Haryana Pavilion में संस्कार गीत एवं रागनियों से जागरूक किया जा रहा है
कुरुक्षेत्र। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित Haryana Pavilion में हरियाणा के लोकगीतों एवं रागनियों से दर्शकों को सरोबार किया जा रहा है। हरियाणा की लोक सांस्कृतिक परम्परा का निर्वहन करते हुए युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग की ओर से हरियाणवी महिलाएं लोक परिधान में हरियाणा के जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत सोलह संस्कारों के गीत गाकर दर्शकों को लोक संस्कृति के प्रति जागरूक कर रही हैं।
![Haryana Pavilion में हरियाणा के लोकगीतों एवं रागनियों से दर्शकों को सरोबार किया जा रहा 2 Haryana Pavilion में संस्कार गीत](https://aanchalikkhabre.com/wp-content/uploads/2023/12/10.jpg)
इसके साथ ही जोगिया पार्टी भी लोक पारम्परिक रागनियों के माध्यम से दर्शकों को हरियाणवी संस्कृति से जोडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के नेतृत्व में स्थापित हरियाणा पैवेलियन ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में अपनी विशेष पहचान बनाई है।
इस विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए हरियाणा पवेलियन के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया निदेशक युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग ने बताया कि हरियाणा पवेलियन हरियाणा के दर्शकों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यहां पर सुबह ही दर्शकों का तांता लगना शुरू हो जाता है। शाम को 6 बजे तक दर्शकों की पूरी भीड़ देखने को मिलती है।
हिसार से पहुंचा कमलेश मोर गु्रप हरियाणवी संस्कृति की छटा को निखारने में गीतों के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। उन्होंने बताया कि जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत सभी संस्कारों के गीत गाकर महिलाएं युवा पीढ़ी को जागरूक कर रही है। हरियाणवी महिलाएं इन गीतों के अतिरिक्त पर्यावरण के गीत, विवाह के गीत, सांझी के गीत तथा किसानी संस्कृति से जुड़े हुए गीतों के माध्यम से दर्शकों को हरियाणवी संस्कृति से रूबरू करवा रही है।
ओढणा सिमवाले तेरा पल्ला लटकै रागनी गाकर सबका मन मोह लिया
![Haryana Pavilion में हरियाणा के लोकगीतों एवं रागनियों से दर्शकों को सरोबार किया जा रहा 3 Haryana Pavilion में संस्कार गीत एवं रागनी गीत](https://aanchalikkhabre.com/wp-content/uploads/2023/12/9-2.jpg)
डॉ. पूनिया ने बताया कि हरिकेश की जोगिया पार्टी भी आल्हा, उदल के किस्सों के साथ-साथ हीर-रांझा के किस्से तथा फुटकर रागनियां गाकर युवाओं को लोक संस्कृति से जोडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है।
उन्होंने बताया कि विकास सातरोड ने ओढणा सिमवाले तेरा पल्ला लटकै रागनी गाकर सबका मन मोह लिया। उधर बाबा धूणीनाथ अपनी लोक पारम्पकिर रागनियों के माध्यम से सबको अभिभूत कर रहे हैं। डॉ. पूनिया ने बताया कि युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग की ओर से आयोजित Haryana Pavilion गीता जयंती में पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।
हरियाणा की गायन शैलियों को बचा रहा है Haryana Pavilion
![Haryana Pavilion में हरियाणा के लोकगीतों एवं रागनियों से दर्शकों को सरोबार किया जा रहा 4 Haryana Pavilion में संस्कार गीत एवं रागनी गीत](https://aanchalikkhabre.com/wp-content/uploads/2023/12/14-1.jpg)
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित Haryana Pavilion लोक गायकी की गायन शैलियों को पैवेलियन के मंच पर प्रस्तुत कर लोक परम्परागत शैलियों को युवाओं से जोड़ रहा है। यहां पर गंगा स्तुति, शिव स्तुति, चौपाई, मंगलाचरण, चमोला, दोहा, कडा, काफिया आदि शैलियों के माध्यम से हरियाणा की पुरानी गायकी को फिर से जीवंत करने का कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का सराहनीय प्रयास है।
Haryana Pavilion के संयोजक डॉ. महा सिंह पूनिया ने बताया कि लोक पारम्परिक रूप से गायन शैलियों का लोकजीवन में विशेष योगदान है। शैलियों एवं रागों के आधार पर गायन की परम्परा हरियाणवी लोकजीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। जीन्द के राजा ने रागों के आधार पर अनेक गांवों को बसाया था। इससे पता चलता है कि लोकजीवन में रागों एवं गायन शैलियों की कितनी महत्ता है।
वास्तव में ग्रामीण अंचल में लोग अपना मनोरंजन गायन, वादन आदि के माध्यम से करते हैं। डॉ. पूनिया ने बताया कि लोक में गाने के अनेक तरीके एवं स्वरूप निहित हैं। लोक पारम्परिक तरीके से जो गायन किया जाता है उसे लोक में लोक गायन कहते हैं। लोक गायन के लिए जो अलग-अलग शैलियां और तरीके मनोरंजन के लिए अपनाये जाते हैं।
गंगा स्तुति, शिव स्तुति, चौपाई, मंगलाचरण, चमोला, दोहा, कडा, काफिया सुना रहे हैं लोक कलाकार
उन्होंने कहा कि उनको जनमानस लोक गायन शैलियों के नाम से पुकारता है। गायन शैलियां लोक पारम्परिक रूप से सदियों पुरानी हैं। इनमें गायन और वादन के मिश्रण से ही लोक नाट्य कला का स्वरूप विकसित हुआ है,
जिसके माध्यम से गायन, कथा, संवाद, संगीत, अभिनय सभी का स्वरूप समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा बना है। गायन शैलियों में गंगा स्तुति, शिव स्तुति, भजन पुराणी, त्रिभुज, देवी भेंट, बारामासा, उलटबांसी आदि भी लोक गायकी का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। गायन शैलियों में सूरज बेदी, बाबा धूनीनाथ, विकास सातरोड सहित अनेक ऐसे गायक हैं जो हरियाणा की गायन शैलियों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
अश्विनी वालिया, कुरुक्षेत्र
See Our Social Media Pages
YouTube:@Aanchalikkhabre
Facebook:@Aanchalikkhabre
Twitter:@Aanchalikkhabre
इसे भी पढ़ें – Kashmir के खान-पान से रूबरू कराता गुलिस्तान स्वयं सहायता समूह