शराब की दुकान पर महिलाओं का हंगामा: तोड़फोड़ से मचा हड़कंप
झांसी में महिलाओं का गुस्सा फूटा: शराब की दुकान में जमकर तोड़फोड़
शराबी आतंक से तंग महिलाएं बिफरीं: दुकान में मचाई तबाही
शराब की दुकान हटाने की मांग पर उग्र प्रदर्शन, महिलाओं ने की तोड़फोड़
घनी आबादी में शराब की दुकान से नाराज महिलाओं का बवाल
शराब की दुकान पर महिलाओं का फूटा गुस्सा: हंगामा और तोड़फोड़ से मचा हड़कंप
झांसी। शहर कोतवाली क्षेत्र के दतिया गेट के पास आज दोपहर अचानक हंगामा मच गया। घनी आबादी में खुली शराब की दुकान को लेकर नाराज महिलाओं ने अपना गुस्सा ज़ाहिर करते हुए जमकर तोड़फोड़ कर दी। साहू बाइन शॉप पर महिलाओं के उग्र प्रदर्शन ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को बल्कि प्रशासन को भी सकते में डाल दिया।
आबादी में शराब की दुकान: नाराजगी का कारण
शहर कोतवाली क्षेत्र के दतिया गेट के पास घनी आबादी के बीच स्थित साहू बाइन शॉप कई महीनों से विवाद का केंद्र बनी हुई है। स्थानीय महिलाओं का कहना है कि इस दुकान के चलते उनका और उनके परिवार का जीना मुश्किल हो गया है। महिलाएं बेहद परेशान और नाराज हैं क्योंकि इस दुकान के चलते शराबी लोग उनके घरों के सामने पड़े रहते हैं।
स्थानीय निवासी श्रीमती शोभा और श्रीमती अनिता सहित दर्जनों महिलाओं ने बताया कि रात होते ही इस दुकान पर शराब पीने वालों की भीड़ लग जाती है। नशे में धुत लोग गंदी-गंदी गालियां बकते हैं और महिलाओं पर अभद्र टिप्पणियां करते हैं। कई बार तो शराबी लोग घरों में ताक-झांक करते हैं, जिससे महिलाओं की निजता और सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
बार-बार शिकायत के बाद भी प्रशासन की अनदेखी
गुस्साई महिलाओं का आरोप है कि उन्होंने कई बार जिला प्रशासन को शिकायत दर्ज कराई। बार-बार आग्रह किया कि इस शराब की दुकान को यहां से हटाया जाए, लेकिन प्रशासन ने इस समस्या पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला, लेकिन समस्या जस की तस बनी रही।
महिलाओं का कहना है कि जब जिला प्रशासन ने उनकी परेशानी को नज़रअंदाज़ कर दिया, तो उन्होंने खुद ही कानून को हाथ में लेने का फैसला किया। महिलाओं ने एकजुट होकर साहू बाइन शॉप का घेराव किया और वहां मौजूद शराब की पेटियों और अन्य सामान को बाहर फेंक दिया।
महिलाओं का गुस्सा फूटा: शराब की पेटियां तोड़ीं और सामान फेंका
दोपहर के समय जब दुकान पर ग्राहक मौजूद थे, तभी अचानक महिलाएं वहां पहुंच गईं। उनके हाथों में डंडे और लाठियां थीं। उन्होंने दुकान के काउंटर पर रखी शराब की बोतलों को उठाकर ज़मीन पर दे मारा। शराब की बोतलें और पेटियां चकनाचूर हो गईं। दुकान के बाहर खड़ी गाड़ियों पर भी गुस्साई महिलाओं ने अपना गुस्सा ज़ाहिर किया।
दुकानदार और कर्मचारी इस अचानक हुए हमले से घबरा गए और अपनी जान बचाकर भाग खड़े हुए। महिलाओं ने दुकान में रखे काउंटर, फ्रिज और अलमारियों को भी नुकसान पहुंचाया। सड़कों पर शराब की बोतलों के टुकड़े बिखर गए।
घर में कैद होकर रहने को मजबूर” – महिलाओं का दर्द
महिलाओं का कहना है कि शराबी लोग रातभर शराब पीकर गंदी हरकतें करते हैं। कई बार तो महिलाएं घर से बाहर निकलने में भी डरती हैं। उनकी सुरक्षा और सम्मान दोनों ही खतरे में हैं।
श्रीमती शोभा ने बताया, “हमारे बच्चे और परिवार के लोग डर के मारे घर में बंद रहते हैं। शराबी लोग खुलेआम गालियां देते हैं और हमारी बेटियों पर फब्तियां कसते हैं। यह सब अब बर्दाश्त नहीं होगा।”
श्रीमती अनिता ने रोष भरे शब्दों में कहा, “हमने प्रशासन से कई बार कहा कि यह दुकान यहां से हटाई जाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब हम खुद अपनी सुरक्षा के लिए खड़े हो गए हैं।”
प्रशासन ने साधी चुप्पी: पुलिस बल तैनात
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को काबू में किया। हंगामा कर रही महिलाओं को समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन उनकी नाराजगी इतनी ज्यादा थी कि वे शांत नहीं हुईं।
कोतवाली प्रभारी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। महिलाओं का बयान दर्ज कर लिया गया है और जिन लोगों ने तोड़फोड़ की है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, पुलिस का कहना है कि शराब की दुकान के लाइसेंस की भी जांच की जाएगी कि क्या यह घनी आबादी में दुकान खोलने के नियमों का उल्लंघन कर रही है।
न्याय की पुकार: महिलाओं का साफ संदेश
महिलाओं ने साफ कर दिया है कि अगर प्रशासन ने अब भी उनकी समस्या का समाधान नहीं किया तो वे और भी उग्र प्रदर्शन कर सकती हैं। उनका कहना है कि जब तक शराब की दुकान को यहां से हटाया नहीं जाता, तब तक वे चैन से नहीं बैठेंगी।
जनता में आक्रोश: प्रशासन पर सवाल
इस घटना के बाद पूरे इलाके में आक्रोश है। स्थानीय लोग भी महिलाओं के समर्थन में खड़े हो गए हैं। उनका कहना है कि प्रशासन की अनदेखी ने महिलाओं को इस हद तक मजबूर कर दिया कि उन्हें खुद कानून अपने हाथ में लेना पड़ा।
शराब की दुकानों पर सख्ती की मांग
यह घटना केवल झांसी की नहीं है। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां शराब की दुकानों के कारण स्थानीय लोग परेशान हैं। सवाल उठता है कि आखिर प्रशासन कब जागेगा और इन समस्याओं का स्थायी समाधान कब निकलेगा।
आगे की राह: क्या प्रशासन कोई ठोस कदम उठाएगा?
अब देखने वाली बात होगी कि जिला प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कार्रवाई करता है। क्या शराब की दुकान को घनी आबादी से हटाया जाएगा? या फिर महिलाओं का गुस्सा और उग्र रूप ले लेगा?
फिलहाल, स्थानीय निवासियों की निगाहें प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकी हैं। जनता का आक्रोश और महिलाओं का संघर्ष दोनों ही प्रशासन को झकझोरने के लिए काफी हैं।