Bihar जैसे ग़रीब राज्यों के समावेशी विकास के लिए विशेष राज्य की मांग सुर्ख़ियों में रही है।
Bihar News: – सहरसा जिला के नौहट्टा प्रखंड में कई नेता एवं कई आम जनता ने बैनर तले Bihar को विशेष राज्य का दर्जा मिले इसको लेकर विरोध प्रदर्शन करते दिखाई दिए आपको बताते चले की विशेष राज्य का दर्जा अभी तक पर्वतीय दुर्गम क्षेत्रों, सीमावर्ती, आदिवासी बहुल और ग़रीब राज्यों को ही मिलने का प्रावधान है। Bihar जैसे ग़रीब राज्यों के समावेशी विकास के लिए विशेष राज्य की मांग हाल के कुछ बरसों में काफ़ी सुर्ख़ियों में रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ये मांग ज़ोर से उठती रही है। विभिन्न अख़बारों ने भी इसकी मुहिम चलाई है। केंद्र सरकार ने राजनीतिक दबाव में ग़रीब राज्यों को मिलने वाले वित्तीय प्रावधानों पर पुनर्विचार के लिए रघुराम राजन समिति गठित कर विशेषज्ञों की राय ली है,हालांकि प्रति व्यक्ति आय की जगह उपभोग को मानक सूचकांक में शामिल करने पर ऋण उपभोग के दबाव में ग़रीब राज्यों को नुक़सान हो गया और बिहार को अपेक्षित लाभ इस समिति से नहीं मिल सकता जिसके लिए Bihar ने इस रिपोर्ट पर अपनी असहमति भी दर्ज कराई है, लेकिन केंद्र से ग़रीब राज्यों को मिलने वाले वित्तीय प्रावधानों में महत्वपूर्ण बदलाव का लाभ ज़रूर मिल सकता है।
अब यह रिपोर्ट संसदीय सेलेक्ट कमेटी में विचाराधीन है। केंद्रीय वित्त मंत्री चिदंबरम ने बीते साल की आर्थिक समीक्षा और बजट भाषण में इसका उल्लेख भी किया जिससे कुछ आशाएं भी बंधीं, किंतु कुछ राजनीतिक कारणों से यह रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई है। बिहार की बढ़ती विकास की दर सामान्यतः निर्माण, यातायात, संचार, होटल, रेस्तरां, रियल एस्टेट, वित्तीय सेवाओं आदि में सर्वाधिक रही है जहां रोज़गार बढ़ने की संभावना अपेक्षाकृत कम होती है।
बिहार से दिपेंद्र कुमार
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