छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में गूंजीं गोलियां, नक्सलियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई! | Naxal Enxounter

News Desk
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छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में गूंजीं गोलियां, नक्सलियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई!
दंतेवाड़ा-बीजापुर सीमा पर भड़की जंग, तड़तड़ाई गोलियां
छत्तीसगढ़ के जंगलों में फिर गूंजीं गोलियां, पुलिस-नक्सलियों के बीच भयानक मुठभेड़!
दंतेवाड़ा-बीजापुर सीमा पर ताबड़तोड़ फायरिंग, 500 जवानों ने नक्सलियों को घेरा!
ऑपरेशन ‘नक्सल मुक्त भारत’ का बड़ा वार, जंगल में छिपे 5 नक्सली मारे गए!
घातक हमले से कांपे नक्सली, सुरक्षाबलों ने तीन शव बरामद कर हथियार किए जब्त!
पुलिस की बड़ी कार्रवाई, इंद्रावती नदी के पास नक्सलियों के गढ़ में धावा!
सुबह 8 बजे शुरू हुआ ऑपरेशन, जंगल में घंटों गूंजती रहीं गोलियां!

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले की सीमा पर मंगलवार सुबह का सूरज अभी ठीक से निकला भी नहीं था कि अचानक गोलियों की गूंज से जंगल का सन्नाटा टूट गया। पुलिस और नक्सलियों के बीच एक भीषण मुठभेड़ छिड़ गई। देखते ही देखते पूरा इलाका युद्धक्षेत्र में तब्दील हो गया। चारों तरफ सिर्फ गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई देने लगी।

सुरक्षा बलों ने किया घातक हमला, तीन शव बरामद
मिली जानकारी के अनुसार, इस मुठभेड़ में अब तक पांच नक्सलियों के मारे जाने की खबर है, हालांकि पुलिस को तीन के शव बरामद हुए हैं। सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के गढ़ में पूरी तैयारी के साथ धावा बोला और उन्हें चारों ओर से घेर लिया। इस कार्रवाई में INSAS राइफल, 303 और 315 बोर की बंदूकें बरामद हुई हैं।

500 से ज्यादा जवानों ने संभाला मोर्चा, नक्सली लीडरों की तलाश जारी

सूत्रों के अनुसार, इस अभियान में 500 से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया था। जानकारी मिली थी कि इंद्रावती नदी के पार नक्सलियों के बड़े लीडर जमा हो रहे थे। इसे देखते हुए जवानों ने एक दिन पहले ही इलाके में डेरा डाल लिया था। जैसे ही नक्सली सुरक्षा बलों के घेरे में आए, अचानक भारी गोलीबारी शुरू हो गई।

सुबह 8 बजे शुरू हुआ ऑपरेशन, घंटों चला संघर्ष

दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक गौरव राय के मुताबिक, यह मुठभेड़ सुबह करीब 8 बजे शुरू हुई। जंगलों में छिपे नक्सलियों ने जवानों को देखते ही गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। लेकिन सुरक्षाबलों ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया। दोनों तरफ से ताबड़तोड़ फायरिंग होती रही और आखिरकार पुलिस ने तीन नक्सलियों को मार गिराया।

मुठभेड़ के दौरान जंगल में धुआं और गोलियों की आवाज गूंजती रही। सुरक्षा बलों ने धीरे-धीरे इलाके पर कब्जा जमाया और नक्सलियों के ठिकानों की तलाशी शुरू कर दी। अभी सर्च ऑपरेशन जारी है और मारे गए नक्सलियों की संख्या बढ़ सकती है।

इंद्रावती नदी के पास नक्सलियों का बड़ा जमावड़ा, जवानों ने कसा शिकंजा

सूत्रों के मुताबिक, नक्सलियों के खिलाफ यह अभियान पिछले कई दिनों से चल रहा था। इंद्रावती नदी के पास नक्सलियों के बड़े समूह के छिपे होने की सूचना मिलने के बाद दंतेवाड़ा और बीजापुर दोनों जिलों की पुलिस ने संयुक्त अभियान छेड़ा। जवानों ने धीरे-धीरे इलाके की घेराबंदी की और जब नक्सली फंस गए, तब ऑपरेशन शुरू किया गया।

20 मार्च को भी हुई थी भयानक मुठभेड़, 30 नक्सली ढेर

इससे पहले, 20 मार्च को छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों को करारा जवाब दिया था। बीजापुर और कांकेर जिले में अलग-अलग मुठभेड़ों में कुल 30 नक्सली मारे गए थे।

बीजापुर में हुई मुठभेड़ में 26 नक्सली ढेर हुए, जबकि कांकेर में चार नक्सलियों को मार गिराया गया। बीजापुर जिले की रिजर्व गार्ड (DRG) के एक जवान ने भी इस ऑपरेशन में शहादत दी थी।

गृहमंत्री ने की थी सुरक्षाबलों की सराहना

इस ऑपरेशन के बाद केंद्रीय गृहमंत्री ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर सुरक्षाबलों की बहादुरी को सलाम किया। उन्होंने लिखा,

“नक्सलमुक्त भारत अभियान की दिशा में हमारे जवानों ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। छत्तीसगढ़ के बीजापुर और कांकेर में हमारे सुरक्षाबलों के दो अलग-अलग ऑपरेशन्स में 30 नक्सली ढेर कर दिए गए हैं।”

गृह मंत्रालय का साफ संदेश था कि सरकार नक्सलवाद के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरतने वाली है।

नक्सलियों के खिलाफ जारी रहेगा ऑपरेशन

छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबल मिलकर अब नक्सल प्रभावित इलाकों में ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहे हैं। बीते कुछ महीनों में कई बड़े ऑपरेशन किए गए हैं, जिसमें नक्सलियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। सुरक्षाबलों का कहना है कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक छत्तीसगढ़ पूरी तरह नक्सलमुक्त नहीं हो जाता।

जनता में खुशी, लेकिन डर भी बरकरार

इस सफल ऑपरेशन के बाद स्थानीय लोगों में एक ओर खुशी का माहौल है, क्योंकि इससे नक्सलियों के आतंक का खात्मा होने की उम्मीद बढ़ी है। लेकिन दूसरी ओर, नक्सलियों की ओर से किसी बड़े हमले की आशंका भी बनी हुई है। सुरक्षा एजेंसियां इस खतरे को लेकर अलर्ट पर हैं और गश्त बढ़ा दी गई है।

नक्सलवाद का अंत कब होगा?

छत्तीसगढ़ और झारखंड के जंगलों में दशकों से फैले नक्सल आतंक का खात्मा करने के लिए सरकार और सुरक्षाबल लगातार अभियान चला रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में नक्सलियों की ताकत कमजोर पड़ी है, लेकिन खतरा अभी भी बरकरार है।

सरकार का दावा है कि आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ को पूरी तरह से नक्सलमुक्त बना दिया जाएगा। लेकिन यह तब तक संभव नहीं जब तक स्थानीय लोगों को शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जाती।

क्या यह नक्सलियों के अंत की शुरुआत है?

दंतेवाड़ा और बीजापुर की सीमा पर हुए इस भीषण संघर्ष ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अब नक्सलियों के लिए जंगलों में भी सुरक्षित पनाह नहीं बची। सुरक्षाबल एक के बाद एक सफल ऑपरेशन कर रहे हैं और नक्सलियों के मजबूत गढ़ों को नेस्तनाबूद कर रहे हैं।

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या यह ऑपरेशन नक्सलवाद के अंत की शुरुआत है? या फिर नक्सली एक बार फिर regroup होकर किसी बड़े हमले की साजिश रचेंगे?

देश की नजरें अब आने वाले दिनों में होने वाली कार्रवाई पर टिकी हैं…!

 

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