Jhansi UP : बसपा के मंच पर हंगामा: झांसी में कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट, पुलिस ने संभाली स्थिति

News Desk
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झांसी में बसपा के मंच पर हंगामा: आरोप-प्रत्यारोप के बीच कार्यकर्ताओं में भिड़ंत
झांसी के प्रकाश रेजिडेंसी में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कार्यक्रम के दौरान उस समय भारी हंगामा मच गया जब पार्टी के ही कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाने शुरू कर दिए। यह कार्यक्रम बसपा के संस्थापक कांशीराम जी के जन्मोत्सव को मनाने के लिए आयोजित किया गया था, लेकिन यह कार्यक्रम अपने उद्देश्य से भटक गया और अंततः कलह और विवाद में बदल गया।

विवाद तब शुरू हुआ जब एक बसपा कार्यकर्ता ने मंच से ही पार्टी के मुख्य मंडल प्रभारी रामबाबू चिरगइयां पर सनसनीखेज आरोप लगा दिए। कार्यकर्ता ने रामबाबू पर छेड़खानी और जमीन हड़पने के गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद मंच पर तीखी बहस शुरू हो गई, जो धीरे-धीरे हाथापाई और गाली-गलौज में बदल गई।

कार्यक्रम में आए अन्य कार्यकर्ता सदमे में थे और माहौल में तनाव साफ दिखाई दे रहा था। देखते ही देखते हंगामा इस कदर बढ़ गया कि वहां मौजूद लोग घबरा गए और भगदड़ मच गई। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।

कार्यक्रम में हंगामे की वजह

बसपा के इस आयोजन में शामिल सैकड़ों कार्यकर्ता और स्थानीय नेता उपस्थित थे। मंच पर पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे, लेकिन जब एक कार्यकर्ता ने मंडल प्रभारी रामबाबू चिरगइयां पर आरोप लगाए, तो स्थिति बेकाबू हो गई।

एक महिला कार्यकर्ता के साथ दुर्व्यवहार किया और उनके खिलाफ अनुचित आचरण दिखाया।
पार्टी के नाम पर कई लोगों की जमीन हड़प ली और इसका उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए किया।
कार्यकर्ताओं को डराने-धमकाने और मनमाने तरीके से फैसले लेने की आदत थी।
ये आरोप इतने गंभीर थे कि वहां मौजूद लोगों में गुस्से और आक्रोश की लहर दौड़ गई।

आरोप लगते ही मंच पर उपस्थित कई कार्यकर्ता रामबाबू चिरगइयां के समर्थन में आ गए, जबकि कुछ कार्यकर्ता विरोध में नारे लगाने लगे। दोनों गुटों के बीच बहस इतनी बढ़ गई कि मंच पर ही धक्का-मुक्की और मारपीट शुरू हो गई।

स्थिति इतनी बिगड़ गई कि वहां मौजूद लोग डर के मारे भागने लगे, जिससे कार्यक्रम स्थल पर भगदड़ मच गई। कुछ कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम को जारी रखने की कोशिश की, लेकिन माहौल पूरी तरह से तनावपूर्ण हो चुका था।

पुलिस का हस्तक्षेप

इस हंगामे की खबर मिलते ही डायल 100 की पुलिस टीम मौके पर पहुंची और स्थिति को काबू करने की कोशिश की। पुलिस ने कार्यकर्ताओं को शांत करने का प्रयास किया और दोनों गुटों को अलग किया।

स्थिति बिगड़ती देख पुलिस ने कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया और कार्यक्रम को बीच में ही बंद करवा दिया गया।

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“हमें सूचना मिली थी कि बसपा के कार्यक्रम में हंगामा हो रहा है। हमने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में लिया। कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है और मामले की जांच की जा रही है।”

बसपा के इस आंतरिक कलह ने पार्टी के लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है। जब पार्टी के कार्यकर्ता और नेता खुद ही एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगें और मंच पर ही झगड़ने लगें, तो इससे पार्टी की छवि पर गहरा असर पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के विवाद से बसपा की साख कमजोर हो सकती है और पार्टी के जनाधार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

बसपा पहले से ही राजनीतिक चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे में इस तरह की अंदरूनी कलह से पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है।

रामबाबू चिरगइयां की सफाई

रामबाबू चिरगइयां ने इन आरोपों को पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने कहा—

“मुझ पर लगाए गए आरोप पूरी तरह झूठे हैं। यह मेरे खिलाफ एक राजनीतिक साजिश है। कुछ लोग मेरी छवि खराब करना चाहते हैं। मैं पार्टी नेतृत्व से जांच की मांग करता हूं।”

उनका कहना है कि यह विवाद पार्टी विरोधी तत्वों द्वारा साजिशन फैलाया गया है ताकि उन्हें कमजोर किया जा सके।

अब सवाल यह उठता है कि क्या बसपा इस भीतरूनी विवाद को सुलझा पाएगी? क्या पार्टी की एकता बनी रह पाएगी या फिर यह विवाद बसपा के लिए गहरे संकट का संकेत है?

अगर बसपा नेतृत्व ने जल्द ही इस मुद्दे को नहीं सुलझाया, तो इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ सकता है।

अगर बसपा इस विवाद को सही तरीके से नहीं संभाल पाई, तो यह पार्टी की राजनीतिक संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
विपक्षी दलों को एक नया मुद्दा मिल जाएगा और वे इस विवाद को बसपा की असफलता के रूप में प्रचारित कर सकते हैं।
बसपा के समर्थकों में भ्रम और असमंजस की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे पार्टी को चुनावों में नुकसान हो सकता है।
बसपा नेतृत्व की प्रतिक्रिया
अब तक बसपा के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार पार्टी जल्द ही आंतरिक जांच करा सकती है और मामले को शांत करने के लिए कार्रवाई कर सकती है।

यदि बसपा इस विवाद को सुलझाने में सफल होती है, तो वह अपनी छवि बचाने में कामयाब हो सकती है, लेकिन अगर यह विवाद बढ़ता रहा, तो इससे पार्टी को भारी राजनीतिक नुकसान हो सकता है।

राजनीतिक विरोधियों को मिला मुद्दा

इस विवाद ने बसपा के विरोधियों को एक नया हथियार दे दिया है। राजनीतिक दल इस मुद्दे को बसपा की अंदरूनी गुटबाजी और नेतृत्व की असफलता के रूप में पेश कर सकते हैं।

अगर पार्टी इस विवाद को जल्द हल नहीं कर पाई, तो यह चुनावी नुकसान का कारण बन सकता है।

झांसी में हुए इस हंगामे ने बसपा की एकता और अनुशासन पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। मंच पर ही कार्यकर्ताओं का भिड़ जाना, पार्टी के लिए गहरी चिंता का विषय बन गया है।

क्या बसपा इस विवाद को सुलझाने में सफल होगी?
क्या पार्टी नेतृत्व इस पर कड़ी कार्रवाई करेगा?
क्या यह विवाद बसपा की राजनीतिक संभावनाओं को प्रभावित करेगा?
आने वाले दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा, लेकिन इतना तय है कि यह विवाद बसपा के लिए आसान नहीं होगा और अगर इसे सही तरीके से नहीं संभाला गया, तो पार्टी को गहरा झटका लग सकता है।

 

 

 

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