हनुमान जी भी राजनीति का शिकार हो गए- आंचलिक ख़बरें-झाबुआ मध्य प्रदेश से राजेंद्र राठौर

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देश में इस समय मंदिरों से ज्यादा हनुमान चालीसा का पाठ राजनीतिक हिंदूवादी पार्टियां कर रही है, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि, हनुमान चालीसा का पाठ करने से लोगों को यह लगेगा हम हिंदुओं के हित और रक्षा की बात कर रहे हैं। लेकिन यह हिंदूवादी पार्टियों की अपनी सोच है।
“सनातन धर्म का मतलब ही सत्य है अर्थात हमेशा बना रहने वाला, जिसका न आदि है न अंत”
लेकिन राजनीतिक पार्टियां अपने मतलब के लिए हनुमान चालीसा पाठ के महत्त्व और गौरव को भूल गए. ऐसा ही नजारा झाबुआ जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के समय कलेक्ट्रेट कार्यालय में देखने को मिला, जहाँ कलेक्ट्रेट कार्यालय के अंदर जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए मतदान चल रहा था. जिसका परिणाम तुरंत ही आने वाला था । लेकिन कार्यालय के बाहर कांग्रेस, भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं में आपसी शक्ति प्रदर्शन चल रहा था, तभी अचानक भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ता हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ने लग गए। लेकिन कार्यकर्ता हनुमान चालीसा का पाठ करते समय, गरिमा पाठ का महत्व और गौरव को भूल गए । कार्यकर्ता चप्पल पहन कर हनुमान चालीसा पढ़ रहे थे. आधी अधूरी हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद, जय श्रीराम के नारे लगाते हुए पाठ को अधूरा छोड़ दिया। भगवान की स्तुति को इस तरह पढ़ा जाना सनातन धर्म का अपमान है। राजनीतिक पार्टियां अपने स्वार्थ और दूसरी पार्टियों के सामने शक्ति प्रदर्शन करने के लिए, क्या भगवान का भी अपमान करेंगे।

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