Chitrakoot । मऊ खंड विकास में इस समय 52 स्थाई गौशालाएं हैं। जो जिलाधिकारी Chitrakoot की गरिमामई निर्देशन में चल रही हैं। उत्तर प्रदेश की सरकार ने अन्ना गौवंश से निजात पाने के लिए मऊ ब्लाक की 52 ग्राम पंचायत में करोड़ों रुपए से स्थाई गौशालाओं का निर्माण करवाया है।
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश आदित्यनाथ जिले के बड़े-बड़े अधिकारीयों को गौशालाओं के संरक्षण के लिए निर्देशित भी करते रहते हैं। ग्राम पंचायतों में बनी स्थाई गौशालाओं में समाज से निष्कासित रिजेक्ट पशु इस समय भारी मात्रा में ग्राम प्रधानों की संरक्षण में हैं ।
Chitrakoot में गौशालाओं का भरण पोषण का पैसा फिर से अटका, भूख से तड़फ रहे जानवर
ग्राम प्रधानों के स्थाई गौशालाओं में सरकार द्वारा भरण पोषण का पैसा दिया जाता है लेकिन वर्तमान स्थिति में मऊ ब्लाक Chitrakoot के प्रधान गौशालाओं में पैसा देरी से आने से परेशान है। गौशाला का पशु 20 से 25 झाल भूसा रोज खाते हैं फिर भी भूखे रहते हैं। अभी पिछले जुलाई के पहले 9 माह तक का पैसा अटक गया था जिससे मऊ ब्लाक प्रधान संघ के अध्यक्ष प्रभात कुमार पांडे के नेतृत्व में प्रधानों ने आक्रोश किया तब कुछ महीनो का पैसा भरण पोषण का आया।
जुलाई 2023 से 2 माह का पैसा मऊ ब्लाक की गौशाला में आया है फिर भी 5 माह के भारत पोषण के लिए खंड विकास अधिकारी मऊ से लेकर ग्राम प्रधानों तक जद्दोजहद जारी है। इधर पैसा भूसा का नहीं आया और आचार संहिता लग गई जिससे जिले के अधिकारी ज्यादा से ज्यादा चुनाव में व्यस्त हो गए हैं ।
इस समय Chitrakoot मऊ ब्लाक की 52 ग्राम पंचायत में गौशाला के पशु प्रतिदिन ग्राम प्रधान से पेट के लिए चारा मांगते हैं क्योंकि वर्तमान ग्राम प्रधान ही उनके असली संरक्षक और रक्षक हैं ,क्योंकि जो ग्राम प्रधान प्रतिदिन गौशाला जाते हैं तो संपूर्ण पशु प्रधान को देखकर जोर-जोर से चिल्लाते हैं और भूसा घर की तरफ प्रधान के पहुंचते ही सभी पशु इकट्ठा होकर खुशी का नजारा भी जाहिर करते हैं ।
शासन प्रशासन लोकतंत्र चुनाव में व्यस्त, कौन करेगा समस्या का समाधान ?
Chitrakoot मऊ ब्लाक के ग्राम प्रधान मानसिक दबाव में है। शासन प्रशासन एक बड़े लोकतंत्र के चुनाव कराने में लगे हैं सरकार अधिकारियों को ग्राम पंचायत की गौशालाओं में ध्यान देकर पारदर्शिता से पेमेंट करें तो सबका साथ सबका विकास होगा जिससे गोवंशों का भी विकास होगा। सुधार लाने के लिए जैसे नस्ल सुधार व बंदोबस्ती तथा गोबर मूत्र से कुछ शोध करके निर्माण कराया जाए तो गौशालाएं अपने आप चलने लगेंगी ग्राम पंचायत की गौशालाओं में पैसा कमाने के बड़े-बड़े दो चार स्रोत आगे बन जाएंगे तो गौशालाओं से जो लोग मजदूरी लेते हैं नहीं लेंगे जिससे सरकार को गौशालाओं के भरण पोषण के खर्चे का बोझ घटेगा।
चित्रकूट से प्रमोद मिश्रा
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