उत्तर प्रदेश की प्रदेश अध्यक्ष Seema Singhal ने बताया कि मनुष्य इस संसार में खाली हाथ आया था और उसे खाली हाथ ही जाना पड़ेगा
निसिंग। सांस्कृतिक मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जनकल्याण संस्थान उत्तर प्रदेश की प्रदेश अध्यक्ष Seema Singhal ने बताया कि मनुष्य इस संसार में खाली हाथ आया था और उसे खाली हाथ ही जाना पड़ेगा। इसलिए भगवान के भजन पर ध्यान देना चाहिए। Seema Singhal ने कहा प्रभु की भक्ति से ही मुक्ति मिलेगी और मनुष्य सुखी रहेगा। पहले भगवान की शरणागति लेनी पड़ेगी, तभी भगवान की कृपा भक्त पर होगी। यह विचार साक्षी गोपाल दास महाराज ने प्रवचन के दौरान कहे थे।
जब तक ही जीवन हो मेरा,जबतक स्वाभिमान रहे।
सबका अच्छा सोचूं हरपल,यह जीवन अरमान रहे।
अच्छा करना सदा यहां पर,यह सदग्रंथ बताते है।
बुरे काम का बुरा नतीजा,यह बुजुर्ग समझाते है।
अपने बड़े जो कहते आए,उसका पहले ध्यान रहे।
जबतक ही जीवन हो,,,,,,,,
ईश्वर पर विश्वास करे हम,दुश्मन का भी भला करें।
गलत राह पर चलना छोड़े,सही राह पर चला करें।
करें भला तो भला मिलेगा,जीवित मन सम्मान रहे।
जबतक ही जीवन हो,,,,,,,,,,
सदा बड़ों की सेवा करना,यह नितनियम बनाएंगे।
सेवा भाव हृदय अपनाए,सत पथ कदम बढ़ायेंगे।
सेवा धर्म भाए परमेश्वर पलपल गति गतिमान रहे।
जबतक ही जीवन हो,,,,,,,,
खाली मानव आता जगमें बस खाली ही जाता है।
कोई किसी का नही है जग में एक प्रभुसे नाता है।
देकर जा सकता हर कोई,निर्मल मन हनुमान रहे।
जबतक ही जीवन हो मेरा जब तक स्वाभिमान रहे।
Seema Singhal ने बताया कि खाली हाथ मनुष्य इस संसार में आता है और रोता बिलखता, खाली हाथ ही चला भी जाता है। उसका सारा ताना-बाना यहीं रखा का रखा रह जाता है।
पापों की गठरी इतनी भारी हो जाती है कि एक दिन जब काल सामने होता है तो उसके पास पश्चाताप के अतिरिक्त और कुछ नहीं रह जाता है। इसलिए समय रहते ही अपने आचरण को ठीक करने के लिए सद्गुणों को बढ़ाने का प्रयास करें ताकि इस संसार से विदा होने के बाद भी लोग सूरदास, तुलसी, कबीर और मीरा की तरह आपको याद करें।
Seema Singhal ने बताया कि बुद्ध, नानक और महावीर आज अपने सद्कर्र्मो की वजह से आज भी अमर हैं। इन सबने सबसे पहले अपने अंदर सदाचरण का बीज बोया। अपने आचार-विचार को ठीक किया और साबित कर दिया कि सदाचरण के सहारे व्यक्ति जीवन में ऊंचाई की तरफ सहज ही अग्रसर हो सकता है। समय कभी रुकता नहीं है और मृत्यु अटल है। इसलिए अपने इस अमूल्य जीवन की सार्थकता को समझना चाहिए।
जोगिंद्र सिंह, निसिंग
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