बसपा के नेता पीटने के बावजूद खामोश? BMP के प्रति बढ रहा दलितों का रूझान-आँचलिक ख़बरें-एडवोकेट इन्तखाब आजाद*

News Desk
5 Min Read
logo

सहारनपुर 【उत्तर प्रदेश】 जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान दिल्ली रोड स्थित सेक्टर 99 में बसपा के घोषित प्रत्याशी नवीन खटाना और उनके समर्थको द्वारा बसपा के दो बड़े नेता और एक पूर्व पदाधिकारी के साथ जाति सूचक शब्द कहते हुए, ना केवल जमकर गाली-गलौज हुई बल्कि सार्वजनिक रूप से पार्टी के तमाम छोटे-बड़े नेताओं की मौजूदगी में बसपा के इन दोनों दलित नेताओं को लात घुससो और थप्पड़ मुककों से जमकर पिटाई भी की गयी । मगर अफसोस की बात कि छोटी-छोटी बातों पर फर्जी तरीके से एससी एसटी एक्ट लगवा कर बेगुनाह लोगों को फंसाने का काम करने वाले इन दलित नेताओं की आज तक इतनी हिम्मत नहीं हुई कि जिन लोगों ने इन्हें सार्वजनिक रूप से गाली-गलौज और जाति सूचक शब्द कहते हुए सरेआम लात घुससो से पिटाई की है , लेकिन उनके विरुद्ध FIR तो बहुत बड़ी बात है अब तक पीड़ित नेता NCR तक नहीं कटवा पाए? यह इन नेताओं की विडंबना कहें या दुर्भाग्य ? इसके पीछे का सच क्या है? दरअसल कारण यह है कि जहां गड्ढा होता है वही पानी जमा होता और वहीं मरता भी है। जो आरोप रुपए हड़पने के इन्होंने इन बसपा नेताओं पर लगाते हुए कानूनी कार्रवाई हेतु पुलिस कप्तान को पत्र दिया था उस बात में 100% सच्चाई है और बसपा के यह नेता नहीं चाहते, कि बात को आगे बढ़ा कर गंदगी फैलाई जाए इसलिए वह अपने साथ हुई मार पिटाई, कहे गए जातिसूचक शब्दों को अपमान का घूंट समझ कर चुपचाप घूंट रहे हैं।
■ यही वो कारण है कि बसपा के साथ मुद्दतों से जमीन पर कार्य कर रहे नेता, अपनी घोर उपेक्षा और दौलत वालों को बसपा नेताओं द्वारा गोद मे बिठाकर तरजीह देने के कारण ही अपना सम्मान बचाने की खातिर अब एक-एक कर बसपा को लात मारकर सब पुराने नेता भीम आर्मी के राजनीतिक दल आजाद समाज पार्टी और बामसेफ द्वारा समर्थित बहुजन मुक्ति पार्टी के साथ जुड़ रहे हैं। बसपा के ही एक बड़े दलित नेता का कहना है कि बसपा अब बहुनों की पार्टी ना रहकर सिर्फ दौलत वालों की ही पार्टी बनकर रह गई है और बसपा का सहारनपुर में इतिहास रहा है कि बाहरी यानी दूसरे राजनीतिक दलों के वो नेता जिन्होंने कभी दलित लोगों पर जुल्म ढाए थे उन्हीं नेताओं को इन्होंने प्रमुख से लेकर विधायक सांसद तक बनवाया है और उसके पीछे सिर्फ एक ही कारण है कि बसपा नेताओं को रोटी से ज्यादा नोटों की भूख है। जन चर्चा और बसपा के घोषित जिला पंचायत अध्यक्ष पद प्रत्याशी द्वारा पुलिस कप्तान को दिए गए प्रार्थना पत्र के मुताबिक बसपा के नेता क्षेत्र पंचायत सदस्य से लेकर जिला पंचायत सदस्य अध्यक्ष विधायक और सांसद तक का प्रत्याशी बनाए जाने के एवज में नेताओं और माफिया टाइप लोगों से मोटी रकम वसूल कर पूरे समाज का सौदा करोड़ों रुपए में कर डालते हैं उससे बसपा के नेताओं को तो सुख सुविधाएं मिल जाती हैं लेकिन बसपा के वोट बैंक को कुछ भी नहीं मिलता।
■ यही कारण है कि बसपा के उपरोक्त नेता छित पिट कर सरेआम अपमानित होकर जातिसूचक शब्दों से शोभायमान होकर आज चुपचाप अपनी पिटाई प्रकरण पर पर्दा डालने मे लगे हुए हैं यदि इनकी जगह कोई मुसलमान होता, तो एक के साथ 10 लोगों को यह फर्जी तरीके से बसपा के नेता एससी एसटी एक्ट में फंसा कर जेल भिजवा देते। कुल मिलाकर बात यह है कि बसपा का जनाधार दिन-ब-दिन सहारनपुर में सीमटता जा रहा है और दलितों का रुझान बहुजन मुक्ति पार्टी और आजाद समाज पार्टी की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद बसपा के नेता ऐसे प्रत्याशियों की विधानसभा के चुनाव हेतु खोज में लगे हैं जो इनके पेट की भूख को नोटों की गड्डीयों से शांत करा सकें यानी अब भी जमीन से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं का कोई सम्मान बसपा में नहीं रहा है।

Share This Article
Leave a Comment