Pamban Bridge Vertical Lift Sea Bridge Inaugration
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Ram Navami के पावन पर्व पर भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज का उद्घाटन किया। यह Pamban Bridge Inauguration न केवल एक तकनीकी चमत्कार है बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी है। Rameshwaram में स्थित यह पुल अब देश की इंजीनियरिंग क्षमता और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक बन गया है।
समुद्र के ऊपर खड़ा एक स्वप्न: Pamban Bridge
यह नया pamban bridge भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे ब्रिज है, जिसे रामेश्वरम द्वीप को मुख्य भूमि से जोड़ने के लिए बनाया गया है। यह पुल 2.08 किलोमीटर लंबा है और इसमें कुल 99 स्पैन हैं। इसका सबसे खास हिस्सा है 72.5 मीटर लंबा लिफ्टिंग सेक्शन जो 17 मीटर की ऊंचाई तक उठ सकता है, जिससे बड़े जहाज आराम से नीचे से गुजर सकते हैं। यह डिज़ाइन इतना शक्तिशाली है कि ट्रेनें और जहाज दोनों बिना रुके अपने-अपने रास्ते पर चल सकते हैं।
Pamban Bridge Inauguration के दौरान प्रधानमंत्री का संबोधन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोपहर करीब 1 बजे इस ऐतिहासिक पुल का उद्घाटन किया और Rameshwaram से तांब्रम (चेन्नई) के बीच एक नई ट्रेन सेवा को भी हरी झंडी दिखाई। इस मौके पर उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक ब्रिज नहीं, बल्कि भविष्य के भारत की नींव है। यह पुल दिखाता है कि हम परंपरा और प्रौद्योगिकी को एक साथ कैसे आगे ले जा सकते हैं।”
उन्होंने भारतीय रेल और रेलवे मंत्रालय को इस अद्भुत परियोजना के लिए बधाई दी और साथ ही कहा कि pamban bridge ना सिर्फ भौगोलिक दूरी को जोड़ता है बल्कि दिलों को भी जोड़ता है।
550 करोड़ की लागत और 100 साल की विरासत
इस ब्रिज को बनाने में 550 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई है। यह नया पुल 1914 में बने पहले पंबन ब्रिज( pamban bridge )की जगह लेगा जिसे ब्रिटिश इंजीनियरों ने बनाया था। उस पुराने पुल का शेरजर रोलिंग लिफ्ट डिज़ाइन था, जो अपने समय की एक इंजीनियरिंग चमत्कार था। लेकिन बढ़ते ट्रैफिक और समुद्री क्षरण को देखते हुए 2019 में एक नए ब्रिज के निर्माण की आवश्यकता महसूस की गई।
Pamban Bridge Rameshwaram – धार्मिक आस्था और तकनीकी भविष्य का संगम
Rameshwaram हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है और रामायण काल से ही इसका विशेष महत्व रहा है। माना जाता है कि भगवान राम ने यहीं से लंका जाने के लिए रामसेतु का निर्माण शुरू किया था। ऐसे में यहां पर pamban bridge inauguration होना अपने आप में धार्मिक और राष्ट्रीय गौरव की बात है। यह ब्रिज आज के आधुनिक भारत के आत्मविश्वास और उसकी आध्यात्मिक परंपरा के बीच का मजबूत सेतु बन गया है।
आधुनिक इंजीनियरिंग की मिसाल
रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) ने इस ब्रिज का निर्माण किया है। समुद्र की लहरों, चक्रवातों और भूकंप की संवेदनशीलता के बावजूद इंजीनियरों ने इसका मजबूत और सुरक्षित डिज़ाइन तैयार किया। निर्माण के दौरान पर्यावरणीय चुनौतियों को भी ध्यान में रखा गया, जिससे यह एक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल प्रोजेक्ट बन सका।
पर्यटन और अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
Pamban Bridge Inauguration का असर सिर्फ रेलवे और आवागमन तक सीमित नहीं रहेगा। Rameshwaram एक प्रमुख तीर्थ स्थल होने के कारण इस पुल के जरिए पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा होगा। इसके साथ ही दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में व्यापार, खेती, चमड़ा उद्योग और लघु उद्योगों को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा।
सड़क और रेल परियोजनाओं का शिलान्यास
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने 8,300 करोड़ रुपये से अधिक की रेल और सड़क परियोजनाओं की भी नींव रखी। इनमें NH-40 का वालाजापेट-रानीपेट खंड, NH-332 का विलुप्पुरम-पुडुचेरी खंड, NH-32 का पूंडियनकुप्पम-सत्तनाथपुरम खंड और NH-36 का चोलापुरम-तंजावुर खंड शामिल है। ये सड़कें पर्यटन स्थलों, मेडिकल कॉलेजों और बंदरगाहों को बेहतर तरीके से जोड़ेंगी।
Pamban Bridge – एक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय विरासत
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण ब्रिजों में से एक बताया। उन्होंने कहा, “यह पुल सिर्फ लोहे और कंक्रीट का ढांचा नहीं है, बल्कि यह तमिल इतिहास, संस्कृति और सभ्यता की महानता का प्रतीक है। इसकी इंजीनियरिंग में पीएम मोदी की दूरदर्शिता और विकास की सोच झलकती है।”
Pambhan Bridge Photos
धार्मिक नगरी में विकास की आंधी
रामनवमी के दिन हुए pamban bridge inauguration से Rameshwaram में विकास की नई हवा बह चली है। रामनाथस्वामी मंदिर में दर्शन कर प्रधानमंत्री ने यह संदेश भी दिया कि आस्था और तकनीक दोनों मिलकर ही भारत को भविष्य में ले जा सकते हैं। इससे स्थानीय लोगों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
Train और Ship – दोनों के लिए खुला रास्ता
इस ब्रिज की सबसे बड़ी खासियत है कि यह रेल और जहाज दोनों के लिए एक साथ उपयोगी है। जब किसी जहाज को गुजरना होता है, तब ब्रिज का लिफ्टिंग सेक्शन ऊपर उठ जाता है और जब ट्रेन आती है तो यह वापिस नीचे आ जाता है। इस तकनीक से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि दुर्घटनाओं की संभावना भी शून्य हो जाती है।
राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बना PambanBbridge
यह ब्रिज अब दक्षिण भारत को उत्तर भारत से और अधिक मजबूती से जोड़ता है। इससे यह संदेश भी जाता है कि भारत की विविधता उसकी ताकत है और हर राज्य की संस्कृति, भाषा और विरासत को आगे बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता है।
भविष्य का सेतु
Pamban bridge is located in Rameshwaram inaugurate by Narendra Modi यह एक ऐसा ऐतिहासिक क्षण है जिसे भारत लंबे समय तक याद रखेगा। यह पुल न केवल एक शहर को जोड़ता है, बल्कि यह भारत को उसकी महानता, वैज्ञानिक सोच और आध्यात्मिक परंपरा से जोड़ता है।
इस ब्रिज के खुलने से जहां तीर्थयात्रियों को सुगम यात्रा का लाभ मिलेगा, वहीं यह भारत की तकनीकी शक्ति और विकास के संकल्प का प्रतीक बनकर उभरेगा।
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