Prana Pratishta में शामिल होने के लिए महंत महामंडलेश्वर अनिरुद्ध वन महाराज अयोध्या पहुंचे

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By Aanchalik khabre
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श्री राम के मंदिर की Prana Pratishta में शामिल होंगे अनिरुद्ध वनराज
श्री राम के मंदिर की Prana Pratishta में शामिल होंगे अनिरुद्ध वनराज

श्री राम के मंदिर की Prana Pratishta में शामिल होने के लिए महंत महामंडलेश्वर अनिरुद्ध वन महाराज अयोध्या धाम पहुंचे

भितरवार। भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर की Prana Pratishta महोत्सव में शामिल होने के लिए भितरवार क्षेत्र के सुप्रसिद्ध प्राचीन धूमेश्वर धाम मंदिर के महंत महामंडलेश्वर अनिरुद्ध वन महाराज को आमंत्रण पत्र मिला जिस पर वह संत संगत के साथ मंदिर की Prana Pratishta महोत्सव में शामिल होने के लिए अयोध्या धाम पहुंचे।

aanchalikkhabre.com श्री राम के मंदिर की Prana Pratishta

सोमवार को अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर की Prana Pratishta का आयोजन हो रहा है जिसके आयोजन में शामिल होने के लिए देश-विदेश से कई नामी ग्रामीण हस्तियां और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हो रहे हैं तो वहीं देश भर के कई महान संतों को भी आयोजन में शामिल होने का आमंत्रण भेजा गया है ।

इसी क्रम में भितरवार के प्राचीन धूमेश्वर महादेव मंदिर के संत महामंडलेश्वर अनिरुद्ध वन महाराज को भी आयोजन में शामिल होने का आमंत्रण अयोध्या न्यास ट्रस्ट की ओर से भेजा गया जिस पर वह संत महात्माओं के साथ आयोजन में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंचे इससे पूर्व भगवान भोलेनाथ के भक्तों ने महामंडलेश्वर महाराज श्री का गाजे बाजे के साथ पुष्प करते हुए उन्हें अयोध्या धाम के आयोजन में शामिल होने के लिए रवाना किया।

अनिरुद्ध वन महाराज ने अयोध्या जाने से पूर्व कहा कि देश के इतिहास में 22 जनवरी 2024 का दिन हमेशा याद रखा जाने वाला दिन है

वही महामंडलेश्वर अनिरुद्ध वन महाराज ने अयोध्या जाने से पूर्व कहा कि देश के इतिहास में 22 जनवरी 2024 का दिन हमेशा याद रखा जाने वाला दिन है क्योंकि त्रेता युग में जहां भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटे थे, लेकिन आज वह 500 वर्ष से अधिक समय तक आसमान के नीचे तने तंबू से निकलकर अपने निज भवन में पहुंच रहे हैं।

इसीलिए सभी सनातनी अपने इष्ट भगवान श्री राम के अपने निज मंदिर में पहुंचने पर इस दिन को यादगार बनाने के लिए अपने घरों पर दीपक जलाएं और उक्त दिन को दिवाली के उत्सव की तरह मनाए, तभी सही सनातनी होने का और सनातन में जन्म लेने का उचित अवसर माना जाएगा।

 

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