मनोज जैन
ओंकारेश्वर – ( नि प्र ) मनुष्य के पास वर्तमान में पूजन पाठ एवं धर्म-कर्म के लिए समय नहीं है सत्संग जीवन में जरूरी है जो व्यक्ति भगवान की भक्ति दान पुण्य करता है उसे ईश्वर की शक्ति प्राप्त होती है कभी परेशान नहीं होता
पंडित कमल किशोर जी नागर ने श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा दान सत्संग भजन का मीनिंग ही धर्म और पुण्य है जप नाम की नाव से पार हो जाओ
हर जन्म में मनुष्य मनुष्य योनि ही एक ऐसी योनी है जिसमें भजन हो सकता है बोलते तो सब जानवर हैं जानवर केवल बोलते हैं मनुष्य भजन करता है गाय ने अगर सिंग मार दिया तो पाप नहीं लगेगा गाय ने दूध दिया तो पुण्य भी नहीं लगेगा लेकिन मनुष्य ने पत्थर मारा तो पाप लगेगा और किसी को सहारा दिया तो पुण्य लगेगा राजाजड़ भरत की कथा का वृतांत बताते हुए कहा जिनके पास धन का संग्रह ज्यादा हो जाता है उन्होंने दान रूपीनहर काट देना चाहिए और यदिधन संग्रह रुपी बांध टूट गया तो सब कुछ समाप्त हो जाएगा कथा के तीसरे दिन पंडित कमल किशोर जी नगर ने धर्म सभा में बताते हुए ओम नमो भगवते वासुदेवा के ‘ आखण्ड जाप करवा कर कथा का समापन किया।