Jhansi UP News | रठन का बाग शिव मंदिर में रुद्राभिषेक, मुस्लिम समुदाय ने किया स्वागत | Hindu Muslim Unity

News Desk
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what to do on Mahashivratri

रठन का बाग शिव मंदिर में रुद्राभिषेक, मुस्लिम समुदाय ने किया स्वागत
महाशिवरात्रि: शिव भक्ति के साथ सांप्रदायिक सौहार्द का अनुपम उदाहरण
महाशिवरात्रि: आस्था, सौहार्द और समर्पण का महापर्व

झाँसी। सनातन धर्म में महाशिवरात्रि को विशेष त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व केवल उपासना और व्रत का अवसर नहीं, बल्कि शिव तत्व के प्रति हमारी निष्ठा और विश्वास का प्रतीक भी है। प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला यह महापर्व भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग स्वरूप में प्रकटीकरण की स्मृति से जुड़ा हुआ है।

इस दिन शिवजी के निराकार स्वरूप के प्रतीक ‘लिंग’ के प्रकट होने की मान्यता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन मध्य रात्रि में भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे और सबसे पहले स्वयं ब्रह्मा एवं विष्णु ने उनकी पूजा-अर्चना की थी। इसी कारण इस रात्रि को ‘महाशिवरात्रि’ कहा जाता है।

रठन का बाग शिव मंदिर: भक्ति और सौहार्द का संगम

झाँसी के प्रसिद्ध रठन का बाग स्थित शिव मंदिर इस वर्ष महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भक्ति, श्रद्धा और सांप्रदायिक सौहार्द का अद्वितीय उदाहरण बना। इस आयोजन में संघर्ष सेवा समिति के संस्थापक डॉ. संदीप सरावगी ने हिंदू जागरण मंच के पदाधिकारियों सहित विशेष रूप से भाग लिया।

जब शिव मंदिर में श्रद्धालु रुद्राभिषेक और शिव उपासना में लीन थे, तभी एक अनोखी घटना घटी। क्षेत्रीय मुस्लिम समुदाय के अनुयायियों ने न केवल मंदिर परिसर में आकर श्रद्धालुओं का स्वागत किया, बल्कि श्रद्धालुओं के माथे पर तिलक लगाकर, पगड़ी पहनाकर और पुष्प वर्षा कर प्रेम और सद्भाव की अद्भुत मिसाल पेश की। यह दृश्य न केवल झाँसी बल्कि संपूर्ण भारत के लिए एक प्रेरणा बना।

रुद्राभिषेक: मंत्रों की गूंज और शिव कृपा

इस अवसर पर डॉ. संदीप सरावगी ने भगवान शिव का विधिवत रुद्राभिषेक किया। मंत्रों की गूंज, घंटे-घड़ियालों की मधुर ध्वनि और श्रद्धालुओं के “हर-हर महादेव” के जयघोष से सम्पूर्ण वातावरण शिवमय हो उठा। मंदिर परिसर में उपस्थित श्रद्धालु अपने आराध्य के प्रति असीम भक्ति भाव से ओत-प्रोत थे।

रुद्राभिषेक के पश्चात डॉ. संदीप ने भगवान शिव से जगत कल्याण और सांप्रदायिक सौहार्द की कामना की। उन्होंने कहा,

“देवों के देव महादेव स्वयंभू, अनादि, अनंत और अविनाशी हैं। शिव लय और प्रलय दोनों को अपने अधीन रखते हैं। जहाँ एक ओर शिव को सरल, शांत और सौम्य रूप में देखा जाता है, वहीं उनका रौद्र रूप संहारक भी सिद्ध होता है।”

झाँसी: सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक

झाँसी का इतिहास सदा से ही सांप्रदायिक सौहार्द और धार्मिक सहिष्णुता का गवाह रहा है। भारत के विभिन्न हिस्सों में जहाँ कई बार सांप्रदायिक तनाव की खबरें आती हैं, वहीं झाँसी ने हमेशा एकता और भाईचारे की भावना को बनाए रखा है।

डॉ. संदीप ने कहा,
“हमारा झाँसी अनादि काल से विभिन्न संप्रदायों के बीच प्रेम और सौहार्द का केंद्र रहा है। यह वही झाँसी है जहाँ वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी और आज भी यहाँ के लोग हर धर्म को समान रूप से सम्मान देते हैं।”

आज मुस्लिम समुदाय द्वारा शिव मंदिर में स्वागत करना इसी सांप्रदायिक सौहार्द का प्रमाण है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक संदेश है कि भारत की सच्ची पहचान गंगा-जमुनी तहज़ीब में है।WhatsApp Image 2025 02 26 at 7.47.01 PM

सांप्रदायिक एकता: एक सशक्त संदेश

इस कार्यक्रम में हिंदू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष जयदीप खरे, पुरूकेश अमरया, हरीश कुशवाहा, अमन सेन, उमेश कुशवाहा, अमन खटीक, अरुण कुशवाहा, जीत कुशवाहा, अभिषेक वाल्मीकि, कन्हैया रायकवार, अभिषेक चतुर्वेदी, मोहित अग्रवाल, रोहित कुशवाहा, अनुराज पांडे, सचिन चतुर्वेदी, सात्विक शर्मा आदि उपस्थित थे।

मंच पर उपस्थित मुस्लिम समुदाय के चौधरी जमाल, चौधरी उमर, चौधरी शब्बीर, आशिक कुरैशी, अफसर कुरैशी, जाहिद कुरैशी, मदउआ कुरैशी, इस्लाम कुरैशी, अकरम कुरैशी ने मंदिर में शिवभक्तों का स्वागत कर भाईचारे का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।

इस दौरान उपस्थित गुप्ता, लाइट वाले जग्गा, चौधरी कमल, रणवीर, भूपेंद्र यादव, सुशांत गुप्ता, आशीष विश्वकर्मा, अरुण पांचाल, दृगचंद्र, सुमित परिहार सहित सैकड़ों श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए।

महाशिवरात्रि का संदेश: प्रेम और समर्पण

इस आयोजन ने स्पष्ट कर दिया कि धर्म केवल पूजा-पद्धति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानवता को जोड़ने का सबसे बड़ा माध्यम भी है। जब दो अलग-अलग संप्रदायों के लोग एक साथ आकर धार्मिक आयोजन में सहभागिता निभाते हैं, तो यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत होती है।

आस्था और एकता का संगम

रुद्राभिषेक संपन्न होने के पश्चात मंदिर परिसर में भक्तों के लिए विशेष भंडारे का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने प्रेम और सौहार्द के साथ प्रसाद ग्रहण किया और इस पावन पर्व का आनंद उठाया।

डॉ. संदीप ने अंत में कहा,

“शिव केवल संहारक नहीं, बल्कि पालक भी हैं। वह केवल तपस्या नहीं, बल्कि प्रेम के प्रतीक भी हैं। आज हम सभी को शिव से प्रेरणा लेनी चाहिए कि संसार में प्रेम, करुणा और भाईचारा ही सबसे बड़ी शक्ति है।”

समापन: शिव कृपा से अखंड सौहार्द

महाशिवरात्रि के इस अद्वितीय आयोजन ने झाँसी की समर्पित संस्कृति और उसकी समरसता को पुनः सिद्ध कर दिया। जब धर्म, जाति, संप्रदाय से परे होकर लोग एक-दूसरे का सम्मान करते हैं, तभी समाज में वास्तविक सुख-शांति स्थापित होती है।

यह आयोजन एक संदेश बनकर उभरा कि झाँसी की धरती पर धार्मिक सौहार्द सदैव जीवंत रहेगा। यहाँ के नागरिक हर परिस्थिति में प्रेम और भाईचारे को बनाए रखेंगे और शिव कृपा से यह पवित्र परंपरा अनवरत चलती रहेगी।

हर-हर महादेव!

 

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