Dr. Shailendra Mamgain एकदिवसीय ओरिएंटेशन एवं सेंसटाइजेशन कार्यक्रम में

Aanchalik khabre
By Aanchalik khabre
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Dr. Shailendra Mamgain एकदिवसीय ओरिएंटेशन एवं सेंसटाइजेशन कार्यक्रम में
Dr. Shailendra Mamgain एकदिवसीय ओरिएंटेशन एवं सेंसटाइजेशन कार्यक्रम में

Dr. Shailendra Mamgain ने जिला प्रशिक्षण केंद्र में  ‘लेडी हेल्थ विजीटरस’ के कार्यक्रम में अपने विचार रखे

“अगर फुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना, हर एक दरिया हजारों सालों का अफसाना लिखता है।”यह कहना था पूर्व सिविल सर्जन एवं लोकनायक जयप्रकाश जिला नागरिक अस्पताल के परामर्शक-फिजिशियन Dr. Shailendra Mamgain ‘शैली’ का। वे आज जिला प्रशिक्षण केंद्र में पूरे जिला भर से आई ‘लेडी हेल्थ विजीटरस’ के एकदिवसीय ओरिएंटेशन एवं सेंसटाइजेशन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता की हैसियत से बोल रहे थे।

Dr. Shailendra Mamgain एकदिवसीय ओरिएंटेशन एवं सेंसटाइजेशन कार्यक्रम में
Dr. Shailendra Mamgain एकदिवसीय ओरिएंटेशन एवं सेंसटाइजेशन कार्यक्रम में

कार्यक्रम की अध्यक्षता उप- सिविल सर्जन(जलवायु परिवर्तन) डॉ. अंजलि वैद्य ने की और जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ. कृष्ण दत्त विशिष्ट अतिथि थे। इस अवसर पर Dr. Shailendra Mamgain ‘शैली’ ने जलवायु परिवर्तन के कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानवीय गतिविधियां,ओजोन परत का लगातार कमजोर होना, शहरीकरण, औद्योगिकरण, हरित ग्रह प्रभाव, विद्युत उत्पादन,पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधन का अधिक मात्रा में प्रयोग,सौर विकिरण और वनों की संख्या में कमी जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारण हैं।

अभी हाल ही में हिमाचल एवं उत्तराखंड में आई बाढ़ की चर्चा करते हुए डॉ.ममगाईं ने एक शेर के माध्यम से आशंका जाहिर की कि “गांव से गुजरेगा और मिट्टी के घर ले जाएगा, एक दिन दरिया सभी दीवार-ओ-दर ले जाएगा।” वन्य जीवन में कटाव और अंधाधुंध अवैज्ञानिक औद्योगिकरण बाढ़ का मुख्य कारण है। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के उपायों की चर्चा करते हुए डॉक्टर शैली ने कहा कि यदि हमने इसके होने वाले कारणों पर रोक न लगाई तो हम आने वाली पीढियां को विरासत में क्या देकर जाएंगे,

यह सोचने का विषय है। उन्होंने जनता से एक शेर के माध्यम से अपील की कि “पहाड़ों में पड़ी उन संजीवनी बूटियों को संभालो, कल नहीं तो कोई लक्ष्मण नहीं बच पाएगा।” Dr. Shailendra Mamgain ‘शैली’ ने कहा की कि ” धरती पर एक पेड़ तो अपलोड करके देखिए,बादलों के सैकड़ो झुंड आएंगे लाइक करने के लिए।”और जो पृथ्वी से प्यार नहीं करता, वह अपने जीवन में किसी से प्यार नहीं कर सकता।

उन्होंने कहा कि किसी दरख्त से सीखो सलीका जीने का, जो धूप-छांव से रिश्ता बनाए रखता है। इसके लिए जरूरत है कि हम विकास के लिए प्रकृति के साथ एक संतुलित व्यवहार करें। इस अवसर पर डॉ. शैली द्वारा सुनाई गई कविता ‘पहले हम इंसान बनें ‘ ने प्रतिभागियों की खूब वाहवाही लूटी।

 

अश्विनी वालिया

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