अमरोहा हसनपुर गांव में तनाव : भीमराव प्रतिमा खंडित, 12 पर मुकदमा दर्ज
थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले एक गांव में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को खंडित किए जाने की घटना से इलाके में भारी तनाव व्याप्त हो गया है। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में आक्रोश का माहौल है और अनुसूचित जाति समुदाय में खासा रोष देखा जा रहा है। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर अग्रिम विधिक कार्रवाई शुरू कर दी है। गांव में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की जा रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह घटना 2 अप्रैल की बताई जा रही है। उस दिन सुबह गांव के कुछ लोगों को पता चला कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकरकी प्रतिमा खंडित स्थिति में पड़ी हुई है। इस खबर के फैलते ही ग्रामीणों में भारी नाराजगी फैल गई। लोगों ने इस घटना को समाज के आत्मसम्मान पर हमला बताया और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की। गांव में कई जगह लोगों ने एकत्र होकर नाराजगी जाहिर की और अधिकारियों से मिलकर तुरंत कार्रवाई की मांग की।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर संबंधित सामाजिक संगठन भी सक्रिय हो गए। संगठन के प्रतिनिधियों ने गांव पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और इसे एक सोची-समझी साजिश करार दिया। प्रतिनिधियों ने बताया कि यह केवल एक डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रतिमा खंडित करने का मामला नहीं है, बल्कि यह समाज की प्रतिष्ठा और उसकी भावनाओं पर किया गया हमला है। उन्होंने स्थानीय थाने में जाकर इस विषय में विस्तृत तहरीर भी दी और मामले को गंभीरता से लेने की अपील की।
पुलिस की तत्परता, 12 के खिलाफ मामला दर्ज
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस हरकत में आ गई। प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने गांव के ही 12 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला पंजीकृत किया है। पुलिस का कहना है कि जांच के दौरान यह बात सामने आई कि यह घटना सुनियोजित ढंग से अंजाम दी गई है और इसमें गांव के ही कुछ लोगों की संलिप्तता सामने आई है। हालांकि अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है, लेकिन पुलिस का कहना है कि जल्द ही दोषियों को गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामला संवेदनशील है और इसे लेकर गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है। इसलिए गांव में एहतियातन पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना न हो सके। पुलिस की एक टीम लगातार गांव में गश्त कर रही है और स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
गांव में बढ़ा तनाव, लोगों में डर का माहौल
डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रतिमा खंडित होने के बाद गांव का माहौल पूरी तरह बदल गया है। पहले जहां लोग शांतिपूर्ण ढंग से अपने कार्यों में लगे रहते थे, अब वहां डर और असुरक्षा की भावना देखी जा रही है। विशेषकर अनुसूचित जाति समुदाय के लोग इस घटना से बेहद आहत हैं। कई लोगों ने अपने घरों के बाहर पोस्टर और बैनर लगाकर विरोध जताया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती, तब तक चैन नहीं मिलेगा।
घटना के बाद सामाजिक एकता को बनाए रखने के लिए प्रशासनिक अधिकारी और ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि सक्रिय हुए हैं। उन्होंने लोगों से संयम बरतने और पुलिस जांच में सहयोग करने की अपील की है। अधिकारियों का कहना है कि दोषियों को जल्द गिरफ्तार कर कड़ी सजा दिलाई जाएगी ताकि भविष्य में कोई ऐसी दुस्साहसिक हरकत न कर सके।
सामाजिक संगठनों का विरोध, कार्रवाई की मांग तेज
इस घटना की खबर मिलते ही जिले के अन्य हिस्सों से भी सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगीं। कई संगठनों ने इसे दलित समाज के सम्मान पर हमला बताते हुए जिलेभर में प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। संगठनों ने यह भी कहा है कि यह केवल एक गांव का मामला नहीं है, बल्कि पूरे समाज की अस्मिता से जुड़ा विषय है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
कुछ संगठनों ने यह भी मांग की है कि पूरे जिले में ऐसी मूर्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, ताकि दोबारा ऐसी कोई घटना न हो। इसके साथ ही दोषियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की मांग भी जोर पकड़ रही है।
प्रशासन की अपील: शांति और भरोसे की जरूरत
प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों से संयम बरतने और पुलिस पर भरोसा रखने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि इस मामले में पुलिस पूरी गंभीरता से काम कर रही है और कोई भी दोषी नहीं बचेगा। साथ ही अधिकारियों ने अफवाहों से बचने की सलाह दी है, क्योंकि कुछ असामाजिक तत्व इस मामले को भड़काने की कोशिश कर सकते हैं।
पुलिस विभाग की ओर से कहा गया है कि दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा और उनके खिलाफ न्यायालय में साक्ष्यों के आधार पर मुकदमा चलाया जाएगा। साथ ही जिन लोगों ने इस घटना को अंजाम दिया है, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
गांव में बाबा भीमराव अंबेडकर साहेब की प्रतिमा खंडित होने की यह घटना न केवल भावनात्मक रूप से समाज को आहत करती है, बल्कि यह सामाजिक ताने-बाने पर भी चोट करती है। प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए और दोषियों को शीघ्रता से न्याय के कटघरे में खड़ा करे। यदि समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह सामाजिक विद्वेष का कारण बन सकती है।
इस समय जरूरत है संयम, सद्भाव और न्याय की। समाज को एकजुट होकर ऐसी विघटनकारी सोच के खिलाफ खड़ा होना होगा और यह संदेश देना होगा कि संविधान और उसके निर्माता का अपमान किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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