भगवद्प्राप्ति के तीनों मार्गों में केवल Bhakti मार्ग ही सर्वसुगम, सर्वसाध्य एवं सर्वश्रेष्ठ मार्ग है
बड़वाह सिंचाई विभाग काॅलोनी में चल रही दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला के अंतिम दिवस सुश्री धामेश्वरी देवी जी ने बताया कि वेदों शास्त्रों में भगवद्प्राप्ति के 3 मार्गों को प्रशस्त किया गया है कर्ममार्ग, ज्ञानमार्ग और Bhakti मार्ग।
भगवद्प्राप्ति के तीनों मार्गों में केवल Bhakti मार्ग ही सर्वसुगम, सर्वसाध्य एवं सर्वश्रेष्ठ मार्ग है। हमारे वेदों में भक्ति से युक्त कर्म धर्म की प्रशंसा की गई है और भक्ति से रहित कर्म धर्म निंदनीय है।
गीता में कहा गया है कि जो अनन्य भाव से निरंतर मेरी Bhakti करता है, मैं उसका योगक्षेम वहन करता हूं। भक्ति सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि भक्ति करने से अंतःकरण शुद्ध होता है। अंतःकरण शुद्धि पर गुरुद्वारा दिव्य इंद्रिय मन बुद्धि प्राप्त होते हैं तभी भगवान का दर्शन उनका प्रेम उनकी सेवा मिलती है। भगवद्प्राप्ति के बाद भी भक्ति बनी रहती है और यह भक्ति उत्तरोत्तर बढ़ती जाती है। इस प्रकार भक्ति अजर अमर है।
कलयुग में स्मरण Bhakti को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताते हुए दीदी जी ने कर्म योग की साधना की व्याख्या की। साथ ही बताया की गुरु को कैसे पहचाना जा सकता है, मनुष्य देह में सभी जीवों की यह सर्वप्रथम जिम्मेदारी है कि वह गुरु को पहचान कर उनकी शरणागति करें एवं अपने परम चरण लक्ष्य को प्राप्त करें।
11 दिवसीय प्रवचन श्रृंखला का समापन ब्रज की फूलों वाली होली के साथ, श्री राधा कृष्ण भगवान की एवं जगद्गुरु कृपालु जी महाराज की भव्य आरती के साथ हुआ।
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