Exit Poll के अनुसार राजस्थान में फिर से कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है
झुंझुनू। लोकतंत्र के महायज्ञ राजस्थान विधानसभा के चुनाव में मतदाताओं ने 25 नवंबर को दी आहुतियां, परिणाम भले ही 3 दिसंबर को आएगा तब तक कयास का दौर जारी है।
प्रदेश भर में जहां कौन बनेगा विधायक, किसकी बनेगी सरकार, कौन होगा मुख्यमंत्री सिर्फ इन्हीं बातों पर दैनिक दिनचर्या शुरू होकर समाप्त हो जाती है बेनतीजा यह कहकर की 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम ही बताएंगे कौन होगा विधायक, किसकी बनेगी सरकार और मुख्यमंत्री होगा कौन। राजस्थान विधानसभा के गत पांच चुनाव का यदि ट्रेंड देखा जाए तो स्पष्ट होता है कि जिस दल ने शेखावाटी के मतदाताओं का दिल जीता उसी दल की बनी प्रदेश में सरकार।
राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम इस बार कुछ अलग होते नजर आ रहे हैं क्योंकि इससे पूर्व में हुए चुनाव में भाजपा – कांग्रेस आपस में प्रतिद्वंदी की भूमिका में चुनाव लड़ती आ रही थी।
राजस्थान में सरकार बनाने की कवायद में शेखावाटी का विशेष योगदान हमेशा रहा है। प्रदेश में जब-जब विधानसभा चुनाव हुए हैं शेखावाटी ने अपनी अहम भूमिका निभाई है। शेखावाटी के सीकर, झुंझुनू और चूरू 3 जिलों में 21 सीटें विधानसभा की है जो प्रदेश में सरकार बनाने में निर्णायक साबित हुई हैं।
राजस्थान विधानसभा के चुनाव का परिणाम 3 दिसंबर को आएगा। अनुमानित हार जीत के कयास के दौर प्रदेश में हर तरफ जारी है वहीं शेखावाटी को अहम दृष्टि से देखा जा रहा है। शेखावाटी की 21 सीटों का परिणाम बहरहाल कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दे रहा है। वहीं सरकार बनाने के लिए मैजिक फिगर 100 सीट का आंकड़ा ना बीजेपी को मिलता दिख रहा है ना कांग्रेस को।
ज्ञात रहे राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों में से 199 सीटों पर फिलहाल चुनाव संपन्न हुए हैं। गंगानगर जिले की करणपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन होने के कारण वहां पर चुनाव स्थगित किया गया है। राजनीतिक पंडितों, ज्योतिषों के अनुसार इस बार राजस्थान विधानसभा में भाजपा कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत ना मिलकर कांटे की टक्कर मानी जा रही है।
भाजपा आलाकमान ने इस बार वसुन्धरा राजे सिंधिया को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नही किया
इस बार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से अनबन के चलते स्थिति पिछले चुनावों से भिन्न होती दिखाई दे रही है। भाजपा की दो बार स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने वाली पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को भाजपा आलाकमान ने इस बार मुख्यमंत्री चेहरा घोषित ना कर करते हुए प्रधानमंत्री मोदी और कमल चुनाव चिह् पर राजस्थान में चुनाव लड़ा।
राजस्थान का शेखावाटी इलाका हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है वहीं वसुंधरा राजे का जलवा भी शेखावाटी में बदस्तूर बना हुआ है। राजस्थान के मतदाताओं पर वसुंधरा राजे सिंधिया का बड़ा प्रभाव माना जाता है साथ ही भाजपा द्वारा उन्हें दरकिनार करने का खामियाजा इस बार सरकार बनाने के मनसूबों पर पानी फेर सकता है।
भाजपा कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दलों को स्पष्ट बहुमत ना मिलने की स्थिति में निर्दलीय और दोनों ही दलों के बागी जिताऊ प्रत्याशी एक दूसरे के लिए कड़ी चुनौती बने हुए हैं। प्रदेश में पार्टी से बगावत कर चुनाव लडऩे का आकलन किया जाए तो कांग्रेस से बागी बन चुनाव लडऩे की संख्या कम है वहीं भाजपा के बागी हर तीसरी सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
भाजपा के बागी चुनाव लड़ रहे हैं उनको माना जाता है वसुंधरा राजे समर्थक। ऐसे में सरकार बनाने की चाबी वसुंधरा राजे के हाथ में होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सीएम बनाने की पेशकश नहीं की तो राजे समर्थक जीत कर कांग्रेस को समर्थन कर सकते हैं।
जिससे प्रदेश में फिर कांग्रेस सरकार राज कायम रहेगा वहीं सरकार बदलने रिवाज बदलेगा। राजनीति के धुरंधरों का मानना है कि इस बार ना बीजेपी को स्पष्ट बहुमत है ना कांग्रेस को ऐसे में निर्दलीयों की जरूरत पड़ेगी जिसका मैनेजमेंट करने में वसुंधरा और अशोक गहलोत माहिर हैं।
शेखावाटी के झुंझुनू, सीकर और चूरू 3 जिलों में विधानसभा की कुल 21 सीटों में इस बार कांग्रेस को 13 सीटों पर बढ़त की उम्मीद जताई जा रही है वहीं भाजपा को 6 सीटों के साथ संतोष करना पड़ सकता है। दो सीटों पर अन्य प्रत्याशी भाजपा – कांग्रेस को नकारते हुए अन्य को विधानसभा के द्वार भेजना चाह रहे हैं।
झुंझुनू जिले की 7 विधानसभा सीटों में पांच पर कांग्रेस दो पर भाजपा की जीत को माना जा रहा है। सीकर जिले की 8 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस 5 सीट के साथ बढ़त हासिल किए हुए हैं वहीं भाजपा के खाते में दो सीट आने का अनुमान है साथ ही एक सीट पर अन्य दल कामयाब हो सकता है।
शेखावाटी के चूरू जिले की 6 विधानसभा सीट हैं जिसमें तीन पर कांग्रेस विजयी होती दिखाई दे रही है वहीं भाजपा के खाते में दो सीट नजर आ रही है एक विधानसभा क्षेत्र से अन्य जीत की मानी जा रही है।
सट्टा बाजार के अनुसार भाजपा 125 अब कांग्रेस जादुई आंकड़े के पास
मतदान की तारीख नजदीक आते-आते कहीं नये समीकरण बने हैं तो कहीं बना हुआ माहौल बिगड़ गया। सट्टा बाजार के भावों के चलते कई प्रत्याशियों की रातों की नींद उड़ी रही है।
झुंझुनू जिले में पिछले 5 दिनों से मतदान के बाद से भाजपा कांग्रेस समेत अन्य दलों के प्रत्याशी अपने समर्थकों से बूथ अनुसार जानकारी जुटा रहे हैं। स्टार प्रचारकों की चुनावी सभा के बाद सट्टा बाजार के भी माहौल में बदलाव हुआ है।
सट्टा बाजार जहां पहले प्रदेश में भाजपा सरकार 125 सीटों के साथ दिखा रहा था वहीं अब बदले हुए परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए जरूरी मैजिक फिगर 100 के आसपास सीटों के साथ गहलोत नेतृत्व में सरकार रिपीट की संभावना जताई जा रही है वहीं भाजपा को 80 से 85 सीटों पर बताया जा रहा है।
सट्टा बाजार की गहरी जानकारी रखने वालों का मानना है कि प्रदेश में नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, वसुंधरा राजे, बाबा बालक नाथ के निरन्तर चुनावी दौर जारी है वहीं कांग्रेस में स्टार प्रचारकों में प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, सचिन पायलट का बड़ा चेहरा मतदाताओं को अपनी योजनाओं को धरातल पर गिनाने में कामयाब दिखाई दे रहे हैं साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी प्रदेश में ताबड़तोड़ चुनावी जनसभाएं कर चुके हैं प्रदेश में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है।
फिलहाल Exit Poll के अनुसार नये समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं झुंझुनू जिले की 7 सीटों पर हुए चुनाव में सट्टा बाजार के जानकारों के अनुसार कांग्रेस को चार सीटों पर कामयाबी मिलने की संभावना जताई जा रही है वहीं भाजपा को दो सीट अन्य के रूप में एक सीट बताई जा रही है। कांग्रेस की सबसे मजबूत सीटों में झुंझुनू से बृजेंद्र ओला की जीत सट्टा बाजार मजबूत समझ रहे हैं वहीं नवलगढ़ से भाजपा प्रत्याशी विक्रम जाखल की जीत को सट्टा बाजार सुनिश्चित सा मान कर चल रहे हैं।
झुंझुनू जिले की 7 सीटों पर भाजपा कांग्रेस प्रत्याशियों के मध्य करीब टक्कर है फिर भी सट्टा बाजार के अनुसार भाव इस प्रकार बताए जा रहे हैं। सट्टा बाजार के बारे में माना जाता है कि कई दफा प्रत्याशी खुद अपना भाव कम रखने के लिए खुद का पैसा भी बाजार में लगाते हैं ताकि मतदाताओं में हवा बनी रहे हवा के साथ वोटो में इजाफा हो।
संजय सोनी, झुंझुनू
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