व्यापक, जिनकी ओर भारत सरकार का ध्यान नहीं गया है।
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पश्चिम और अमीर देशों के पर्यटक अपनी एक रूप और कृत्रिम संस्कृति “से ऊब गया है, इसलिये वह भारत की ओर नई तरह से आकर्षित किया जा रहा है।’ इसी प्रकार यदि योजनाओं को सही ढंग से लागू कर लिया गया तो निश्चित रुप से पर्यटन उद्योग के विकास को नई दिशा मिलेगी इसमें कोई शक नहीं।
सुरेश सिंह बैस “शाश्वत
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