नवलगढ़ के सांवरमल गर्वा के छलके आंसू
पिता की देखभाल के लिए बच्चे ने छोड़ी पढ़ाई
झुंझुनू।झुंझुनू जिले के नवलगढ़ वार्ड नंबर 34 निवासी नदीपूरा इलाके के रहने वाले सांवरमल गर्वा जिसकी उम्र झुंझुनू के राजकीय भगवानदास खेतान अस्पताल के मेडिकल बोर्ड द्वारा 36 साल बताई गई है वहीं उनके चेहरे को देखकर ऐसा आभास होता है कि वह है 50 साल की उम्र के पार। यहां यह जरूरी हो जाता है बताना कि सांवरमल गर्वा ऐसी हालत आखिर हुई क्यों गौरतलब है कि सांवरमल गर्वा का 6 माह पहले राजमिस्त्री का काम करते हुए 11हजार की विधुतलाइन के छूने से मिले करंट की वजह से अपने दोनों हाथ गवां चुके हैं साथ ही गरीबी की हालत में जीवन बसर करने वाले सांवरमल आज इस स्थिति में है। वह अपनी पत्नी बच्चे के साथ दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है, कभी जिला कलेक्टर कार्यालय तो कभी पुलिस अधीक्षक कार्यालय झुंझुनू वहीं नवलगढ़ थाना क्षेत्र में भी बार-बार अपनी फरियाद लेकर पहुंच रहे हैं लेकिन उनकी फरियाद पर कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऊपर वाला भी कभी-कभी गरीबों के साथ अच्छा मजाक करता है तभी तो कहा गया है राम के साथ रूठा राज भी। यह कहावत बिल्कुल सही चरितार्थ हो रही है नवलगढ़ के सांवरमल गर्वा के ऊपर।सांवरमल के दोनों हाथ हादसे में गवां देने से जहां रोजी-रोटी का संकट है वहीं उनकी देखभाल के लिए उनके 15 वर्षीय बच्चे ने भी दसवीं कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ने को मजबूर होना पड़ा।साथ ही सांवरमल पत्नी व 5 वर्षीय बच्चे के साथ विभिन्न कार्यालयों में लगा रहे हैं चक्कर। देखने वाली बात यह है कि सांवरमल का मेडिकल बोर्ड द्वारा 100% विकलांग सर्टिफिकेट भी बन चुका है वहीं अभी तक किसी प्रकार की कोई सहायता ना मिलना अपने आप में बड़ी बात है, वह चाहे मुख्यमंत्री सहायता कोष हो या पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत लाभ मिलना अभी तक किसी भी प्रकार के वित्तीय सहायता से दूर हैं सावरमल गर्वा का परिवार।परिवार में नहीं कोई कमाने वाला। सांवरमल के 100 वर्षीय पिता किशन लाल जिन्हें आंखों से बिल्कुल दिखाई नहीं देता है वह भी चारपाई पर ही रहने को मजबूर है वही पीड़ित की पत्नी घर-घर कोई छोटा-मोटा काम करने की सोचें तो सामने दिखाई दे रहा पति व ससुर की सेवा व बच्चों का पालन,लेकिन क्या करें पीड़ित की पत्नि अनिता।बेटा भी पिता की ऐसी हालत देख ओर जरूरत को समझते हुए अपनी पढ़ाई भी त्याग चुका है।इस संकट की घड़ी में हर कोई उम्मीद करता है प्रशासन व भामाशाहों से लेकिन पीड़ित की पत्नि का अब विश्वास उठने लगा है।उसकी उम्मीद बिल्कुल टूट चुकी है,प्रशासन व भामाशाहों से। झुंझुनू के जिला कलेक्टर रवि जैन को माना जाता है अति संवेदनशील अधिकारी जो जनता के चहेते कलेक्टर के नाम से भी जाने जाते हैं उनकी भी अभी तक इस परिवार पर कोई रहमोकरम देखने को नहीं मिला है।आखों से आंसू छलक पड़े सावरमल गर्वा के आपबीती बतातेहुए उनका कहना है कि हर जगह मैंने लगाई है अर्जी, अब मेरी अर्जी सुनें तो मानू मैं उसे राम।