Chitrakoot Kisan: अन्नदाता करता है खून पसीने की मेहनत, अढतिया खा रहे किसान का पैसा

Aanchalik khabre
By Aanchalik khabre
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Chitrakoot Kisan: अन्नदाता करता है खून पसीने की मेहनत, अढतिया खा रहे किसान का पैसा
Chitrakoot News। जिले का Kisan हाडतोड़ मेहनत करके फसलें तैयार करता है । किसान पहले गेहूं के लिए खेत तैयार करता है फिर उसकी सिंचाई करता है फिर इसकी बिजाई करता है फिर तीन पानी दे करके गेहूं की फसल को तैयार करता है इसके बाद प्रकृति अपना विकट रूप दिखाती है तो किसान संसय में पड़ जाता है क्योंकि किसान की कमाई 6 महीने में ही अन्नदाता कुछ कर सकता है अन्नदाता का बैंक बैलेंस अन्न ही होता है।
भाजपा सरकार ने किसानों के अनाज को दुगना दाम में बिकने का वादा किया हुआ है जिससे किसान भी आस लगाए बैठा है कि हमारा गेहूं मार्केट जाए तो कम से कम उचित दाम तो मिले। बहुत से छोटे जरूरतमंद किसान है जो की फसल को सरकारी बाड़े तक ना ले जाकर के प्राइवेट बाडे में ही भेजते हैं जिससे उनको ₹ 300 बोरा तक का नुकसान होता है और 2000/कुन्तल बिकता है।

किसान (Kisan) की कड़ी मेहनत जो हर किसी के बस की नहीं

हमारे मोदी जी कहते हैं वन नेशन, वन वोट, वन जीएसटी जीएसटी में कहा गया था कि भारत देश में कहीं भी कोई चीज बिकेगी तो उसका दाम बराबर होगा लेकिन फिर भी अभी भी कुछ व्यापारी वर्ग किसानों का शोषण करते हैं जिससे सरकार उसमें कुछ कदम नहीं उठा पाती है। किसान(Kisan) मार्च, अप्रैल,मई माह की दोपहर में जब गेहूं की फसल काटता है 40 C डिग्री तापमान में उसका पसीना बहता है और उसकी तबीयत कैसी रहेगी। इसके बाद पूरे खेत का गेहूं इकट्ठा किया जाता है इसके बादर् थ्रेसर से कतराई होती है तब देखा जो किसान(kisan) हाथ में फसल को लगता है उसके हाथ में गेहूं के बाली के सुगुर इतने घुस जाते हैं कि साल भर हाथ में वह गोखरू बना देते हैं फिर किसान भूसा भरता है तब उसकी सांस रूकती है क्योंकि भूसा में सांस लेना सबके लिए मुनासिब नहीं होता है।
 Chitrakoot Kisan: अन्नदाता करता है खून पसीने की मेहनत, अढतिया खा रहे किसान का पैसा
इस सब कड़ी मेहनत के दौर में किसान (Kisan) को पानी,कटाई, बीज, दवा आदि के लिए काफी पैसा देना पड़ता है। इसके अलावा किसान को कहीं-कहीं चकबंदी हुए 20 साल हो गए किसान को अपना अनाज ढोने के लिए चकरोडें खाली नहीं है वह अभी भी आतिक्रमण में किसानों द्वारा जोती गई हैं जिससे वहां पर कहीं रास्ता भी नहीं है यह भी किसानों की लिए एक भारी समस्या है। क्योंकि रास्ता सुगम होने से खेत का फसल अनाज आसानी से घर पहुंच जाता है इसके बाद यदि रास्ता न हो तो किसान सर पर कहीं से कहीं ले जाकर रखता है इसके बाद उसका अनाज घर पहुंचता  है। 2024 का लोकसभा चुनाव है चित्रकूट जिले का किसान वैसे तो भाजपा सरकार से खुश दिख रहा है लेकिन कुछ मीठी समस्याएं किसान को खाए जा रही हैं जिसकी देन राजस्व विभाग है जो की त्वरित कार्रवाई किसानों के हित में नहीं कर रहे हैं।
चित्रकूट से प्रमोद मिश्रा
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