Jhansi UP : बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में हंगामा फीस न भरने पर परीक्षा से रोके गए छात्रों का उग्र प्रदर्शन

News Desk
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झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में शुक्रवार को उस समय तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई जब एलएलबी के छात्रों ने विश्वविद्यालय का मुख्य गेट बंद कर उग्र प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप था कि फीस न जमा होने के कारण विभागाध्यक्ष (HOD) ने उन्हें सेशनल परीक्षा में बैठने से रोक दिया। इस फैसले से नाराज छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और HOD को हटाने की मांग की।

छात्रों का कहना था कि एससी-एसटी वर्ग के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति अभी तक उनके खातों में नहीं आई है, जिसके कारण वे फीस जमा नहीं कर पाए। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया और मांग की कि जब तक उनकी स्कॉलरशिप नहीं आती, तब तक उन्हें परीक्षा में बैठने दिया जाए।

इस मुद्दे को लेकर छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच बातचीत विफल रही, जिसके बाद छात्रों ने विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया। उन्होंने मुख्य द्वार को बंद कर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।

HOD पर जातिगत टिप्पणी का आरोप

प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने आरोप लगाया कि जब वे अपनी समस्या लेकर HOD के पास गए तो उन्होंने न केवल उनकी बात को अनसुना किया, बल्कि जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर उनके साथ अभद्र व्यवहार किया।

एक छात्र ने बताया, “हमने HOD से विनती की कि जब तक छात्रवृत्ति नहीं आती, हमें परीक्षा देने की अनुमति दी जाए, लेकिन उन्होंने हमारी बात सुनने की बजाय हमें अपमानित किया और जातिगत गालियां दीं। यह पूरी तरह से अन्याय है।”

छात्रों ने यह भी दावा किया कि पहले भी इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इस बार मामला अधिक गंभीर हो गया क्योंकि छात्रों को परीक्षा से वंचित कर दिया गया।

प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर कुलपति से मिलने की कोशिश की, लेकिन उन्हें रोका गया। इसके बाद छात्रों ने विश्वविद्यालय के मुख्य गेट को बंद कर दिया और जोरदार प्रदर्शन किया।

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SC-ST छात्रों की छात्रवृत्ति जल्द जारी की जाए।

HOD को उनके पद से तुरंत हटाया जाए।

परीक्षा से रोके गए छात्रों को तुरंत सेशनल परीक्षा में बैठने दिया जाए।

जातिगत भेदभाव करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को शांत करने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती गई और हंगामा बढ़ता गया।

छात्रों का कहना था कि प्रशासन जानबूझकर उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर रहा है। “हर साल यही समस्या होती है, लेकिन इस बार हम पीछे नहीं हटेंगे,” एक छात्र ने कहा।

भारी पुलिस बल की तैनाती, गेट खुलवाया गया

स्थिति बिगड़ती देख विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी। कुछ ही देर में भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा और छात्रों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन छात्र अपनी मांगों पर अड़े रहे।

करीब दो घंटे तक चले इस प्रदर्शन के बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर छात्रों को गेट से हटाया और विश्वविद्यालय का मुख्य प्रवेश द्वार खुलवाया। हालांकि, छात्र लगातार HOD को हटाने की मांग पर अड़े रहे और धरने पर बैठ गए।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमने छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की है। विश्वविद्यालय प्रशासन को उनके मुद्दों पर विचार करने के लिए कहा गया है। छात्रों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश की जाएगी।”

पुलिस प्रशासन ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को यह आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा और उचित कार्रवाई की जाएगी।

HOD का बचाव, छात्रों के आरोप निराधार बताए

वहीं, एलएलबी विभाग के HOD ने छात्रों के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि “विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार जिन छात्रों की फीस जमा नहीं होती, उन्हें परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह किसी एक व्यक्ति का फैसला नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय की नीति है। जातिगत गालियों के आरोप भी निराधार हैं।”

उन्होंने कहा कि छात्रों की छात्रवृत्ति से संबंधित समस्या राज्य सरकार के अधीन है और विश्वविद्यालय इसमें कुछ नहीं कर सकता। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे प्रशासन से बातचीत कर हल निकालें और पढ़ाई पर ध्यान दें।

HOD ने यह भी कहा कि छात्रों को नियमों का पालन करना चाहिए और प्रशासन के खिलाफ इस तरह के प्रदर्शन से बचना चाहिए।

छात्र बोले – जब तक न्याय नहीं मिलेगा, संघर्ष जारी रहेगा

हालांकि, छात्रों ने HOD के बयान को खारिज करते हुए कहा कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जातीं, वे प्रदर्शन जारी रखेंगे।

एक छात्र ने कहा, “हमारे साथ हर साल यही होता है। छात्रवृत्ति समय पर नहीं आती और हमें फीस जमा करने के लिए मजबूर किया जाता है। गरीब छात्रों के पास इतने पैसे नहीं होते, तो क्या वे पढ़ाई छोड़ दें? विश्वविद्यालय प्रशासन को हमारी मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए।”

छात्रों ने यह भी कहा कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो वे बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।

इस पूरे मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि वे छात्रों की शिकायतों को गंभीरता से लेंगे और उच्च अधिकारियों से बातचीत कर जल्द समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।

कुलपति ने छात्रों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं पर विचार किया जाएगा और संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे।

छात्रों ने कहा कि यदि प्रशासन उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लेता, तो वे प्रदर्शन को और तेज करेंगे और राज्य सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाएंगे।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में हुआ यह हंगामा केवल परीक्षा देने के मुद्दे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें जातिगत भेदभाव और प्रशासनिक लापरवाही के आरोप भी जुड़े। छात्रों का कहना था कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जातीं, वे आंदोलन जारी रखेंगे।

अब देखना होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले का हल निकालता है या नहीं। यदि छात्रों की मांगे पूरी नहीं होतीं, तो यह विवाद और गहरा सकता है।

 

 

 

 

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