International Labor Day 2024: मई दिवस की पूर्व संध्या पर शिकागों के अमर शहीदों को किया गया याद

Aanchalik khabre
By Aanchalik khabre
5 Min Read
International Labor Day 2024: मई दिवस की पूर्व संध्या पर शिकागों के अमर शहीदों को किया गया याद
International Labor Day प्रयागराज। नैनी प्रयागराज में सुआट्स संयुक्त मोर्चा द्वारा अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस(International Labor Day) यानी मई दिवस की पूर्व संध्या पर शिकागों के अमर शहीदों को किया गया याद!, दो मिनट का मौन रख कर दी गई विनम्र श्रंद्धाजलि!

International Labor Day की शुरुआत

मई दिवस (International Labor Day) समारोह को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज से 137 वर्ष पहले काम के घन्टे 8 करने की मांग को लेकर अमेरिका के शिकागो शहर के हे मार्केट में मजदूरों ने संघर्ष की शुरुआत की और कई दिनों के संघर्ष और कई मजदूरों के शहादत के बाद आज पूरी दुनिया मे काम के घन्टे आठ लागू करवाया है।

जानिए रोजाना 8 घंटे काम करने की पालिसी अपनाने वाले पहली कंपनी

25 सितंबर, 1926 को ही फॉर्ड मोटर कंपनी ने कर्मचारियों के हित में बड़ा कदम उठाया था। कंपनी ने कर्मचारियों के लिए रोजाना 8 घंटे और हफ्ते में पांच दिन काम का नियम अपनाकर एक नई परंपरा कायम की। धीरे-धीरे दुनिया में यह नियम चल निकला और ज्यादातर कंपनियां इस नियम पर अमल करने लगीं।
भारत मे डॉ बीआर अंबेडकर जब 1942 में वायसराय काउंसिल के श्रम सदस्य बने तब 8 घंटे के कार्य दिवस लागू करवाएं था। शिकागों में आठ मजदूर नेताओं -अल्बर्ट पार्सन्स, आगस्टस स्पाइस, जार्ज एंजेल, एडाल्फ फिशर, सैमुअल फील्डेन, माइकेल श्वाब, लुइस लिंग्ग और आस्कर नीबे पर मुकदमा चलाकर उन्हें हत्या का मुजरिम करार दिया गया।
पूँजीवादी न्याय के लम्बे नाटक के बाद 20 अगस्त 1887 को शिकागो की अदालत ने अपना फैसला दिया। सात लोगों को सजाए-मौत और एक (नीबे) को पन्द्रह साल कैद बामशक्कत की सजा दी गयी। स्पाइस ने अदालत में चिल्लाकर कहा था कि ”अगर तुम सोचते हो कि हमें फाँसी पर लटकाकर तुम मजदूर आन्दोलन को… गरीबी और बदहाली में कमरतोड़ मेहनत करनेवाले लाखों लोगों के आन्दोलन को कुचल डालोगे, अगर यही तुम्हारी राय है -तो ख़ुशी से हमें फाँसी दे दो। लेकिन याद रखो … आज तुम एक चिंगारी को कुचल रहे हो लेकिन यहाँ-वहाँ, तुम्हारे पीछे, तुम्हारे सामने, हर ओर लपटें भड़क उठेंगी। यह जंगल की आग है। तुम इसे कभी भी बुझा नहीं पाओगे।”
दुनिया में सबसे ज़्यादा बंधुआ मज़दूर भारत में हैं विश्व ग़ुलामी सूचकांक की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में भारत में 80 लाख लोग “आधुनिक गुलामी” में जी रहे थे यानी औसतन एक हज़ार भारतीयों में से छह को अपने काम का मेहनताना नहीं मिल रहा है देश के कुल श्रमिकों में से 93 फीसदी असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं यानी उनके लिए न्यूनतम वेतन जैसी सामाजिक सुरक्षा के हक पाना और मुश्किल है।

आज के दिन (International Labor Day) पर शिकागो में मजदूरों ने आंदोलन सम्पति पे गया था गीत 

अंत मे सभी ने एक स्वर में यह गीत कि “आज घोषणा करने का दिन
हम भी हैं इंसान
हमें चाहिए बेहतर दुनिया
करते हैं ऐलान
घृणित दासता किसी रूप में
नहीं हमें स्वीकार
मुक्ति हमारा अमिट स्वप्न है
मुक्ति हमारा गान” गाते हुए और मई दिवस जिंदाबाद, शिकागों के शहीद अमर रहे के नारों के साथ कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की!
कार्यक्रम में मुख्य रूप से इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन- राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज पाण्डेय, ऑल इंडिया सेंट्रल कॉउंसिल ऑफ ट्रेंड यूनियंस “ऐक्टू”- राष्ट्रीय सचिव डॉ कमल उसरी, नॉर्थ सेंट्रल रेलवे वर्कर्स यूनियन केंद्रीय कमेटी सदस्य शिवेंद्र प्रताप सिंह, प्रो अजय सिंह, प्रो वाई के बिंद, प्रो आर एन शुक्ला, प्रो शिवानी मेहता, प्रो शशि तिवारी, प्रो अंकिता गौतम, प्रो रीना मेहता, प्रो अल्का गुप्ता, प्रो आरती सिंह, प्रदीप मसीह, अनमोल शरण, जॉन पीके, अखिलेश सिंह, डेविड मून, अमलेंदु उपाध्याय, ओम सुभाष, मुनेश्वर लाल, रोहित रिचर्ड इत्यादि सैकड़ों मजदूर कर्मचारी उपस्थित रहें।
Share This Article
Leave a comment