यादें हुसैन असल में मरगे यजीद है
इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद
उत्तर प्रदेश के जिला बरेली में पहली मोहर्रम से लेकर नौ मुहर्रम तक इमामबाड़े घरों में जिक्रे शहीदे कर्बला की महफिल मजलिस हुई जुम्मे रात के दिन भी हजरत सैयदना इमाम हुसैन वा उनके जान इशारों की शहादत को याद करते हुए सिराजी अकीदत पेश की गई जिन्हें को मोहर्रम की दसवीं तारीख है बिना जुलूस सोशल डिस्टेंसिंग में कर्बला तक अलम लेकर हुसैन के चाहने वाले गए वही इमामबाड़ा में सजा कर नियाज फातिहा की गई घरों से लेकर इमामबाड़ों तक इमाम हुसैन और उनके जानिसारो के लिए इसाले सवाब के लिए सुन्नियों ने रोजा रखा बरेली से पुलिस प्रशासन की बेहतरीन कारगुजारी और अच्छे व्यवहार के लिए इमाम बाडो पर पगड़ी बांधकर पुलिस प्रशासन को सम्मानित किया गया ताजिए दारो ने पुलिस प्रशासन के लोगों को गले लगा कर सद्भावना का भी पैगाम दिया जी हां इमाम हुसैन का पैगाम भी यही था सब अल्लाह के बंदे हैं सबसे मोहब्बत करो