Jhansi UP : झांसी में डिजिटल सट्टेबाजी का भंडाफोड़, चार सटोरिए रंगे हाथों गिरफ्तार

News Desk
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झांसी, शहर कोतवाली – डिजिटल युग में अपराधों ने भी अपनी शक्ल बदल ली है। जहां पहले सट्टा खेल मैदानों और गलियों में छुप-छुपकर खेला जाता था, वहीं अब यह अपराध स्मार्टफोन की स्क्रीन पर शिफ्ट हो चुका है। लेकिन झांसी पुलिस की सक्रियता के सामने कोई भी अपराध ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाया है।

झांसी की शहर कोतवाली पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है, जब ऑनलाइन ऐप के माध्यम से सट्टा खेलते हुए चार सटोरियों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी पुलिस की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई का परिणाम है, जिसने एक बार फिर दिखा दिया कि अपराधी चाहे जितने भी तकनीकी बन जाएं, कानून के हाथ उनसे लंबे हैं।

सट्टे का डिजिटल साम्राज्य: मकान बना था ऑनलाइन जुए का अड्डा

यह पूरा मामला शहर कोतवाली क्षेत्र के ओरछा गेट बाहर स्थित आकाश पाखरे नामक व्यक्ति के मकान से जुड़ा है। यहीं पर चार सटोरिए मिलकर एक संगठित नेटवर्क के तहत ऑनलाइन सट्टा चला रहे थे। ये लोग मोबाइल ऐप्स के माध्यम से लोगों को जोड़ते थे और उन्हें बड़े इनामों का लालच देकर सट्टा खेलने को उकसाते थे।

सूत्रों के अनुसार, इन सटोरियों ने अपने गिरोह के संचालन के लिए अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लिया था। मोबाइल फोन, इंटरनेट ऐप्स, व्हाट्सऐप ग्रुप्स, और डिजिटल पेमेंट माध्यमों के जरिए यह सट्टा चेन तेजी से बढ़ रही थी। इस मकान को एक हाई-टेक ऑपरेशन सेंटर में तब्दील कर दिया गया था, जहां से सट्टे के सभी लेन-देन संचालित होते थे।

पुलिस की गोपनीय कार्रवाई: राज खुलने से पहले ही धरा गया गिरोह

शहर कोतवाली प्रभारी राजेश पाल और चौकी प्रभारी विवेक तोमर को गुप्त सूचना मिली थी कि ओरछा गेट के बाहर स्थित एक मकान में ऑनलाइन सट्टे का खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। सूचना को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने बिना किसी देरी के एक टीम तैयार की और पूरी योजना के साथ मौके पर छापा मारा।

पुलिस टीम ने जब घेराबंदी की, तो सटोरिए मोबाइल स्क्रीन पर आंखें गड़ाए हुए थे। उन्हें इस बात का तनिक भी अंदाजा नहीं था कि उनके डिजिटल साम्राज्य की नींव अब ढहने वाली है। जैसे ही पुलिस ने अंदर घुसकर तलाशी ली, उनके पास से पांच मोबाइल फोन, ₹55,400 की नकदी, और एक वही खाता रजिस्टर बरामद हुआ जिसमें सभी सट्टे की एंट्री दर्ज थीं।

सटोरियों की पहचान और modus operandi

गिरफ्तार किए गए चारों सटोरियों की पहचान पुलिस ने गोपनीय रखी है ताकि आगे की जांच में किसी प्रकार की बाधा न आए। प्रारंभिक पूछताछ में यह सामने आया है कि ये सभी एक संगठित गिरोह का हिस्सा थे, जो आसपास के इलाकों में भी नेटवर्क फैलाने की योजना बना रहे थे।

इनका तरीका बेहद चौंकाने वाला था – मोबाइल ऐप्स के जरिए लोगों को जोड़ा जाता, फिर एक बार विश्वास बनने के बाद उनसे बड़ी राशि सट्टे में लगाने को कहा जाता। हारने पर उन्हें फिर से डबल रिटर्न का लालच देकर और अधिक पैसे लगवाए जाते थे।

सट्टा खेलते हुए चार सटोरियों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।

सट्टेबाजी पर कानून क्या कहता है?

भारत में सट्टेबाजी एक गंभीर अपराध है। Public Gambling Act 1867 के तहत सट्टा खेलना और करवाना दोनों ही अपराध हैं। ऑनलाइन माध्यम से सट्टा खेलना, खासकर बिना किसी वैध लाइसेंस के, एक साइबर अपराध की श्रेणी में आता है। पुलिस ने इस केस में भी संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया है और चारों आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

साइबर अपराध की तरफ बढ़ते कदम

इस घटना से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि किस प्रकार अपराधी अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग कर रहे हैं। जहां एक ओर डिजिटल इंडिया का सपना साकार हो रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसी तकनीक का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों के लिए कर रहे हैं।

इस गिरोह के पास से मिले मोबाइल फोन और रजिस्टर की जांच से कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। पुलिस की साइबर सेल अब इन मोबाइल्स की फॉरेंसिक जांच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनका नेटवर्क और किन-किन जिलों में फैला हुआ था।

पुलिस की सतर्कता पर जनता की सराहना

झांसी की जनता ने शहर कोतवाली पुलिस की इस त्वरित और साहसिक कार्रवाई की जमकर सराहना की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस इलाके में काफी समय से कुछ संदिग्ध गतिविधियां देखी जा रही थीं, लेकिन अब जाकर असली राज सामने आया है।

पुलिस प्रशासन ने भी जनता से अपील की है कि यदि कहीं भी किसी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि दिखाई दे, तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। “एक सतर्क नागरिक ही अपराध को जड़ से खत्म कर सकता है,” यह बात शहर कोतवाल राजेश पाल ने मीडिया को बयान देते हुए कही।

यह मामला न केवल ऑनलाइन सट्टेबाजी के खतरनाक रूप को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस प्रकार झांसी पुलिस तत्परता से काम करते हुए अपराधियों पर शिकंजा कस रही है।

इस कार्रवाई से यह संदेश साफ है कि अगर कोई भी व्यक्ति तकनीक का इस्तेमाल अपराध के लिए करेगा, तो उसे कानून के कठघरे में आना ही होगा।

अपराधी चाहे कितने भी होशियार बन जाएं, कानून की नजरों से बच नहीं सकते – और यह झांसी पुलिस ने एक बार फिर साबित कर दिया।

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