नागपुर, १४ सितंबर २०२५
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने शुक्रवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान वैश्विक आर्थिक नीतियों पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भारत पर लगाए गए टैरिफ उसकी तीव्र आर्थिक वृद्धि और विकास से उपजे डर का परिणाम हैं।
श्री भागवत नागपुर में ब्रह्मकुमारीज विश्व शांति सरोवर के ७वें स्थापना दिवस समारोह में बोल रहे थे, जहाँ उन्होंने वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका और सामूहिक सोच की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
वैश्विक शक्तियों की चिंता पर प्रकाश
आरएसएस प्रमुख ने किसी विशिष्ट देश का नाम लिए बिना कहा, “लोगों को यह डर सता रहा है कि यदि कोई अन्य राष्ट्र शक्तिशाली बन गया, तो उनकी स्थिति क्या होगी। यदि भारत एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरता है, तो उनके लिए जगह कहाँ बचेगी? यही भय उन्हें टैरिफ जैसे उपायों की ओर धकेल रहा है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि विश्व की महाशक्तियाँ भारत की बढ़ती आर्थिक और रणनीतिक ताकत से स्पष्ट रूप से चिंतित हैं, और यह चिंता ही इन आर्थिक बाधाओं के पीछे का मुख्य कारण है।
सामूहिक सोच और वैश्विक शांति का आह्वान
इस अवसर पर, श्री भागवत ने वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण और एकीकृत सोच की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि टैरिफ और संरक्षणवादी नीतियाँ दीर्घकालिक समाधान नहीं हैं, बल्कि पारस्परिक सम्मान और सहयोग पर आधारित नीतियाँ ही वैश्विक शांति और समृद्धि सुनिश्चित कर सकती हैं।
यह टिप्पणी एक ऐसे समय में आई है जब भारत लगातार अपनी वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक हैसियत मजबूत कर रहा है, और कई विकसित देशों द्वारा इसके उदय को एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। श्री भागवत के बयान को भारत की इस बदलती वैश्विक भूमिका के संदर्भ में देखा जा रहा है।
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